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राम भरोसे चल रहा रुद्रप्रयाग जनपद, आपदा प्रबंधन अधिकारी समेत कई पद खाली - सीडीओ की नियुक्ति

रुद्रप्रयाग में एक साल से आपदा प्रबंधन अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है, जबकि मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) की कुर्सी 6 महीने से खाली है. इससे जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Aug 29, 2020, 2:23 PM IST

Updated : Aug 29, 2020, 5:04 PM IST

रुद्रप्रयाग. प्रदेश का रुद्रप्रयाग जनपद राम भरोसे चल रहा है. जहां एक ओर कोरोना महामारी के कारण जनता परेशान है, वहीं जिले में महत्वपूर्ण विभागों में अधिकारियों के पद रिक्त होने से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. रुद्रप्रयाग जनपद में एक साल से आपदा प्रबंधन अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है, जबकि मुख्य विकास अधिकारी की कुर्सी 6 महीने से खाली है. इसके साथ ही तहसीलों में जहां अधिकारियों का टोटा बना है, वहीं कर्मचारियों की भी कमी है. कई क्षेत्रों में पटवारियों के बिना ही चौकियां सूनी पड़ी हैं. ऐसे में आपदा से अति संवेदनशील जनपद राम भरोसे ही चल रहा है.

दूर-दराज क्षेत्रों से तहसील पहुंच रही जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो मुख्य विकास अधिकारी के न होने से कार्य प्रभावित हो रहे हैं. जनता की मानें तो भाजपा सरकार में जिले में अधिकारियों के रिक्त पद चल रहे हैं, जिस कारण जनता को भटकना पड़ रहा है और जन शिकायतें आलमारियों में धूल फांक रही हैं.

आपदा प्रबंधन अधिकारी समेत कई पद खाली.

बता दें, रुद्रप्रयाग जिले का निर्माण 16 सितंबर, 1997 को हुआ था और जिला निर्माण में अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ ब्लॉक को पूर्ण रूप और पोखरी एवं कर्णप्रयाग ब्लॉक का कुछ हिस्सा चमोली जिले से लिया गया. इसके साथ ही जखोली और कीर्तिनगर ब्लॉक का हिस्सा टिहरी से तथा खिरसू ब्लॉक का हिस्सा पौड़ी जिले से लिया गया. जिला निर्माण के बाद जनता को लगा था कि अब उनकी समस्याएं समय से हल हो पाएंगी, मगर ऐसा आज तक नहीं हो पाया. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी इसका बड़ा उदाहरण रही है. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी सिर्फ जनता को वोट बैंक तक सीमित रखा और अपने आशियाने देहरादून में बनाते रहे.

रुद्रप्रयाग जनपद में चार तहसीलें

रुद्रप्रयाग जिले में चार तहसीलें हैं, जिनमें रुद्रप्रयाग, जखोली, ऊखीमठ व बसुकेदार शामिल हैं. इन तहसीलों में अधिकारियों की तैनाती न होने से जनता को भटकना पड़ रहा है तो उप जिलाधिकारी के कार्यालय में बैठने का इंतजार करना पड़ता है. सुबह से शाम तक उप जिलाधिकारी का इंतजार करते-करते जनता थक जाती है, मगर उनके दीदार नहीं हो रहे हैं.

पढ़ें- भाई-बहन के पवित्र प्रेम व समर्पण का पर्व करमा हड़ी आज, अनोखी है कहानी

उप जिलाधिकारी के रवैये से जनता दुखी

रुद्रप्रयाग और ऊखीमठ तहसील में उप जिलाधिकारी के रवैये से जनता दुखी है. इसके साथ ही रुद्रप्रयाग और ऊखीमठ तहसील में तहसीलदार के न होने से जनता परेशान है. तहसील ऊखीमठ और रुद्रप्रयाग में तहसीलदार का पद रिक्त चल रहा है. रुद्रप्रयाग तहसील का जिम्मा जखोली तहसीलदार को दिया गया है, तो ऊखीमठ का जिम्मा बसुकेदार तहसीलदार संभाल रहे हैं. जखोली तहसील की तहसीलदार सप्ताह भर में एक दिन रुद्रप्रयाग तहसील में आ रही हैं और जनता को कामों को निपटा रही हैं, लेकिन एक दिन में काम को निपटाया जाना कहां तक संभव है.

अलमारियों में धूल फांक रहीं फाइलें

आरोप है कि महीनों से फाइलें आलमारियों में पड़ी हैं, जिन पर हस्ताक्षर करने के लिए उप जिलाधिकारी के पास समय नहीं है. उप जिलाधिकारी सिर्फ बैठकों तक ही सीमित रह गए हैं. तहसीलों में कर्मचारियों का रवैया भी जनता के प्रति सही नहीं है. वर्षों से कर्मचारी एक ही जगह पर टिके हैं. तहसीलों में कर्मचारियों का रवैया भी जनता के प्रति सही नहीं है. वर्षों से कर्मचारी एक ही जगह पर टिके हैं. इनका ट्रांसफर न होने से भी इनका व्यवहार जनता के प्रति सही नहीं है.

जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना है कि कहा कि आपदा प्रबंधन अधिकारी की नियुक्ति को लेकर कार्रवाई चल रही है, जबकि सीडीओ को लेकर शासन स्तर से वार्ता हो रही है. इसके अलावा अन्य रिक्त पदों को लेकर भी कार्रवाई की जा रही है.

