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देवप्रयाग विधानसभा सीट: जामनी खाल के लोग बोले- जो पहाड़ की बात करेगा, वही राज करेगा - tehri latest news

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष बच गए हैं. ऐसे में आइये जानते हैं चुनाव को लेकर देवप्रयाग विधानसभा सीट के अंतर्गत दूरस्थ गांव जामनी खाल के ग्रामीणों की प्रतिक्रिया क्या है.

Jamni Khal villagers
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Published : Feb 10, 2022, 2:15 PM IST

टिहरी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव होने में अब गिनती के दिन रह गए हैं. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम टिहरी जनपद के देवप्रयाग विधानसभा सीट के अंतर्गत दूरस्थ गांव जामनी खाल पहुंची. यहां ग्रामीणों से बातचीत की और जाना की अब तक देवप्रयाग में कितना विकास हुआ है.

इस दौरान जामनी खाल के ग्रामीणों ने बताया कि जब से उत्तराखंड बना है तब से लेकर आज तक विकास नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता कि हम उत्तराखंड में रहते हैं. आजादी के 75 साल बाद भी हम आजाद नहीं हैं. जनप्रतिनिधि और नेता सिर्फ देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, उधम सिंह नगर और नैनीताल क्षेत्रों को ही उत्तराखंड समझते हैं बाकी उत्तराखंड के 90% भू भाग को उत्तराखंड समझते ही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उनके गांव आने के लिए सड़क नहीं है. साथ ही यहां पानी की भी सुविधा नहीं है. इसके बावजूद यहां आज तक कोई जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं को सुनने नहीं पहुंचा है.

जामनी खाल की जनता की बात सुनिए

ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं. नई सरकार जो भी बनेगी उनसे हमारी अपेक्षाएं यह रहेंगी कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार पर विशेष ध्यान दें. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय दलों का आना जरूरी है. जो क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय बारीकियों को जान सके. सरकार की ओर से जो भी योजनाएं बनती हैं, वह मैदानी क्षेत्रों के हिसाब से बनती हैं. लेकिन पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर कोई भी योजनाएं नहीं बनाई जाती हैं. जिस कारण पहाड़ों में विकास नहीं हो पाता है. सरकार को पहाड़ की भौगोलिक स्थितियों को देखकर योजनाएं बनानी चाहिए ताकि पहाड़ में भी हर व्यक्ति को लाभ मिले.

देवप्रयाग विधानसभा सीट के बेरोजगार नौजवानों का कहना है कि चुनाव के दौरान सरकार की ओर से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं. यहां पर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन परियोजना बनाई गई. जिसमें कहा गया था कि यहां पर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिया जाएगा. लेकिन यहां पर स्थानीय बेरोजगारों को कोई रोजगार नहीं दिया गया. जिस कारण यहां पर कई युवक बेरोजगार घूम रहे हैं. साथ ही देवप्रयाग में एनसीसी संस्थान जो है इसको पारी में ही शिफ्ट कर दिया गया है. जिसके प्रति यहां के लोगों की नाराजगी है. युवकों ने कहा कि हम ऐसी सरकार चाहते हैं कि जो पहाड़ों की बात करे. कहीं न कहीं इस बार देवप्रयाग विधानसभा सीट के बुजुर्ग से लेकर युवक मतदान को लेकर उत्साहित हैं.

पढ़ें: हरीश रावत बोले- बीजेपी का दृष्टि पत्र दृष्टिबाधित रोग से ग्रसित, नकल और अक्ल में होता है अंतर

ग्रामीणों ने कहा कि पिछले कार्यकाल में विधायक द्वारा कोई भी विकास कार्य नहीं किए गए हैं. जिस उम्मीद के साथ बेरोजगार युवकों ने युवा विधायक को अपना समर्थन दिया, उस हिसाब से वो खरा नहीं उतरा पाये. इस बार देवप्रयाग विधानसभा सीट की जनता ने अपना मन कुछ और ही बना रखा है. क्योंकि इस बार जनता ने एक ही नारा यहा पर दिया है कि जो पहाड़ की बात करेगा वही पहाड़ पर राज करेगा.

