टिहरी: सूचना के अधिकार के माध्यम से टिहरी बांध के पुनर्वास विभाग में एक्सग्रेसिया में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. जिसके बाद से ही विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. फर्जीवाड़े का ये मामला डीएम तक जा पहुंचा है. टिहरी जिलाधिकारी वी षणमुगम ने मामले पर बोलते हुए कहा कि इसकी जांच करवाई जाएगी. जिसके बाद ही मामले में किसी तरह की कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि देश हित के लिए टिहरी बांध का निर्माण किया गया था. बांध बनाते समय टिहरी झील के आसपास बसें गांव के लोगों को विस्थापित कर मकान और खेती के लिए जमीन दी गई थी. इसके साथ ही उन परिवारों के की सहूलियत के लिए पुनर्वास विभाग बनाया गया था. जिससे गांव वालों को सभी प्रकार की सुविधाएं दी गई. साल 1998 में विस्थापित किये गये परिवारों में 21 साल पूरे कर चुके परिवार के सदस्यों को पुनर्वास विभाग ने एक्सग्रेसिया के रूप में 43,500 रुपये का लाभ दिया था. जिसमें अब फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है.
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सूचना अधिकार से यह खुलासा हुआ कि रौलाकोट गांव के आशीष सिंह डंगवाल और अखिलेश सिंह डंगवाल के साथ-साथ घर के अन्य सदस्यों ने परिवार रजिस्टर की फर्जी नकल बनाने के साथ -साथ फर्जी तरीके से आवेदन करके पुनर्वास विभाग से 43,500 रुपये का एक्सग्रेसिया हड़प लिया. जबकि इनकी वर्तमान उम्र 30 साल है. इन लोगों ने धनराशि हड़पने के लिए फर्जी परिवार रजिस्टर की नकल में अपनी उम्र 1962 दिखाई.साथ ही अपने आप के अनपढ़ दिखाया है.
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आशीष डंगवाल ने अपने एक्सग्रेसिया आवेदन फॉर्म में अपनी फोटो की जगह रौलाकोट गांव के ही स्वर्गीय सुंदर सिंह डंगवाल की फोटो लगा दी. जबकि अखलेश सिंह डंगवाल ने अपने एक्सग्रेसिया आवेदन फॉर्म में पुरषोत्तम सिंह बिष्ट की फोटो लगाकर एक्सग्रेसिया की धनराशि निकाली.
जैसे ही ई टीवी भारत ने इस मामले को जिलाधिकारी के सामने रखा तो पुनर्वास विभाग में खलबली मच गई . जिलाधिकारी डॉ. वी षणमुगम ने कहा कि पुनर्वास विभाग से सभी अभिलेखों की जांच करवाई जाएगी. जांच में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.