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कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ग्रीन स्टेशन बनाए जाने की कवायद, सता रही भविष्य की चिंता

कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाए जाने की कवायद पर्यावरणविदों ने शुरू कर दी है. वहीं पर्यावरणविदों ने कहा कि ग्रीन रेलवे स्टेशन के तर्ज पर रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जाए.

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ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाने की मांग
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Published : Dec 24, 2019, 10:33 AM IST

टिहरी: कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाए जाने की कवायद पर्यावरणविदों ने शुरू कर दी है. आंदोलन के नेता समीर रतूड़ी ने कहा कि रेलवे लाइन से पर्वतीय क्षेत्रों में जहां खेती तबाह हो गई है और आने वाले समय में और भी खेत, बाग बगीचें व पेड़ पौधें प्रभावित होंगे. वहां पर ग्रीन रेलवे स्टेशन के तर्ज पर रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जाए.

ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाने की मांग

इसके साथ ही रतूड़ी ने बताया कि जहां से रेलवे लाइन गुजर गई है, उन स्थानों में ऐतिहासिक खेती अलग पहचान रखती हैं और इस बात का पूरा अंदेशा है कि रेलवे लाइन के निर्माण के बाद इन स्थानों की कृषि भूमि बढ़ते प्रदूषण से बर्बाद हो सकती है. जिस को बचाने के लिए उपाय किए जाएं साथ ही रेलवे लाइन के कारण हजारों पेड़ों का कटान हो रहा है, इसके लिए रेलवे लाइन के दोनों तरफ हरित पट्टी विकसित की जानी चाहिए.

अभियान के तहत पर्यावरणविदों ने इस बात पर संदेह प्रकट किया है कि अभी तक सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है. जिससे रेलवें लाइन पर बनने वाले स्टेशन पूर्णता प्रदूषण मुक्त हो और उनके पर्यटन को दृष्टिगत रखते हुए विकसित किया जाए. जिससे क्षेत्र को प्रदूषण से बचाया जा सकें. इसके लिए सबसे पहले रेलवे लाइन की पटरी के दोनों तरफ हरित पट्टी का निर्माण किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: दोस्त की बर्थडे पार्टी के लिए घर से निकले दो मासूम, ऐसा क्या हुआ कि सड़क पर लगे रोने

साथ ही हिमालय बचाओ अभियान के तहत पर्यावरणविदों की मांग है कि किसी भी प्रकार से प्रदूषण करने वाली वस्तुओं का प्रयोग स्टेशन पर न हो. वहीं स्टेशन में भोजन हेतु स्थानीय डिपो का प्रयोग हो ताकि स्थानीय लोगों की आर्थिकी स्थिति में बढ़ोतरी हो सके और स्टेशन को एक आदर्श मॉडल के रूप में तैयार किया जाए.

टिहरी: कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाए जाने की कवायद पर्यावरणविदों ने शुरू कर दी है. आंदोलन के नेता समीर रतूड़ी ने कहा कि रेलवे लाइन से पर्वतीय क्षेत्रों में जहां खेती तबाह हो गई है और आने वाले समय में और भी खेत, बाग बगीचें व पेड़ पौधें प्रभावित होंगे. वहां पर ग्रीन रेलवे स्टेशन के तर्ज पर रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जाए.

ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाने की मांग

इसके साथ ही रतूड़ी ने बताया कि जहां से रेलवे लाइन गुजर गई है, उन स्थानों में ऐतिहासिक खेती अलग पहचान रखती हैं और इस बात का पूरा अंदेशा है कि रेलवे लाइन के निर्माण के बाद इन स्थानों की कृषि भूमि बढ़ते प्रदूषण से बर्बाद हो सकती है. जिस को बचाने के लिए उपाय किए जाएं साथ ही रेलवे लाइन के कारण हजारों पेड़ों का कटान हो रहा है, इसके लिए रेलवे लाइन के दोनों तरफ हरित पट्टी विकसित की जानी चाहिए.

