टिहरी: उत्तराखंड की जलवायु विभिन्न वनस्पतियों के लिए काफी अनुकूल है. ऐसे में इन दिनों अफ्रीका, एशिया, श्रीलंका और यूएसए में पाया जाने वाला ग्लोरिओसा (अग्निशिखा) के फूल टिहरी के अलगाड़ नदी के आसपास भारी संख्या में खिले हैं. ग्लोरिओसा का फूल औषधीय गुणों से भी भरपूर है. जिसका कई बीमारियों में उपयोग किया जाता है. लिहाजा, इन ग्लोरिओसा के फूलों के देखने के लिए पर्यटक खिचे चले आ रहे हैं.
वहीं, नैसर्गिक सुंदरता के साथ-साथ अग्निशिखा के फूल और बेल औषधीय गुणों से भरपूर भी है. आमतौर पर इसका अल्सर, कुष्ठ रोग और बवासीर जैसी बीमारियों के उपचार के लिए बनने वाली दवा में प्रयोग किया जाता है. वर्षाकाल में आरोही लता के रूप में खिलने वाला ग्लोरिओसा काफी सुंदर व औषधीय फूल है.
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इसका भारतीय नाम कलिहारी व कालाहारी है. यह कोल्चिकेसी (Colchicaceae) परिवार का सदस्य है. इसकी बेल को कई नामों से जाना जाता है. यह जंगल में सामान्य रूप से मिलता है. जिसके राइजोम आयताकार, अंग्रेजी के V आकार के सफेद रंग के होते हैं. यह अफ्रीका, एशिया, श्रीलंका और यूएसए में पाया जाता है. भारत में उत्तर पश्चिम हिमालय से लेकर असम और दक्षिणी प्रायद्वीप तक पाया जाता है.