टिहरी: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव होने में अब गिनती के दिन रह गए हैं. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम टिहरी जनपद के देवप्रयाग विधानसभा सीट के अंतर्गत दूरस्थ गांव जामनी खाल पहुंची. यहां ग्रामीणों से बातचीत की और जाना की अब तक देवप्रयाग में कितना विकास हुआ है.

इस दौरान जामनी खाल के ग्रामीणों ने बताया कि जब से उत्तराखंड बना है तब से लेकर आज तक विकास नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि हमें नहीं लगता कि हम उत्तराखंड में रहते हैं. आजादी के 75 साल बाद भी हम आजाद नहीं हैं. जनप्रतिनिधि और नेता सिर्फ देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, उधम सिंह नगर और नैनीताल क्षेत्रों को ही उत्तराखंड समझते हैं बाकी उत्तराखंड के 90% भू भाग को उत्तराखंड समझते ही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उनके गांव आने के लिए सड़क नहीं है. साथ ही यहां पानी की भी सुविधा नहीं है. इसके बावजूद यहां आज तक कोई जनप्रतिनिधि उनकी समस्याओं को सुनने नहीं पहुंचा है.

जामनी खाल की जनता की बात सुनिए

ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव में अब कुछ ही दिन बचे हैं. नई सरकार जो भी बनेगी उनसे हमारी अपेक्षाएं यह रहेंगी कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रोजगार पर विशेष ध्यान दें. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय दलों का आना जरूरी है. जो क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय बारीकियों को जान सके. सरकार की ओर से जो भी योजनाएं बनती हैं, वह मैदानी क्षेत्रों के हिसाब से बनती हैं. लेकिन पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों को देखकर कोई भी योजनाएं नहीं बनाई जाती हैं. जिस कारण पहाड़ों में विकास नहीं हो पाता है. सरकार को पहाड़ की भौगोलिक स्थितियों को देखकर योजनाएं बनानी चाहिए ताकि पहाड़ में भी हर व्यक्ति को लाभ मिले.

देवप्रयाग विधानसभा सीट के बेरोजगार नौजवानों का कहना है कि चुनाव के दौरान सरकार की ओर से बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं. यहां पर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन परियोजना बनाई गई. जिसमें कहा गया था कि यहां पर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार दिया जाएगा. लेकिन यहां पर स्थानीय बेरोजगारों को कोई रोजगार नहीं दिया गया. जिस कारण यहां पर कई युवक बेरोजगार घूम रहे हैं. साथ ही देवप्रयाग में एनसीसी संस्थान जो है इसको पारी में ही शिफ्ट कर दिया गया है. जिसके प्रति यहां के लोगों की नाराजगी है. युवकों ने कहा कि हम ऐसी सरकार चाहते हैं कि जो पहाड़ों की बात करे. कहीं न कहीं इस बार देवप्रयाग विधानसभा सीट के बुजुर्ग से लेकर युवक मतदान को लेकर उत्साहित हैं.

पढ़ें: हरीश रावत बोले- बीजेपी का दृष्टि पत्र दृष्टिबाधित रोग से ग्रसित, नकल और अक्ल में होता है अंतर

ग्रामीणों ने कहा कि पिछले कार्यकाल में विधायक द्वारा कोई भी विकास कार्य नहीं किए गए हैं. जिस उम्मीद के साथ बेरोजगार युवकों ने युवा विधायक को अपना समर्थन दिया, उस हिसाब से वो खरा नहीं उतरा पाये. इस बार देवप्रयाग विधानसभा सीट की जनता ने अपना मन कुछ और ही बना रखा है. क्योंकि इस बार जनता ने एक ही नारा यहा पर दिया है कि जो पहाड़ की बात करेगा वही पहाड़ पर राज करेगा.

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