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जौनपुर के विरोड़ में धूमधाम से मनाया गया जागड़ा पर्व, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

जौनपुर के विरोड़ में धूमधाम जागड़ा पर्व मनाया गया. पर्व के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई.

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जौनपुर के विरोड़ में धूमधाम से मनाया गया जागड़ा पर्व
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Published : Aug 23, 2020, 7:57 PM IST

धनौल्टी: प्रशासन की मनाही और लाख कोशिशों के बाद भी जौनपुर विकासखंड की बिरोड़ ग्राम में महासू देवता का जागड़ा पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान राजपुर (देहरादून) विधायक खजान दास भी जागड़ा पर्व में शिरकत करने पहुंचे. जहां उन्होंने देवता के चांदी के ढोल को भी बजाया. कोरोना संक्रमण के दौर में जहां सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर सभी आयोजन किये जा रहे हैं, वहीं जागड़ा पर्व में जमकर इन नियमों की धज्जियां उड़ाई गई.

भले ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस साल महासू देवता के जागड़ा पर्व को मंदिर समिति ने सूक्ष्म रूप से मनाया. फिर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. जिन्होंने यहां पहुंचकर महासू देवता राजा रघुनाथ के दर्शन कर सुख समृद्धि का कामना की.

जौनपुर के विरोड़ में धूमधाम से मनाया गया जागड़ा पर्व

पढे़ं- पिथौरागढ़: फैसिलेटर को धमकी से भड़की आशा वर्कर, डीएम ऑफिस में किया प्रदर्शन

श्रद्धालुओं ने दर्शन के साथ-साथ डोली को ढोल नगाड़ों की धुन के साथ महासू देवता की डोली को नदी में स्नान कराया. इस मौके पर मन्दिर परिसर में पश्वा भी देवता के ढोल के साथ अवतरित हुए. शाम को डोली को फिर से मंदिर प्रांगण में पूजा अर्चना के लिए रखा गया. इस मौके पर मन्दिर में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया है.

पढे़ं- उत्तरकाशी: काला दिवस के रूप में मनाई गई आराकोट आपदा की बरसी

महासू देवता राजा रघुनाथ जागड़ा पर्व में पूर्व काबीना मंत्री और वर्तमान में राजपुर विधायक खजान दास भी पहुंचे. उन्होंने महासू देवता के दर्शन कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान उन्होंने देवता के चांदी के ढोल को भी बजाया जो कि पहले जमाने में उनके पूर्वजों द्वारा बजाया जाता था.

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ढोल बजाते खजान दास.

पढ़ें- घायल महिला को आईटीबीपी जवानों ने पहुंचाया अस्पताल, प्रशासन के रवैये से मदद नाराज ग्रामीण

वर्षों पुरानी मान्यता है कि उस गांव की ध्याण (ब्याही बेटी बहन) जो अपने ससुराल में रहती हैं. अगर उसके ससुराल में किसी भी प्रकार की परेशानी या उसके बच्चों कोई दु:ख या बीमारी हो तो वो ध्याण अपने देवता का सुमिरन करके भगवान रघुनाथजी से अपनी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. जिसके बाद रघुनाथ उनकी रक्षा के लिए उनके ससुराल तक जाते हैं और उन धियाणियों की मन्नतें पूरी करते हैं.

पढे़ं- उत्तराखंड: पहाड़ी दाल और सब्जियां बढ़ाएंगी इम्यूनिटी, मार्केट में बढ़ी डिमांड

वहीं, देवभूमि के गढ़वाल की भाषा में ये देवता महासू के नाम से भी जाने जातें हैं. मान्यता है कि जगाड़े के दिन भगवान राजा रामनाथ की डोली को स्नान कराया जाता है. जिसके बाद पूरे गांव में सभी देवता भ्रमण के लिए निकलते हैं और समापन में फल, श्रीफल और छत्र चढ़ाया जाता है. वहीं, बारी-बारी से गांवों में जगाड़े का आयोजन होता है.

धनौल्टी: प्रशासन की मनाही और लाख कोशिशों के बाद भी जौनपुर विकासखंड की बिरोड़ ग्राम में महासू देवता का जागड़ा पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान राजपुर (देहरादून) विधायक खजान दास भी जागड़ा पर्व में शिरकत करने पहुंचे. जहां उन्होंने देवता के चांदी के ढोल को भी बजाया. कोरोना संक्रमण के दौर में जहां सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर सभी आयोजन किये जा रहे हैं, वहीं जागड़ा पर्व में जमकर इन नियमों की धज्जियां उड़ाई गई.

भले ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस साल महासू देवता के जागड़ा पर्व को मंदिर समिति ने सूक्ष्म रूप से मनाया. फिर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. जिन्होंने यहां पहुंचकर महासू देवता राजा रघुनाथ के दर्शन कर सुख समृद्धि का कामना की.

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श्रद्धालुओं ने दर्शन के साथ-साथ डोली को ढोल नगाड़ों की धुन के साथ महासू देवता की डोली को नदी में स्नान कराया. इस मौके पर मन्दिर परिसर में पश्वा भी देवता के ढोल के साथ अवतरित हुए. शाम को डोली को फिर से मंदिर प्रांगण में पूजा अर्चना के लिए रखा गया. इस मौके पर मन्दिर में भजन संध्या का भी आयोजन किया गया है.

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महासू देवता राजा रघुनाथ जागड़ा पर्व में पूर्व काबीना मंत्री और वर्तमान में राजपुर विधायक खजान दास भी पहुंचे. उन्होंने महासू देवता के दर्शन कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान उन्होंने देवता के चांदी के ढोल को भी बजाया जो कि पहले जमाने में उनके पूर्वजों द्वारा बजाया जाता था.

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ढोल बजाते खजान दास.

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वर्षों पुरानी मान्यता है कि उस गांव की ध्याण (ब्याही बेटी बहन) जो अपने ससुराल में रहती हैं. अगर उसके ससुराल में किसी भी प्रकार की परेशानी या उसके बच्चों कोई दु:ख या बीमारी हो तो वो ध्याण अपने देवता का सुमिरन करके भगवान रघुनाथजी से अपनी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. जिसके बाद रघुनाथ उनकी रक्षा के लिए उनके ससुराल तक जाते हैं और उन धियाणियों की मन्नतें पूरी करते हैं.

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वहीं, देवभूमि के गढ़वाल की भाषा में ये देवता महासू के नाम से भी जाने जातें हैं. मान्यता है कि जगाड़े के दिन भगवान राजा रामनाथ की डोली को स्नान कराया जाता है. जिसके बाद पूरे गांव में सभी देवता भ्रमण के लिए निकलते हैं और समापन में फल, श्रीफल और छत्र चढ़ाया जाता है. वहीं, बारी-बारी से गांवों में जगाड़े का आयोजन होता है.

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