रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के चारधामों के बाद अब पंच केदारों के कपाट खोलने की तैयारियां भी शुरू हो गई है. पंच केदारों में से तृतीय केदार के रूप में विख्यात भगवान तुंगनाथ की डोली (Tritiya Kedar Lord Tungnath doli) आज अपने शीतकालीन गद्दीस्थल तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ से तुंगनाथ धाम के लिये रवाना हो गई है. आज और कल भगवान तुंगनाथ की पैदल यात्रा मक्कूमठ गांव के निकट स्थित भूतनाथ मंदिर में रहेगी और पांच मई को यात्रा पर्यटक स्थल चोपता पहुंचेगी. वहीं, छह मई की सुबह को डोली के तुंगनाथ पहुंचने पर ग्यारह बजे के करीब तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर के कपाट खोल दिये जाएंगे.
उत्तराखंड के पंच केदारों में से तृतीय केदार तुंगनाथ (Tritiya Kedar Lord Tungnath) है. इस बार भगवान तुंगनाथ के कपाट छह मई को खोले जा रहे हैं. तुंगनाथ मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया भी विधिवत शुरू हो गई है. आज भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल तुंगनाथ मंदिर मक्कूमठ में विधिवत पूजा के बाद भगवान तुंगनाथ की डोली धाम के लिए रवाना हो गई है. इस दौरान भगवान तुंगनाथ की डोली ने जगह-जगह भक्तों को आशीर्वाद दिया.
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वहीं, आज और कल भगवान तुंगनाथ की डोली भूतनाथ मंदिर में रहेगी. यहां भक्त भगवान तुंगनाथ को अनेक प्रकार के पकवानों को भोग लगाएंगे. वहीं, पांच मई को तुंगनाथ की डोली पर्यटक स्थल चोपता पहुंचेगी. जिसके बाद छह मई सुबह डोली तुंगनाथ धाम के लिये प्रस्थान करेगी. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट भी ग्रीष्मकाल के छह माह के लिये खोल दिये जाएंगे.
भगवान तुंगनाथ का मंदिर अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है. यहां पर भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है. तुंगनाथ धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ पर्यटक स्थल भी है. शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद यहां भारी संख्या में भक्त व पर्यटक पहुंचते हैं और यहां होने वाली बर्फबारी का आनंद लेते हैं. तुंगनाथ की पैदल यात्रा मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में विख्यात पर्यटक स्थल चोपता से शुरू होती है. चोपता से तुंगनाथ धाम की दूरी मात्र साढ़े तीन किमी है.