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बॉलीवुड में लोहा मनवा चुके ये एक्टर अब लोगों के लिए बन रहे नजीर, पहाड़ों पर कर रहे ये बड़ा काम

बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हरीश काला इन दिनों लोगों के लिए नजीर बन रहे हैं. हरीश काला ने रिवर्स पलायन कर लोगों के सामने एक उदाहरण पेश किया है.

बॉलीवुड एक्टर ने रिवर्स पलायन कर दिया बड़ा संदेश.
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Published : Aug 2, 2019, 11:24 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 11:39 PM IST

श्रीनगर: उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार हो रहा पलायन प्रदेश के लिए वाकई चिंता की बात है. ऐसे में हर बार पलायन को रोकने के लिए रिवर्स पलायन पर बात तो की जाती है लेकिन ये धरातल पर कम ही देखने को मिलता है. आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहा है जोकि तमाम सुख सुविधाओं को छोड़कर अपनी मिट्टी की ओर वापस लौटा. रिवर्स पलायन कर लोगों के लिए नजीर बन रहे हरीश काला कोई आम व्यक्ति नहीं हैं. हरीश काला एक एक्टर हैं जोकि कई फिल्मों और हिंदी धारावाहिकों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं.

बॉलीवुड एक्टर ने रिवर्स पलायन कर दिया बड़ा संदेश.

श्रीनगर गढ़वाल से 10 किमी दूर हरे-भरे पेड़ों के बीच क्यूंसू गांव में रह रहे ये बुर्जग हरीश काला ने करीब 30 साल हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में काम किया. हरीश काला 25 साल की उम्र में गांव छोड़कर मुम्बई चले गये थे. जहां उन्होंने कई सालों तक संघर्ष किया. साल 1989 में बाल दिवस से शुरू हुए अन्तरराष्ट्रीय बाल फिल्म फेस्टिवल में लेखक शेखर जोशी की कहानी दाज्यू पर बनी 'दाज्यू' फिल्म को फिल्म फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म के तौर पर चयनित किया गया. जिस फिल्म को खुद बाॅलीवुड के महानायक अभिताभ बच्चन समेत कई जानी मानी हस्तियों ने भी खूब सराहा.

पढ़ें-जल्द बदलेगी नवोदय विद्यालयों की तस्वीर, मौजूद होंगी राष्ट्रीय स्तर की हर सुविधाएं

हरीश काला ने मुम्बई में 80-90 के दशक में कई जाने माने बैनरों में काम किया. उन्होनें दाज्यू फिल्म समेत डीआर इसारा की औरत का इन्तकाम, एलवी प्रसाद की उधार का सिन्दूर, लखनऊ दूरदर्शन की पहली फीचर फिल्म मृत्युदंड समेत 35 से ज्यादा फिल्मों व कई दूरदर्शन धारावाहिकों और एड फिल्मों में अभिनय किया. उतराखंड से ही तालुकात रखने वाले शेखर जोशी की दाज्यू कहानी पर बनी फिल्म ने उन्हें पहचान दी. जिसमें उन्होनें लाखों लोगों के बीच उतराखंड के पहाड़ी लड़के की भूमिका निभाकर उतराखंड को भी विश्वमंच पर दिखाया.

पढ़ें-तेलंगाना में भीषण सड़क हादसा, एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत

आज के दौर में जहां लोग सुविधाओं के लिए पहाड़ी इलाकों से लगातार पलायन कर रहे हैं वहीं हरीश काला ने तमाम सुख सुविधाएं होने के बाद भी गांव की ओर रुख किया. आज हरीश काला उन सब लोगों के लिए एक नजीर बन रहे हैं जोकि नौकरी की तलाश में बाहर जाकर वहीं बस जाते हैं.

श्रीनगर: उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार हो रहा पलायन प्रदेश के लिए वाकई चिंता की बात है. ऐसे में हर बार पलायन को रोकने के लिए रिवर्स पलायन पर बात तो की जाती है लेकिन ये धरातल पर कम ही देखने को मिलता है. आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहा है जोकि तमाम सुख सुविधाओं को छोड़कर अपनी मिट्टी की ओर वापस लौटा. रिवर्स पलायन कर लोगों के लिए नजीर बन रहे हरीश काला कोई आम व्यक्ति नहीं हैं. हरीश काला एक एक्टर हैं जोकि कई फिल्मों और हिंदी धारावाहिकों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं.

बॉलीवुड एक्टर ने रिवर्स पलायन कर दिया बड़ा संदेश.

