रुद्रप्रयाग: विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की यात्रा का सबसे मुख्य पड़ाव गौरीकुंड है. यहां से ही बाबा केदार की पैदल यात्रा शुरू होती है. यात्रा शुरू करने से पहले बाबा केदार के भक्त गौरीकुंड में स्थित गर्म कुंड में स्नान करते हैं. कहते हैं मां गौरी ने भगवान शंकर को पाने के लिए जब तपस्या करती थी, तब वह वो इसी कुंड में स्नान करती थी. साल 2013 की आपदा के बाद से यह कुंड बेहद दयनीय स्थिति में है.
आपदा में पूरी तरह से ध्वस्त हुए इस कुंड का निर्माण गौरीकुंड के ग्रामीणों ने किया, लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां पर महिलाएं व पुरुष एक साथ स्नान कर रहे हैं, जबकि पहले ये व्यस्था अलग-अलग थी. महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम की भी कोई व्यवस्था नहीं है. केदारनाथ यात्रा के सबसे मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में गर्म पानी का कुंड है. नीचे से जहां मंदाकिनी नदी बह रही है. वहीं नदी से ठीक ऊपर गर्म पानी की धाराएं फूट रही हैं. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने के बाद ही केदारनाथ यात्रा शुरू होती है और केदारनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालु इसी कुंड में स्नान करके यात्रा शुरू करते हैं.
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16 एवं 17 जून 2013 की आपदा में यह कुंड तबाह हो गया था.आपदा के 7 सालों बाद गौरीकुंड के ग्रामीणों ने श्रमदान के जरिए इस कुंड का निर्माण किया. इस कुंड में श्रद्धालु स्नान करते हैं. महिलाओं के लिए यहां चेंजिंग रूम की भी कोई व्यवस्था नहीं है. महिलाओं को यहां स्नान करने में भारी दिक्कत हो रही है. आपदा से पहले यहां महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग-अलग कुंड की व्यवस्था थी. यहां पर महिलाओं के लिए नये कुंड का निर्माण तो हुआ है, लेकिन वह अभी संचालित नहीं हो पा रहा है. जबकि पुरुषों के लिए बनाये जा रहे कुंड का कार्य गतिमान है.
व्यापार संघ अध्यक्ष रामचन्द्र गोस्वामी एवं सुशील गोस्वामी ने कहा कि गौरीकुंड में गर्म कुंड का निर्माण भी स्थानीय लोगों ने श्रमदान करके किया है. जिला प्रशासन ने गर्म कुंड निर्माण में कुछ भी सहयोग नहीं किया. अब जिला प्रशासन से चेंजिंग रूम की मांग की जा रही है.