टिहरी: घनसाली विधानसभा अंतर्गत घुत्तू में भिलंगना नदी पर 24 मेगावाट भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट है. आरोप है कि प्रोजेक्ट कंपनी द्वारा एनजीटी के मानकों के विपरीत नदी के पानी का प्रवाह बंद किया गया है. पूर्व विधायक भीमलाल आर्य ने आरोप लगाया है परियोजना के लिए नदी का प्रभाव पूरी तरह रोक दिया गया है. इसको लेकर आर्य ने कोर्ट जाने की चेतावनी दी है. वहीं, टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने संज्ञान लिया है और कहा है कि इस मामले को दिखवाया जाएगा. हालांकि, प्रोजेक्ट अधिकारी का कहना है कि पानी कम होने के कारण ऐसा हुआ है लेकिन वो इसे मेंटेन करने की कोशिश कर रहे हैं.
भिलंगना पावर प्रोजेक्ट घुत्तू डीपीआर का नहीं कर रहा पालन: दरअसल, नदी का हिस्सा जहां है, उस हिस्से से भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में बिजली उत्पादन करने के लिए नदी के हिस्से से टनल द्वारा टरबाइन तक पानी भेजा जा रहा है, लेकिन जहां से टनल द्वारा टरबाइन के लिए पानी जा रहा है वहां पर भिलंगना नदी के पानी के प्रवाह पूरी तरह सूखा नजर आ रहा है. जबकि डीपीआर में साफ-साफ लिखा है कि पावर प्रोजेक्ट बनाते समय 10% पानी का प्रवाह निरंतर नदी में होता रहेगा. जहां से नदी का प्रवाह रुका है, वहां से लेकर 2 किलोमीटर भिलंगना पावर प्रोजेक्ट के पावर हाउस तक नदी पूरी तरह सूख गई है.
पूर्व विधायक भीमलाल आर्य जाएंगे कोर्ट: उधर, घनसाली विधानसभा के पूर्व विधायक भीमलाल आर्य का आरोप है कि भिलंगना नदी पर बना भिलंगना पावर प्रोजेक्ट घुत्तू में संचालित हो रहा है और इससे पूरा घुत्तू प्रभावित है. उन्होंने नदी के प्रवाह को बंद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने देश-दुनिया के सभी पर्यावरणविदों से अनुरोध किया है कि वो इस मामले में संज्ञान लें. आर्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द ही नदी के प्रवाह को सही नहीं किया गया, तो इसके खिलाफ सरकार से लेकर न्यायालय तक जाएंगे.
जांच कराएंगे जिलाधिकारी: वहीं, इस मामले को लेकर टिहरी जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि इस प्रकरण में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कंपनी से बात की जाएगी. एनजीटी व पर्यावरण के मानकों को शत प्रतिशत लागू करवाया जाएगा. अगर जांच में सत्यता पाई जाएगी तो उनको नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी.
क्या कहते हैं प्रोजेक्ट अधिकारी: वहीं, जब हमने भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के अधिकारी गोविंद भंडारी से नदी के प्रभाव रोकने को लेकर बात की तो उनका कहना था कि वो भी इस बात से सहमत हैं कि नदी में 10 से 12 प्रतिशत पानी बहाना जरूरी है लेकिन पहली बार पानी डाउन हुआ है इसलिए ऐसा हुआ है, और वो इसे मेंटेन करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति साल में एक दो बार हो जाती है लेकिन वो इसे मेंटेन करने में लगे हैं.
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पहली बार पानी डाउन होने से स्थिति पैदा: भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के अधिकारी गोविंद भंडारी से जब हमारी नदी के प्रभाव रोकने को लेकर बात हुई, तो उनका कहना था कि पहली बार पानी डाउन हुआ है, इसलिए ऐसा हुआ है और हम इसे मेंटेन करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति साल में एक दो बार आती है.
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