आपदा से ग्रस्त जनपद में आपदा प्रबंधन अधिकारी का पद भी रिक्त चल रहा है, जबकि मुख्य विकास अधिकारी की कुर्सी भी खाली पड़ी है. ऐसे में आपदा के समय लोगों को समय से राहत नहीं पहुंचाई जा रही है, तो मुख्य विकास अधिकारी के न होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

रुद्रप्रयाग. प्रदेश का रुद्रप्रयाग जनपद राम भरोसे चल रहा है. जहां एक ओर कोरोना महामारी के कारण जनता परेशान है, वहीं जिले में महत्वपूर्ण विभागों में अधिकारियों के पद रिक्त होने से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. रुद्रप्रयाग जनपद में एक साल से आपदा प्रबंधन अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है, जबकि मुख्य विकास अधिकारी की कुर्सी 6 महीने से खाली है. इसके साथ ही तहसीलों में जहां अधिकारियों का टोटा बना है, वहीं कर्मचारियों की भी कमी है. कई क्षेत्रों में पटवारियों के बिना ही चौकियां सूनी पड़ी हैं. ऐसे में आपदा से अति संवेदनशील जनपद राम भरोसे ही चल रहा है.

दूर-दराज क्षेत्रों से तहसील पहुंच रही जनता को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो मुख्य विकास अधिकारी के न होने से कार्य प्रभावित हो रहे हैं. जनता की मानें तो भाजपा सरकार में जिले में अधिकारियों के रिक्त पद चल रहे हैं, जिस कारण जनता को भटकना पड़ रहा है और जन शिकायतें आलमारियों में धूल फांक रही हैं.

आपदा प्रबंधन अधिकारी समेत कई पद खाली.

बता दें, रुद्रप्रयाग जिले का निर्माण 16 सितंबर, 1997 को हुआ था और जिला निर्माण में अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ ब्लॉक को पूर्ण रूप और पोखरी एवं कर्णप्रयाग ब्लॉक का कुछ हिस्सा चमोली जिले से लिया गया. इसके साथ ही जखोली और कीर्तिनगर ब्लॉक का हिस्सा टिहरी से तथा खिरसू ब्लॉक का हिस्सा पौड़ी जिले से लिया गया. जिला निर्माण के बाद जनता को लगा था कि अब उनकी समस्याएं समय से हल हो पाएंगी, मगर ऐसा आज तक नहीं हो पाया. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता भी इसका बड़ा उदाहरण रही है. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी सिर्फ जनता को वोट बैंक तक सीमित रखा और अपने आशियाने देहरादून में बनाते रहे.

रुद्रप्रयाग जनपद में चार तहसीलें

रुद्रप्रयाग जिले में चार तहसीलें हैं, जिनमें रुद्रप्रयाग, जखोली, ऊखीमठ व बसुकेदार शामिल हैं. इन तहसीलों में अधिकारियों की तैनाती न होने से जनता को भटकना पड़ रहा है तो उप जिलाधिकारी के कार्यालय में बैठने का इंतजार करना पड़ता है. सुबह से शाम तक उप जिलाधिकारी का इंतजार करते-करते जनता थक जाती है, मगर उनके दीदार नहीं हो रहे हैं.

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उप जिलाधिकारी के रवैये से जनता दुखी

रुद्रप्रयाग और ऊखीमठ तहसील में उप जिलाधिकारी के रवैये से जनता दुखी है. इसके साथ ही रुद्रप्रयाग और ऊखीमठ तहसील में तहसीलदार के न होने से जनता परेशान है. तहसील ऊखीमठ और रुद्रप्रयाग में तहसीलदार का पद रिक्त चल रहा है. रुद्रप्रयाग तहसील का जिम्मा जखोली तहसीलदार को दिया गया है, तो ऊखीमठ का जिम्मा बसुकेदार तहसीलदार संभाल रहे हैं. जखोली तहसील की तहसीलदार सप्ताह भर में एक दिन रुद्रप्रयाग तहसील में आ रही हैं और जनता को कामों को निपटा रही हैं, लेकिन एक दिन में काम को निपटाया जाना कहां तक संभव है.

अलमारियों में धूल फांक रहीं फाइलें

आरोप है कि महीनों से फाइलें आलमारियों में पड़ी हैं, जिन पर हस्ताक्षर करने के लिए उप जिलाधिकारी के पास समय नहीं है. उप जिलाधिकारी सिर्फ बैठकों तक ही सीमित रह गए हैं. तहसीलों में कर्मचारियों का रवैया भी जनता के प्रति सही नहीं है. वर्षों से कर्मचारी एक ही जगह पर टिके हैं. तहसीलों में कर्मचारियों का रवैया भी जनता के प्रति सही नहीं है. वर्षों से कर्मचारी एक ही जगह पर टिके हैं. इनका ट्रांसफर न होने से भी इनका व्यवहार जनता के प्रति सही नहीं है.

जिलाधिकारी वंदना सिंह का कहना है कि कहा कि आपदा प्रबंधन अधिकारी की नियुक्ति को लेकर कार्रवाई चल रही है, जबकि सीडीओ को लेकर शासन स्तर से वार्ता हो रही है. इसके अलावा अन्य रिक्त पदों को लेकर भी कार्रवाई की जा रही है.

आपदा से ग्रस्त जनपद में आपदा प्रबंधन अधिकारी का पद भी रिक्त चल रहा है, जबकि मुख्य विकास अधिकारी की कुर्सी भी खाली पड़ी है. ऐसे में आपदा के समय लोगों को समय से राहत नहीं पहुंचाई जा रही है, तो मुख्य विकास अधिकारी के न होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

Last Updated : Aug 29, 2020, 5:04 PM IST
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