टिहरी: भारत के पहले सिंगल संस्पेंशन डोबरा-चांठी पुल के मास्टिक पर कई जगहों पर दरारें पड़ गई हैं. इससे मास्टिक बिछाने वाली गुप्ता कंपनी की कार्य प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. सालों के लंबे इंतजार के बाद मिले डोबरा-चांठी पुल पर बिछी मास्टिक की दरारों को देखकर ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचनी शुरू हो गई हैं. 'डोबरा चांठी सस्पेंशन ब्रिज' के ऊपर बिछे मास्टिक के जोड़ों में दरार पड़ने से जनता में आक्रोश है. ग्रामीणों ने मास्टिक बिछाने वाली गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच करवाने की मांग की है. साल 2020 में बनकर तैयार हुए इस पुल पर छठवीं बार दरार पड़ी हैं.
प्रतापनगर की लाइफ लाइन है डोबरा-चांठी पुल: ग्रामीणों ने प्रतापनगर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले इस पुल की सुरक्षा के लिए थर्ड एजेंसी से जांच करवाने की बात भी कही है. जबकि गुप्ता कंपनी ने अपनी मन पसंद की थर्ड एजेंसी से जांच करवाई थी लेकिन फिर भी मास्टिक टूटने लगी है. अब उस थर्ड एजेंसी पर भी सवाल उठने लगे हैं. प्रतापनगर की जनता का कहना है कि अगर पुल पर घटिया तरीके से मास्टिक बिछाने वाली गुप्ता कंपनी के खिलाफ दोबारा जांच नहीं की जाती है तो वे एक बड़ा आंदोलन करेंगे.
लंबा रहा डोबरा चांठी पुल का इंतजार: बता दें कि, डोबरा चांठी पुल का निर्माण 2006 में शुरू हुआ था. वर्ष 2010 में इसका डिजाइन फेल होने के कारण इसका काम बंद करना पड़ा था. तब इस पुल के निर्माण पर 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी थी. इसके बाद 2016 में लोक निर्माण विभाग खंड ने 1.35 अरब की लागत से दोबारा इसका निर्माण कार्य शुरू शुरू किया. पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई. तब इसका डिजाइन दक्षिण कोरिया की योसीन कंपनी से तैयार करवाया गया. उसके बाद इस पुल का निर्माण कार्य तेजी से हुआ. 2018 में पुल के 3 सस्पेंडर टूट गए. जिससे निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया. तब तक पुल पर लगभग 3 अरब रुपए खर्च हो चुके थे. उसके बाद जैसे-तैसे पुल का काम फिर से शुरू किया गया.
मास्टिक के जोड़ों पर बार-बार पड़ रही दरारें: 8 नवंबर 2020 को डोबरा चांठी पुल का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. तब से अभी तक इस पुल के ऊपर बिछाई गई मास्टिक पर 6 बार दरार पड़ गई हैं. हर बार गुप्ता कंपनी मास्टिक पर पड़ी दरार पर केमिकल भरकर लीपापोती कर देती है. लोगों का आरोप है कि 4 महीने पहले मास्टिक पर पड़ी दरार पर केमिकल भरकर गुप्ता कंपनी ने इतिश्री करके अपना पूरा पेमेंट लिया और चली गयी.
अब पुल की जिम्मेदारी प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग बौराड़ी के हवाले छोड़ दी है. जबकि इस पुल को बनाने के लिए प्रतापनगर की जनता ने 15 साल का इंतजार किया. प्रतापनगर के लोगों ने अब इस पुल के मामले में किसी अन्य थर्ड पार्टी से जांच करवाने की मांग की है. साथ ही गुप्ता कंपनी के द्वारा जो मास्टिक बिछाई गई है, उस गुप्ता कंपनी के खिलाफ जांच बैठाने की भी मांग की है.
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मामले में टिहरी डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग बौराड़ी को निर्देश दिए हैं कि पुल की मेंटेनेंस में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए. इनको तत्काल ठीक करें वरना कड़ी कार्रवाई की जाएगी.