रुद्रप्रयाग: रोजगार और रेलवे से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण सहित विभिन्न मांगों को लेकर रेलवे परियोजना प्रभावित समिति (ग्राम पंचायत मरोड़ा-नगरासू) ने घोलतीर-नगरासू में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अगर उनकी मांगों का सकारात्मक हल नहीं निकलेगी तो मजबूरन ग्रामीण उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे. रेलवे प्रभावित समिति के अध्यक्ष गौरव चौधरी ने कहा कि प्रत्येक प्रभावित परिवार से एक व्यक्ति को परियोजना में रोजगार दिया जाए. निर्माण कार्यों के चलते उड़ रही धूल-मिट्टी से ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है और धूल-मिट्टी से घरों की सुरक्षा की जाए.
ग्रामीणों का कहना है कि बड़ी संख्या में बेरोजगार घरों में बैठे हैं. रेलवे में स्थानीय लोगों की जगह बाहरी लोगों को रोजगार दिया जा रहा है. सिंचाई नहर के क्षतिग्रस्त होने से खेत बंजर पड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि इसकी भरपाई भी रेलवे विकास निगम लिमिटेड को करनी चाहिए. रेलवे के कार्य से क्षतिग्रस्त हुए पैदल रास्तों का निर्माण होना चाहिए. रेलवे प्रभावित लक्ष्मण सिंह रावत और नरेंद्र बिष्ट ने कहा कि आरवीएनएल द्वारा प्रभावितों की उपेक्षा की जा रही है. आर्बिट्रेशन में शिकायत के बावजूद प्रभावितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है. पक्ष में फैसला आने के बाद आरवीएनएल और प्रशासन कोर्ट की शरण में जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: घोषणाएं पूरी करने में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र अव्वल, लगाया था अर्द्धशतक
उत्तराखंड क्रांति दल ने दिया रेलवे प्रभावितों को समर्थन
उत्तराखंड क्रांति दल ने रेलवे प्रभावितों की मांगों को जायज ठहराते हुए उनका समर्थन किया. यूकेडी के नेताओं का कहना है कि रेलवे से प्रभावित हर परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार मिलना चाहिए. कंपनी एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि किसी भी परियोजना में 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए. लेकिन आरवीएनएल इस कानून का उल्लंघन कर रही है. हमारे युवाओं के अंदर कौशल है और वह किसी भी फील्ड में बेहतर सेवाएं देने में सक्षम हैं.