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टिहरी: मोबाइल नेटवर्क न होने से छूटी पढ़ाई, पत्थर तोड़ रहे हैं बच्चे

उत्तराखंड सरकार प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा दे रही है. लेकिन दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क नहीं होने के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई है. बच्चे पत्थर तोड़ने को मजबूर हैं.

tehri
बच्चों का भविष्य चौपट
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Published : Aug 25, 2020, 2:12 PM IST

टिहरी: उत्तराखंड सरकार कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करा रही है. लेकिन ये प्रयास शहर और कस्बाई क्षेत्रों में ही सफल हो रहा है. दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों के छात्र प्रदेश सरकार की इस सुविधा से महरूम हैं. विडंबना ये है कि नेटवर्क के अभाव में नौनिहालों की पढ़ाई चौपट हो रही है. ऐसे में गरीब परिवार अपने बच्चों को पढ़ाई की जगह ईंट-पत्थर तोड़ने के काम में लगा रहे हैं.

कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश सरकार नर्सरी से उच्च कक्षाओं तक ऑनलाइन शिक्षण पर जोर दे रही है. शहरों-कस्बों और निजी विद्यालयों ने सरकार की इस प्रणाली को काफी अच्छे से क्रियान्वित किया है. ऐसे कोरोनाकाल में ये फॉर्मूला कारगर भी साबित हुआ है. लेकिन अगर प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो यहां के सरकारी विद्यालयों में इस तरह के संसाधनों का अभाव है. मोबाइत तो हैं, लेकिन नेटवर्क न होने से मात्र ये एक नुमाइश बन कर रह गए हैं. जो मोबाइल के टावर लगाए गए हैं, वो भी वर्तमान में मात्र शोपीस बन कर रह गए हैं. ऐसे में यहां के गांवों के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं और बालश्रम करने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें: देहरादून: छुट्टी से लौटने वाले पुलिसकर्मियों का कोरोना टेस्ट होगा अनिवार्य

अनुमान के मुताबिक इन गांवों में करीब तीन हजार छात्र-छात्राएं हैं. नेटवर्क के अभाव के चलते इनका भविष्य चौपट हो रहा है. भिलंगना विकासखंड के दूरस्थ गांव मेड, मरवाड़ी, निवालगांव, रगस्या, गेंवाली, जखाणा और पिंस्वाड़ के गांवों में उचित संचार सुविधा न होने से यहां के छात्र दिन-ब-दिन पढ़ाई से कोसों दूर होते जा रहे हैं. नौबत ये आ गई है कि इन बच्चों को ईंट-पत्थर तोड़ने पड़ रहे हैं. गांव मेड निवासी प्यार सिंह का कहना है कि गांव के बच्चे हाथों में कलम-किताब पकड़ने के बजाए इन दिनों हथौड़ा चलाने को मजबूर हैं. ग्रामीण ने कहा कि अगर ऐसे ही हालात रहे, तो जल्द स्थानीय लोग आंदोलन करेंगे.

ये भी पढ़ें: नेत्रदान का संकल्प लेकर इसे परिवार की परंपरा बनाएं

इस मामले में DEO बेसिक एसएस बिष्ट का कहना है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. लेकिन दूरस्थ इलाकों के बच्चों के पास स्मार्ट फोन होते हुए भी नेटवर्क के अभाव उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने में दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे स्थानों पर हार्डकाॅपी घरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों से बालश्रम कराना काननून अपराध है. साथ ही जिस ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन बच्चों से बालश्रम करा रहे हैं उसकी जांच कराई जाएगी. बालश्रम करवाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

टिहरी: उत्तराखंड सरकार कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया करा रही है. लेकिन ये प्रयास शहर और कस्बाई क्षेत्रों में ही सफल हो रहा है. दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों के छात्र प्रदेश सरकार की इस सुविधा से महरूम हैं. विडंबना ये है कि नेटवर्क के अभाव में नौनिहालों की पढ़ाई चौपट हो रही है. ऐसे में गरीब परिवार अपने बच्चों को पढ़ाई की जगह ईंट-पत्थर तोड़ने के काम में लगा रहे हैं.

कोरोना महामारी को देखते हुए प्रदेश सरकार नर्सरी से उच्च कक्षाओं तक ऑनलाइन शिक्षण पर जोर दे रही है. शहरों-कस्बों और निजी विद्यालयों ने सरकार की इस प्रणाली को काफी अच्छे से क्रियान्वित किया है. ऐसे कोरोनाकाल में ये फॉर्मूला कारगर भी साबित हुआ है. लेकिन अगर प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो यहां के सरकारी विद्यालयों में इस तरह के संसाधनों का अभाव है. मोबाइत तो हैं, लेकिन नेटवर्क न होने से मात्र ये एक नुमाइश बन कर रह गए हैं. जो मोबाइल के टावर लगाए गए हैं, वो भी वर्तमान में मात्र शोपीस बन कर रह गए हैं. ऐसे में यहां के गांवों के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं और बालश्रम करने को मजबूर हैं.

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अनुमान के मुताबिक इन गांवों में करीब तीन हजार छात्र-छात्राएं हैं. नेटवर्क के अभाव के चलते इनका भविष्य चौपट हो रहा है. भिलंगना विकासखंड के दूरस्थ गांव मेड, मरवाड़ी, निवालगांव, रगस्या, गेंवाली, जखाणा और पिंस्वाड़ के गांवों में उचित संचार सुविधा न होने से यहां के छात्र दिन-ब-दिन पढ़ाई से कोसों दूर होते जा रहे हैं. नौबत ये आ गई है कि इन बच्चों को ईंट-पत्थर तोड़ने पड़ रहे हैं. गांव मेड निवासी प्यार सिंह का कहना है कि गांव के बच्चे हाथों में कलम-किताब पकड़ने के बजाए इन दिनों हथौड़ा चलाने को मजबूर हैं. ग्रामीण ने कहा कि अगर ऐसे ही हालात रहे, तो जल्द स्थानीय लोग आंदोलन करेंगे.

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इस मामले में DEO बेसिक एसएस बिष्ट का कहना है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. लेकिन दूरस्थ इलाकों के बच्चों के पास स्मार्ट फोन होते हुए भी नेटवर्क के अभाव उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई करने में दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे स्थानों पर हार्डकाॅपी घरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों से बालश्रम कराना काननून अपराध है. साथ ही जिस ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन बच्चों से बालश्रम करा रहे हैं उसकी जांच कराई जाएगी. बालश्रम करवाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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