रुद्रप्रयागः केदारनाथ यात्रा में पंजीकरण की व्यवस्था खत्म करने व यात्रा व्यवस्थाओं में सुधार लाने की मांग को लेकर आज केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग के व्यापारियों ने बाजार बंद (sonprayag market closed) कर दिया है. व्यापारियों का कहना है कि जगह-जगह यात्रियों को रोककर केदारघाटी के व्यापारियों का रोजगार प्रभावित किया जा रहा है और व्यापारियों को बेवजह परेशान किया जा रहा है. साथ ही सोनप्रयाग स्थित पार्किंग में बिना टेंडर के दो हजार बेड लगाए जाने से भी व्यापारियों में रोष है.
गुरुवार को केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग बाजार को व्यापारियों ने बंद रखा है. यहां चाय की दुकान तक नहीं खुली हैं. व्यापारियों का कहना है कि पंजीकरण की व्यवस्था को समाप्त किया जाये. साथ ही अन्य यात्रा व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाए. उनका कहना है कि जिला पंचायत रुद्रप्रयाग की सोनप्रयाग पार्किंग में अवैध रूप से बिस्तर बिछाकर यात्रियों को सुलाया जा रहा है, जिस कारण स्थानीय व्यक्तियों का रोजगार प्रभावित हो गया है. यह बिस्तर बिना अनुमति के ही बिछाए जा रहे हैं. उनका कहना है कि यात्रा चलने से उम्मीद थी कि केदारघाटी के लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन यात्रियों को जगह-जगह रोककर परेशान किया जा रहा है और यहां के लोगों का रोजगार भी प्रभावित किया जा रहा है.
वहीं, व्यापारियों के आंदोलन को जिला उद्योग व्यापार मंडल ने भी समर्थन दिया है. जिला उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अंकुर खन्ना का कहना है कि सरकार, शासन-प्रशासन को पंजीकरण की अनिवार्यता को समाप्त कर देना चाहिए. दो साल कोरोना महामारी के कारण केदारघाटी के व्यापारियों का व्यवसाय चौपट रहा है और इस बार पंजीकरण की अनिवार्यता होने से सीमित संख्या में ही तीर्थयात्री धाम पहुंच रहे हैं. इस कारण केदारघाटी के व्यापारियों में निराशा है.
13 हजार यात्री कर सकते हैं यात्राः शासन-प्रशासन द्वारा केदारनाथ यात्रा पर सीमित संख्या में तीर्थ यात्री भेजे जा रहे हैं. एक दिन में धाम में 13 हजार तीर्थ यात्री ही दर्शन कर सकते हैं. धाम की यात्रा पर आने के लिये यात्रियों को अपना पंजीकरण करना जरूरी है, जो यात्री बिना पंजीकरण के पहुंच रहे हैं, उन्हें पुलिस आधे रास्ते से वापस भेज रही है. यात्रियों के वापस जाने का असर केदारघाटी के रोजगार पर पड़ रहा है. यात्रियों के कम संख्या में पहुंचने से स्थानीय लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है, जिस कारण व्यापारी नाराज हैं. उन्होंने सरकार, शासन व प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया है.