रुद्रप्रयाग: पिछली बार की अपेक्षा इस बार पर्वतीय अंचलों में बर्फबारी (Uttarakhand snowfall) नहीं हुई है. जिसका असर पर्यटन व्यवसाय पर पड़ रहा है. स्थानीय होटल कारोबारियों को आशा थी कि कोरोनाकाल के बाद इस बार पर्यटन से उनका व्यवसाय पटरी पर लौट आएगा. लेकिन पहाड़ों पर बर्फबारी ना होने से कारोबारी मायूस (Tourism business affected due to lack of snowfall) हैं, जबकि पर्यटक वापस लौटने को मजबूर हैं.
कड़ाके की ठंड से लोग परेशान: पहाड़ों में बिना बारिश के कड़ाके की ठंड पड़ रही है. यहां इंसान तो क्या जानवर भी अलाव का सहारा ले रहे हैं. वहीं दूसरी ओर विश्व विख्यात केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham snowfall) में अब सब कुछ जमने लग गया है. जनवरी जैसा ठंडा महीना चल रहा है, लेकिन धाम में बर्फबारी नहीं हो रही है. बर्फबारी नहीं होने से यहां ठंड का सितम अधिक बढ़ गया है. ठंड के चलते धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य भी प्रभावित (Kedarnath reconstruction work affected) हो गये हैं और कई मजदूर नीचे लौट आये हैं. इसके अलावा मिनी स्विट्जरलैंड चोपता (Mini Switzerland Chopta) में बर्फबारी नहीं होने से सैलानी नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में पर्यटन व्यवसाय भी ठप पड़ चुका है.
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इंसानों के साथ मवेशी ले रहे अलाव का सहारा: पहाड़ों में इन दिनों ठंड का सितम जारी है. बिना बारिश के कोरी ठंड का प्रकोप बढ़ गया है. लोग गांव से लेकर बाजारों में अलाव का सहारा ले रहे हैं. बाजार में घूमने वाले आवारा पशु भी आग के निकट आ रहे हैं. ठंड का सितम इतना अधिक है कि प्रातः सात बजे खुलने वाला रुद्रप्रयाग बाजार अब दस बजे खुल रहा है. ठंड के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लोग बाजार का रुख नहीं कर रहे हैं. विश्व विख्यात केदारनाथ धाम में पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बर्फबारी नहीं हो रही है. केदारनगरी पिछले वर्षों तक इन दिनों पांच फीट से अधिक बर्फ से ढकी रहती थी. इन दिनों धाम में एक इंच भी बर्फ नहीं है. धाम में ठंड इतनी अधिक बढ़ गई है कि वहां पेयजल के पाइप और नाले भी जमने लग गये हैं.
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स्थानीय व्यापारियों में मायूसी: ठंड के कारण केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य भी अब प्रभावित हो गये हैं. पुनर्निर्माण कार्यों में लगे मजदूर अब नीचे लौटने लग गये हैं. इसके अलावा इस बार मिनी स्विट्जरलैंड चोपता में भी बर्फबारी नहीं हुई है. इस कारण स्थानीय पर्यटन व्यवसाय भी चौपट हो गया है. पिछले साल की बात की जाए तो जनवरी माह में तृतीय केदार तुंगनाथ से लेकर चोपता में अच्छी खासी बर्फ जमी रहती थी. इस बार बुग्यालों में बर्फ नहीं गिरी है. ऐसे में पर्यटक भी मिनी चोपता दुगलबिट्टा में नहीं पहुंच रहे हैं और स्थानीय व्यापारियों में मायूसी छाई हुई है.