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विस्थापन की मांग को लेकर उग्र हुई महिलाएं, टिहरी झील प्रभावितों ने प्रदर्शन कर दोहराई डिमांड

टिहरी झील से प्रभावित ग्रामीणों ने विस्थापन (Demand for displacement of Tehri villagers) की मांग की है. प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि झील के पानी से गांव के मकानों और खेत खलिहानों में दरार पड़ चुकी हैं और कई बार विस्थापन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन (Protest over displacement) किया गया. परन्तु पुनर्वास विभाग के अधिकारियों द्वारा बार-बार महिलाओं को झूठा आश्वासन दिया जा रहा है.

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Published : Nov 1, 2022, 7:44 AM IST

Updated : Nov 1, 2022, 9:41 AM IST

टिहरी: बांध प्रभावित ग्रामीण पुनर्वास ऑफिस के बाहर रात भर ठंड में धरने में बैठे रहे. गुस्साए महिलाओं का कहना है कि अधिकारी नेता चैन की नींद सो रहे हैं, इसलिए उन्हें जगाने के लिए रात को भी प्रदर्शन करना पड़ रहा है.महिलाओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य इसलिए नहीं मांगा था कि महिलाओं को अपनी मांगों को लेकर रात को भी धरना देना पड़ रहा है. साथ ही अधिकारी सुध लेने तक नहीं पहुंच रहे हैं, जो सीधे महिलाओं का अपमान है.

जिले में टिहरी झील से प्रभावित ग्रामीणों ने विस्थापन (Demand for displacement of Tehri villagers) की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि टिहरी बांध की झील का जलस्तर बढ़ने से रौलाकोट, उठड़, पीपोला नांदगांव उप्पू, भलड़ियाना गांव के नीचे तक पानी (Tehri lake water reached the village) पहुंचने से वो खौफजदा हैं. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि वह जल्द से जल्द विस्थापन करें. ग्रामीणों का कहना है कि वो लगातार 20 सालों से अपने विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन पुनर्वास विभाग उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रहा है.

विस्थापन की मांग को लेकर उग्र हुई महिलाएं

टिहरी झील से प्रभावित (affected by tehri lake) रौलाकोट उठाड्ड पीपोला नांदगांव उप्पू, भलड़ियाना के ग्रामीण लगातार 20 सालों से विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन पुनर्वास विभाग की दोहरी नीति के कारण आधा दर्जन से अधिक गांवों को पात्रता की सूची में नहीं लिया गया. जबकि टिहरी झील के आसपास 25 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिन्हें विस्थापित नहीं किया गया है. जिसको लेकर रौलाकोट, नंदगांव, पीपोला, उठड़ आदि गांवों की महिलाओं ने विस्थापन की मांग को लेकर पुनर्वास ऑफिस के मुख्य दरवाजे पर धरना दिया. जिससे ऑफिस में काम कर रहे कर्मचारी आफिस के अंदर ही फंस गए. महिलाओं को मनाने के लिए मौके पर पुलिस बल को भी बुलाया गया.
पढ़ें-विस्थापन की मांग को लेकर टिहरी झील के किनारे ग्रामीणों का धरना, लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप

महिलाओं का कहना है कि झील के पानी से गांव के मकानों और खेत खलिहानों में दरार पड़ चुकी हैं. कई बार विस्थापन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन (Protest over displacement) किया गया. परन्तु पुनर्वास विभाग के अधिकारियों द्वारा बार-बार महिलाओं को झूठा आश्वासन दिया जा रहा है. मजबूरन उन्हें पुनर्वास ऑफिस के बाहर धरने पर बैठना पड़ रहा है. महिलाओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक पुनर्वास नीति के तहत 25 प्रतिशत बचे परिवारों को विस्थापित नहीं किया जाता है, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.

टिहरी: बांध प्रभावित ग्रामीण पुनर्वास ऑफिस के बाहर रात भर ठंड में धरने में बैठे रहे. गुस्साए महिलाओं का कहना है कि अधिकारी नेता चैन की नींद सो रहे हैं, इसलिए उन्हें जगाने के लिए रात को भी प्रदर्शन करना पड़ रहा है.महिलाओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य इसलिए नहीं मांगा था कि महिलाओं को अपनी मांगों को लेकर रात को भी धरना देना पड़ रहा है. साथ ही अधिकारी सुध लेने तक नहीं पहुंच रहे हैं, जो सीधे महिलाओं का अपमान है.

जिले में टिहरी झील से प्रभावित ग्रामीणों ने विस्थापन (Demand for displacement of Tehri villagers) की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि टिहरी बांध की झील का जलस्तर बढ़ने से रौलाकोट, उठड़, पीपोला नांदगांव उप्पू, भलड़ियाना गांव के नीचे तक पानी (Tehri lake water reached the village) पहुंचने से वो खौफजदा हैं. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि वह जल्द से जल्द विस्थापन करें. ग्रामीणों का कहना है कि वो लगातार 20 सालों से अपने विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन पुनर्वास विभाग उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रहा है.

विस्थापन की मांग को लेकर उग्र हुई महिलाएं

टिहरी झील से प्रभावित (affected by tehri lake) रौलाकोट उठाड्ड पीपोला नांदगांव उप्पू, भलड़ियाना के ग्रामीण लगातार 20 सालों से विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन पुनर्वास विभाग की दोहरी नीति के कारण आधा दर्जन से अधिक गांवों को पात्रता की सूची में नहीं लिया गया. जबकि टिहरी झील के आसपास 25 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिन्हें विस्थापित नहीं किया गया है. जिसको लेकर रौलाकोट, नंदगांव, पीपोला, उठड़ आदि गांवों की महिलाओं ने विस्थापन की मांग को लेकर पुनर्वास ऑफिस के मुख्य दरवाजे पर धरना दिया. जिससे ऑफिस में काम कर रहे कर्मचारी आफिस के अंदर ही फंस गए. महिलाओं को मनाने के लिए मौके पर पुलिस बल को भी बुलाया गया.
पढ़ें-विस्थापन की मांग को लेकर टिहरी झील के किनारे ग्रामीणों का धरना, लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप

महिलाओं का कहना है कि झील के पानी से गांव के मकानों और खेत खलिहानों में दरार पड़ चुकी हैं. कई बार विस्थापन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन (Protest over displacement) किया गया. परन्तु पुनर्वास विभाग के अधिकारियों द्वारा बार-बार महिलाओं को झूठा आश्वासन दिया जा रहा है. मजबूरन उन्हें पुनर्वास ऑफिस के बाहर धरने पर बैठना पड़ रहा है. महिलाओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक पुनर्वास नीति के तहत 25 प्रतिशत बचे परिवारों को विस्थापित नहीं किया जाता है, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.

Last Updated : Nov 1, 2022, 9:41 AM IST
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