बाजपुर/लक्सर/जसपुर/रुद्रप्रयागः पुरानी पेंशन बहाली को लेकर उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले प्रदेश भर में शिक्षकों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान शिक्षकों ने नारेबाजी कर नई पेंशन योजना का जमकर विरोध किया. साथ ही इस योजना को एक धोखा करार दिया है. वहीं, प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर कर विभिन्न मांगों के निराकरण की मांग भी की है.
बाजपुर
उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के बाजपुर शाखा के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने ओपीएस बंद कर शिक्षकों और सभी कर्मचारियों के भविष्य पर कुठाराघात किया है. उन्होंने कहा कि एनपीएस में शिक्षकों और कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है. साथ ही शिक्षकों ने एनपीएस को एक धोखा और छलावा करार दिया.
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लक्सर
पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर लक्सर इकाई से जुड़े शिक्षकों ने खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ इकाई लक्सर के सह संयोजक प्रवीण कुमार और पूर्व सह संयोजक परविंदर सैनी ने कहा कि जब हम सरकार के सभी काम करते हैं तो वृद्धावस्था में जो पेंशन दी जाती है. उसे बहाल क्यों नहीं किया जा रहा है.
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जसपुर
उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले जसपुर शिक्षक संघ इकाई ने खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर एक दिवयीय धरना प्रदर्शन किया. पुरानी पेंशन बहाली समेत कई मांगों को लेकर शिक्षक सड़क पर उतरे. इस दौरान उन्होंने सरकार पर दोहरी नीति का अपनाने का आरोप लगाया. साथ ही राज्य सरकार से पेंशन बहाली की मांग की.
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रुद्रप्रयाग
उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ शाखा ऊखीमठ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया. इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि संगठन पुरानी पेंशन योजना, नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक सुदृढ़ीकरण और अन्य मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा है, लेकिन उनकी किसी भी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार नौनिहालों के स्वर्णिम भविष्य के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर मन बहला रही हैं. जबकि, संगठन 2006 से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा है, लेकिन उनकी मांगों को फाइलों में कैद किया जा रहा है. ऐसे में संगठन की मांगों पर शीघ्र अमल नहीं किया गया तो संगठन उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा.