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UKD लड़ेगा मकान-जमीन से बेदखल परिवार की लड़ाई, पीड़ित परिवार की सुनी व्यथा - Rudraprayag evicted poor family from the land

रुद्रप्रयाग के लस्या पट्टी की ग्राम सभा पालाकुराली के रैखाल तोक में पिछले 7 दशकों से रहने वाले परिवार को उसके जमीन और मकान से बेदखल कर दिया गया है. ऐस में पीड़ित परिवार की मदद के लिए यूकेडी आगे आया है.

UKD will fight for victim family
सुनी पीड़ित परिवार की व्यथा
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Published : Aug 22, 2021, 3:19 PM IST

रुद्रप्रयाग: पिछले 70 वर्षों से लस्या पट्टी की ग्राम सभा पालाकुराली के रैखाल तोक में आजीविका चला रहे एक परिवार को जमीन और मकान से बेदखल किये जाने का उत्तराखंड क्रांति दल ने विरोध किया है. उक्रांद के युवा नेता मोहित डिमरी ने रैखाल पहुंचकर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का संकल्प लिया.

बता दें कि 70 साल पूर्व पालाकुराली गांव के गब्बर सिंह राणा ने आजीविका के लिए रैखाल नामक स्थान पर चाय-पानी की दुकान खोली थी. तब से पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार का रोजगार, यहां पर चल रहा है. यहां पर उन्होंने पूर्व में तीन कच्चे कमरे बनाये थे, जिनमें एक कमरा मवेशियों और दो कमरे अपने परिवार के लिए बनाए थे. साथ ही आजीविका के लिए एक छोटा सा ढाबा भी चलाते थे.

पिछले वर्ष वन विभाग ने यहां रह रहे परिवार को बेदखल कर दिया. गब्बर सिंह के छोटे बेटे उम्मेद सिंह के हिस्से में यह जगह आई थी. बताया जा रहा है कि जमीन से बेदखल होने के बाद से वह मानसिक तनाव में है और उसके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया था. जिस जमीन पर उसके बाप-दादा ने अपने खून पसीने से मेहनत की, उससे बेदखल होने का गम उसे ले डूबा. उम्मेद की पत्नी का देहांत वर्षों पूर्व हो गया था. अब उसकी तीन बेटियां अनाथ हो गई हैं. जिनका सहारा अब उनकी दादी है. जमीन से बेदखल होने का गम दादी को भी है.

ये भी पढ़ें: देहरादून में रूस की Sputnik-V का वैक्सीनेशन शुरू, कोरोना के खिलाफ जंग को मिलेगी रफ्तार

उक्रांद युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि आज इस परिवार के साथ सभी की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. हर कोई चाहता है कि इस परिवार को उसका हक वापस मिले. इस परिवार के पास पचास वर्ष पूर्व वन विभाग और जिला प्रशासन से किये गए पत्राचार की कॉपी भी है. पहले तो इस परिवार को जमीन का मालिकाना हक दिया जाता, अगर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा रहा है तो कम से कम परिवार के नाम पट्टे की जमीन की जाती. इस तरह किसी परिवार को उसके पुस्तैनी घर और पुरखों की जमीन से बेदखल किया जाना सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि आज उनके अनाथ बच्चे बेघर हो गए हैं. वन विभाग अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. जब तक न्याय नहीं मिल जाता, वह इस परिवार की लड़ाई लड़ेंगे. वहीं उक्रांद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने कहा कि एक ओर पूंजीपति लोग पहाड़ में जमीन हड़प रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर गरीबों को उनकी पुस्तैनी जमीन से बेदखल किया जा रहा है.

रुद्रप्रयाग: पिछले 70 वर्षों से लस्या पट्टी की ग्राम सभा पालाकुराली के रैखाल तोक में आजीविका चला रहे एक परिवार को जमीन और मकान से बेदखल किये जाने का उत्तराखंड क्रांति दल ने विरोध किया है. उक्रांद के युवा नेता मोहित डिमरी ने रैखाल पहुंचकर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का संकल्प लिया.

बता दें कि 70 साल पूर्व पालाकुराली गांव के गब्बर सिंह राणा ने आजीविका के लिए रैखाल नामक स्थान पर चाय-पानी की दुकान खोली थी. तब से पीढ़ी दर पीढ़ी उनके परिवार का रोजगार, यहां पर चल रहा है. यहां पर उन्होंने पूर्व में तीन कच्चे कमरे बनाये थे, जिनमें एक कमरा मवेशियों और दो कमरे अपने परिवार के लिए बनाए थे. साथ ही आजीविका के लिए एक छोटा सा ढाबा भी चलाते थे.

पिछले वर्ष वन विभाग ने यहां रह रहे परिवार को बेदखल कर दिया. गब्बर सिंह के छोटे बेटे उम्मेद सिंह के हिस्से में यह जगह आई थी. बताया जा रहा है कि जमीन से बेदखल होने के बाद से वह मानसिक तनाव में है और उसके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया था. जिस जमीन पर उसके बाप-दादा ने अपने खून पसीने से मेहनत की, उससे बेदखल होने का गम उसे ले डूबा. उम्मेद की पत्नी का देहांत वर्षों पूर्व हो गया था. अब उसकी तीन बेटियां अनाथ हो गई हैं. जिनका सहारा अब उनकी दादी है. जमीन से बेदखल होने का गम दादी को भी है.

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उक्रांद युवा नेता मोहित डिमरी ने कहा कि आज इस परिवार के साथ सभी की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. हर कोई चाहता है कि इस परिवार को उसका हक वापस मिले. इस परिवार के पास पचास वर्ष पूर्व वन विभाग और जिला प्रशासन से किये गए पत्राचार की कॉपी भी है. पहले तो इस परिवार को जमीन का मालिकाना हक दिया जाता, अगर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा रहा है तो कम से कम परिवार के नाम पट्टे की जमीन की जाती. इस तरह किसी परिवार को उसके पुस्तैनी घर और पुरखों की जमीन से बेदखल किया जाना सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि आज उनके अनाथ बच्चे बेघर हो गए हैं. वन विभाग अपने फैसले पर पुनर्विचार करे. जब तक न्याय नहीं मिल जाता, वह इस परिवार की लड़ाई लड़ेंगे. वहीं उक्रांद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भगत चौहान ने कहा कि एक ओर पूंजीपति लोग पहाड़ में जमीन हड़प रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर गरीबों को उनकी पुस्तैनी जमीन से बेदखल किया जा रहा है.

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