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श्रीदेव सुमन विवि में उपनल और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की बहाली की मांग तेज

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से बीते साल करीब 35 उपनल और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया था. उत्तराखंड जन एकता पार्टी ने कर्मचारियों की बहाली की मांग की है.

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कर्मचारियों की बहाली मांग
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Published : Sep 26, 2020, 3:32 PM IST

Updated : Sep 26, 2020, 4:53 PM IST

टिहरीः श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से हटाए गए उपनल और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सेवा बहाली की मांग को लेकर मुखर हो गए हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड जन एकता पार्टी ने बादशाहीथौल स्थित विवि मुख्यालय के बाहर सांकेतिक धरना दिया. साथ ही कुलसचिव दिनेश चंद्र को ज्ञापन सौंपकर कर्मचारियों की बहाली की मांग की.

कर्मचारियों की बहाली मांग तेज.

गौर हो कि बीते साल श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि की ओर से करीब 35 उपनल और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को हटा दिया गया था. जिसे लेकर उत्तराखंड जन एकता पार्टी के पदाधिकारियों ने धरना दिया. पदाधिकारियों का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में जब विवि को स्थापित करना था, तब उक्त कार्मिकों ने सेवाएं दी, लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है. जिससे उनके सामने आर्थिक और भविष्य की चिंताएं सताने लगी है.

ये भी पढ़ेंः मुख्य सचिव ने किया E-office का रिव्यू, 20 दिन में सिक्योरिटी ऑडिट के निर्देश

उजपा के जिलाध्यक्ष संजय मैठाणी कहा कि सात सालों से कई स्थानीय युवा विवि में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन बीते साल उन्हें अचानक सेवा से हटा दिया गया. जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट संकट खड़ा हो गया. साथ ही कहा कि एक ओर सरकार लोकल फॉर वोकल का नारा दे रही है. वहीं, स्थानीय युवाओं को सेवा से हटाया जाना न्याय संगत नहीं है.

टिहरीः श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से हटाए गए उपनल और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी सेवा बहाली की मांग को लेकर मुखर हो गए हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड जन एकता पार्टी ने बादशाहीथौल स्थित विवि मुख्यालय के बाहर सांकेतिक धरना दिया. साथ ही कुलसचिव दिनेश चंद्र को ज्ञापन सौंपकर कर्मचारियों की बहाली की मांग की.

कर्मचारियों की बहाली मांग तेज.

गौर हो कि बीते साल श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि की ओर से करीब 35 उपनल और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को हटा दिया गया था. जिसे लेकर उत्तराखंड जन एकता पार्टी के पदाधिकारियों ने धरना दिया. पदाधिकारियों का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में जब विवि को स्थापित करना था, तब उक्त कार्मिकों ने सेवाएं दी, लेकिन अब उन्हें हटा दिया गया है. जिससे उनके सामने आर्थिक और भविष्य की चिंताएं सताने लगी है.

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उजपा के जिलाध्यक्ष संजय मैठाणी कहा कि सात सालों से कई स्थानीय युवा विवि में अपनी सेवाएं दे रहे थे, लेकिन बीते साल उन्हें अचानक सेवा से हटा दिया गया. जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट संकट खड़ा हो गया. साथ ही कहा कि एक ओर सरकार लोकल फॉर वोकल का नारा दे रही है. वहीं, स्थानीय युवाओं को सेवा से हटाया जाना न्याय संगत नहीं है.

Last Updated : Sep 26, 2020, 4:53 PM IST
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