श्रीनगर गढ़वाल से 10 किमी दूर हरे-भरे पेड़ों के बीच क्यूंसू गांव में रह रहे ये बुर्जग हरीश काला ने करीब 30 साल हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में काम किया. हरीश काला 25 साल की उम्र में गांव छोड़कर मुम्बई चले गये थे. जहां उन्होंने कई सालों तक संघर्ष किया. साल 1989 में बाल दिवस से शुरू हुए अन्तरराष्ट्रीय बाल फिल्म फेस्टिवल में लेखक शेखर जोशी की कहानी दाज्यू पर बनी 'दाज्यू' फिल्म को फिल्म फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म के तौर पर चयनित किया गया. जिस फिल्म को खुद बाॅलीवुड के महानायक अभिताभ बच्चन समेत कई जानी मानी हस्तियों ने भी खूब सराहा.

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हरीश काला ने मुम्बई में 80-90 के दशक में कई जाने माने बैनरों में काम किया. उन्होनें दाज्यू फिल्म समेत डीआर इसारा की औरत का इन्तकाम, एलवी प्रसाद की उधार का सिन्दूर, लखनऊ दूरदर्शन की पहली फीचर फिल्म मृत्युदंड समेत 35 से ज्यादा फिल्मों व कई दूरदर्शन धारावाहिकों और एड फिल्मों में अभिनय किया. उतराखंड से ही तालुकात रखने वाले शेखर जोशी की दाज्यू कहानी पर बनी फिल्म ने उन्हें पहचान दी. जिसमें उन्होनें लाखों लोगों के बीच उतराखंड के पहाड़ी लड़के की भूमिका निभाकर उतराखंड को भी विश्वमंच पर दिखाया.

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आज के दौर में जहां लोग सुविधाओं के लिए पहाड़ी इलाकों से लगातार पलायन कर रहे हैं वहीं हरीश काला ने तमाम सुख सुविधाएं होने के बाद भी गांव की ओर रुख किया. आज हरीश काला उन सब लोगों के लिए एक नजीर बन रहे हैं जोकि नौकरी की तलाश में बाहर जाकर वहीं बस जाते हैं.

Intro:Body:स्टोरी नाम - RIVERSE MIGRATION

Mohan Kumar


एंकर- उतराखंड में पर्वतीय क्षेत्रांे से पलायन होने की हम कई खबरें आपको दिखाते हैं लेकिन आज हम ऐसे सख्सशियत की खबर दिखा रहे हैं जिसने रिवर्स पलायन करके पलायन कर चुके लोगों को एक सन्देश देने की काशिश की है कि जन्मभूमि को छोड़कर आप कितने ही मुकाम पा लो लेकिन अपनी मिट्टी में जो सुख है वो कही और नही देखिए एक रिर्पोट-


वीओ-1- श्रीनगर गढवाल से 10 किमी दूर हरे भरे पेड़ों के बीच क्यूंसू गांव में रह रहे ये बुर्जग सख्सयित हरीश काला है, जिन्होंने करीब 30 साल हिन्दी फिल्म इन्ड्रस्टी में काम किया, हरीश काला 25 साल की उम्र में गांव छोड़कर मुम्बई चले गये थे और कई सालों के संघर्ष के बाद उनके काम को तब सराहा गया जब 1989 में बाल दिवस से शुरू हुए अन्तराष्ट्रीय बाल फिल्म फेस्टेवल में लेखक शेखर जोशी की कहानी दाज्यू पर बनी दाज्यू फिल्म को फिल्म फेस्टवल की आॅपनिंग फिल्म चयनित किया गया जिस फिल्म को खुद बाॅलीवुड के महानायक अभिताभ बच्चन समेत कई जानी मानी हस्तियों ने पसन्द किया।

बाइट-1- हरीश काला एक्टर


वीओ-2- हरीश काला ने मुम्बई में कई 80-90 के दशक में कई जाने माने बैनर में काम किया उन्होनें दाज्यू फिल्म समेत डी आर इसाारा की औरत का इन्तकाम, एलवी प्रसाद की उधार का सिन्दूर, लखनऊ दूरदर्शन की पहली फीचर फिल्म मृत्र्युदण्ड समेत 35 से ज्यादा फिल्मों व कई दुरदर्शन धारावाहिकों एड फिल्मों में अभिनय किया। उतराखंड से ही तालुकात रखने वाले शेखर जोशी की दाज्यू कहानी पर बनी फिल्म ने उन्हें खासी पहचान दी जिसमें उन्होनें लाखों लोगों के बीच उतराखंड के पहाड़ी लड़के की भूमिका निभाकर उतराखंड को भी विश्वमंच पर लाया।

बाइट-2- हरीश काला एक्टर
बाइट-3 - विजय सिंह रिसर्च स्कॉलर गढ़वाल विवि


वीओ फाइनल- हरीश काला आज उतराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन कर चुके उन लोगों के लिए सबक के पर्याय है जिनके पुश्तैनी घरांे में ताले लग चुके हैं ,जिनके घरों के कहीं छत गायब है तो कहीं खेत बंजर हो चुके हैं, ऐसे में उनका जन्मभूमि से जुड़ा प्यार निश्चित रूप से पलायन कर चुके लोगों के लिए एक सच्चा सन्देश है।Conclusion:
Last Updated : Aug 2, 2019, 11:39 PM IST
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