अभियान के तहत पर्यावरणविदों ने इस बात पर संदेह प्रकट किया है कि अभी तक सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है. जिससे रेलवें लाइन पर बनने वाले स्टेशन पूर्णता प्रदूषण मुक्त हो और उनके पर्यटन को दृष्टिगत रखते हुए विकसित किया जाए. जिससे क्षेत्र को प्रदूषण से बचाया जा सकें. इसके लिए सबसे पहले रेलवे लाइन की पटरी के दोनों तरफ हरित पट्टी का निर्माण किया जाना चाहिए.

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साथ ही हिमालय बचाओ अभियान के तहत पर्यावरणविदों की मांग है कि किसी भी प्रकार से प्रदूषण करने वाली वस्तुओं का प्रयोग स्टेशन पर न हो. वहीं स्टेशन में भोजन हेतु स्थानीय डिपो का प्रयोग हो ताकि स्थानीय लोगों की आर्थिकी स्थिति में बढ़ोतरी हो सके और स्टेशन को एक आदर्श मॉडल के रूप में तैयार किया जाए.

Intro:टिहरी
हिमालय बचाओ आंदोलन के नेता ने कि ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाने की मांग कहां ऐतिहासिक जगहों का किया जाए संरक्षितBody: कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर ग्रीन रेलवे स्टेशन बनाए जाने को लेकर हिमालय बचाओ आंदोलन ने पहल शुरू कर दी है आंदोलन के नेता समीर रतूडी ने कहा कि रेलवे लाइन से पर्वतीय क्षेत्रों में जहां खेती तबाह हो गई है और आने वाले समय में और भी खेती बाग बगीचे वह पेड़ पौधे प्रभावित होंगे वहां पर ग्रीन रेलवे स्टेशन के तर्ज पर रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जाए हिमालय बचाओ आंदोलन के नेता ने बताया कि जहां से रेलवे लाइन गुजर गई है उन स्थानों में बगवान का शेरा मलेथा का शेरा ने नैथाणा का शेरा गोचर का शेरा पहाड़ में ऐतिहासिक खेती की अलग पहचान रखते हैं और इस बात का पूरा अंदेशा है कि रेलवे लाइन के निर्माण के बाद इन स्थानों की कृषि भूमि बढ़ते प्रदूषण से बर्बाद हो सकती है जिस को बचाने के लिए उपाय किए जाएं साथ ही रेलवे लाइन के कारण हजारों पेड़ों को कटान हो रहा है इसके लिए रेलवे लाइन के दोनों तरफ हरित पट्टी विकसित की जाएConclusion:हिमालय बचाओ अभियान के तहत पर्यावरण वादियों ने इस बात पर संदेह प्रकट किया है कि अभी तक सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है यही नहीं रेलवे लाइन पर बनने वाले स्टेशन पूर्णता प्रदूषण मुक्त हो और उनके पर्यटन को दृष्टिगत रखते हुए विकसित किया जाए जिससे इस क्षेत्र का प्रदूषण भी बच सके पर्यावरण भी बच सके और पर्यटक भी देव भूमि का प्रदूषण मुक्त ढंग से आनंद उठा सकें इसके बाद मलेथा जैसे स्थानों की खेती पहाड़ की ऐतिहासिक पहचान मानी जाती है ऐसे ही कई अन्य ऐतिहासिक स्थलों को बचाए जाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए हिमालय बचाओ आंदोलन के लोगों ने कहा कि सबसे पहले रेलवे लाइन की पटरी के दोनों तरफ हरित पट्टी का निर्माण किया जाए स्टेशन पर संचालित पंखे वाला लाइट सोलर ऊर्जा से हो स्टेशन में किसी भी प्रकार से प्रदूषण करने वाली वस्तु का प्रयोग ना हो स्टेशन में भोजन हेतु स्थानीय डिपो का प्रयोग हो ताकि स्थानीय लोगों की आर्थिकी में बढ़ोतरी हो स्टेशन को एक आदर्श मॉडल के रूप में तैयार किया जाए

बाइट समीर रतूडी नेता हिमालय बचाओ आंदोलन
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