धनोल्टी: बीते साल टिहरी जिले के सेमवाल गांव के रहने वाले कमलेश भट्ट की संयुक्त अरब इमारात की राजधानी अबू धाबी में मौत हो गई थी. तब कमलेश भट्ट के पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए परिवार को भटकना पड़ा था. बड़ी मुश्किलों के बाद कमलेश के शव को केंद्र और राज्य सरकार की मदद से उसके परिजनों तक पहुंचाया गया था. अब फिर से टिहरी के रमोलसारी गांव के भाग सिंह को ऐसे ही हालातों से दो-चार होना पड़ रहा है. गरीबी और मजबूरी में दिन काट रहे भाग सिंह के छोटे बेटे की 24 अगस्त को नाइजीरिया में मौत हो गई, जिसके बाद से ही भाग सिंह का परिवार और पूरा गांव राज्य और केंद्र सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं.
भूस्खलन में भाग सिंह ने पत्नी को खोया: हालातों से जूझते, कठिनाइयों से लड़ते हुए गरीब परिवार में जन्मे भाग सिंह ने किसी तरह अपना डगमगाते जीवन को राह दी. दिव्यांग होने के बाद भी भाग सिंह ने गांव में दिन-रात मेहनत मजदूरी की और घर परिवार को चलाया. लेकिन साल 2005-06 में गांव में आये भूस्खलन ने भाग सिंह की पत्नी को उससे छीन लिया, जिसके बाद बच्चों के लालन-पालन का सारा जिम्मा भाग सिंह के कंधों पर आ गया. भाग सिंह की दिनचर्या भी बच्चों के इर्द-गिर्द घूमने लगी. वह बच्चों को पढ़ाने लिखाने के साथ ही खेती-बाड़ी और मजदूरी भी करता.
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नाइजीरिया के होटल में लगी बड़े बेटे की नौकरी: कुछ समय बाद भाग सिंह की मेहनत रंग भी लाई. कुछ सालों बाद उसका बड़ा बेटा भाव सिंह नौकरी के लिए नाइजीरिया गया, जहां उसने एक होटल में नौकरी की. बेटे की नौकरी लगने के बाद भाग सिंह को लगा जैसे किस्मत बदलने वाली है. उसने बड़े बेटे की शादी कर दी. इसके कुछ ही दिनों बाद उसका छोटा बेटा जबर सिंह भी नाइजीरिया चला गया. वो भी वहां होटल में नौकरी करने लगा.
बेटे की असमय मौत ने तोड़ी हिम्मत: जब तक भाग सिंह अपनी खुशी के और दिन देख पाता, तभी नाइजीरिया में उसके बड़े बेटे भाव सिंह की तबीयत खराब हो गई, जहां से उसे वापस भारत भेज दिया गया. भाव सिंह को देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कुछ दिनों बाद उसने दम तोड़ दिया. बड़े बेटे की मौत के बाद बुजुर्ग भाग सिंह के कंधों पर बड़ी बहू की जिम्मेदारी भी आ गई. तब छोटे बेटे जबर सिंह ने पिता को ढांढस बंधाया. कुछ समय बाद भाग सिंह ने छोटे बेटे जबर सिंह की भी शादी कर दी.
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जबर सिंह को एक बेटा और एक बेटी हुई. तब भाग सिंह को एक बार फिर लगा कि भले ही खुशियां कुछ समय के लिए उससे रूठी हों, मगर अब उन खुशियों ने उसके घर का पता ढूंढ लिया है. भाग सिंह अब अपनी दो बहुओं और पोती-पोते के साथ हंसी खुशी से दिन बिता रहे थे. छोटा बेटा भी नाइजीरिया में काम करते हुए घरवालों की चिंता कर रहा था.
24 अगस्त को मिली छोटे बेटे की मौत की खबर: तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे भाग सिंह की सारी खुशियां मातम में बदल गई. बीती 24 अगस्त की सुबह भाग सिंह को अचानक छोटे बेटे की मौत की खबर मिली. ये खबर सुनकर भाग सिंह के पैरों तल जमीन खिसक गई. एकदम से दुनिया में अकेले हुए भाग सिंह की समझ नहीं आ रहा है कि आखिर ऐसे नाजुक दौर में वो करे तो करे क्या? जबर की मौत के बाद अब भाग सिंह के बूढ़े कंधों पर दो बहुओं और दो बच्चों बच्चों की भी जिम्मेदारी आ गई है. आज वो फिर उसी पुराने मुश्किल दौर में पहुंच गए हैं.
कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं परिवार: दर्द के इस दौर में भी अभागे भाग सिंह के बेटे के शव की चिंता सता रही है. बेटे के शव को कैसे दूर देश से लाया जाएगा, ये सोच-सोचकर भाग सिंह की आंखें भर आती हैं. भाग सिंह का परिवार इस मामले में अभी कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं है.
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केंद्र और राज्य सरकार से मदद की गुहार: उसकी इस हालत को देखते हुए स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता राज्य और केंद्र सरकार से जबर सिंह के पार्थिव शरीर को भारत लाने की मांग कर रहे हैं. नाजीरिया में रह रहे गांव के ही दूसरे युवक ने बताया कि अभी तक वहां की सरकार शव भेजने से इनकार कर रही है, जिसके कारण वो लगातार सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं.
सीएम ने लिखा विदेश मंत्री को पत्र: इस परिवार के दर्द के समझते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखा है. उन्होंने मामले से अवगत कराते हुए विदेश मंत्री से पीड़ित परिवार के मदद की बात कही है. ऐसे अब अब टूटते-बिखरते और दर्द में डूबे इस परिवार को राहत कब और कैसे मिलेगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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कमलेश भट्ट के परिवार को भी सरकार ने की थी मदद: बता दें ये कोई पहला मामला नहीं है जब किसी दूसरे देश से शव को लाने के लिए इतनी जद्दोजहद की जा रही हो. इससे पहले पिछले साल टिहरी के सेमवाल गांव के रहने वाले कमलेश भट्ट के शव को दुबई से लाया गया गया. तब कई दिनों चले घटनाक्रम के बाद आखिरकार कमलेश के शव को भारत लाया जा सका था.
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क्या हुआ था घटनाक्रम: टिहरी के रहने वाले कमलेश भट्ट नाम के युवक की मौत 17 अप्रैल 2020 को अबूधाबी में हुई थी. वो वहां की एक कंपनी में कार्यरत था. उसकी मौत की सूचना मिलने के बाद परिवार वालों ने विदेश मंत्रालय से सभी आवश्यक अनुमति प्राप्त कर ली थी.
23 अप्रैल को उसका शव भारत लाया गया था, लेकिन गृह मंत्रालय के एक सर्कुलर का हवाला देकर उसे वापस लौटा दिया था. इसके बाद कमलेश के चचेरे भाई विमलेश भट्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई.
तब ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था. उस समय राज्य सरकार ने भी इस मामले में कमलेश के परिवार की मदद की थी. 28 अप्रैल को कमलेश का शव भारत पहुंचा. जिसके बाद राज्य सरकार की मदद से शव ऋषिकेश लाया गया, जहां कमलेश का अंतिम संस्कार किया गया.