रुद्रप्रयाग: केदारनाथ में आई प्रलयकारी आपदा को सात साल हो चुके हैं. इस प्रलयकारी आपदा ने पूरे केदारनाथ को बदल कर रख दिया था. इस आपदा के कारण हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, लाखों लोगों का रोजगार छिन गया तो वहीं हजारों लोगों से उनका आशियाना ही छिन गया. आपदा में कितने लोगों की जान गई इसका भी सटीक आंकड़ा किसी के पास नहीं है, लेकिन हजारों लोगों की मरने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है. इस आपदा में भारत के ही नहीं बल्कि विदेश के लोगों ने भी अपनी जान गंवाई थी. केदारनाथ की प्रलयकारी आपदा के चश्मदीद आज भी उस पल को सोचकर डर जाते हैं.
बता दें कि 16/17 जून वर्ष 2013 की भयावह केदारनाथ आपदा को शायद ही कोई भूल पाया हो. इस आपदा ने सबकी रूह को कंपा दिया था. केदारनाथ से आए भूचाल ने ऐसा तांडव मचाया कि लोगों के आशियाने तिनको की तरह उझड़ने लगे और हजारों लोग इस आपदा का शिकार हो गए. केदारनाथ आपदा में केदारघाटी के देवली-भणिग्राम, त्रियुगीनारायण, लमगौंडी के लोगों ने अपनो को खोया. इन गांवों में हर परिवार से एक से दो लोगों की जान इस आपदा के कारण गई थी. आपदा के बाद सरकार ने मदद तो की, लेकिन रोजगार को लेकर सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए. प्राइवेट संस्थाओं की ओर से पीड़ितों के आंसू पोछने का काम किया गया, जो नाकाफी ही रहा.
आपदा के बाद केदारनाथ में हेलीकाॅप्टर हादसे भी हुए, जिसमें वायु सेना के जवानों से लेकर यात्रियों ने अपनी जान गंवाई. साल 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान भी रेस्क्यू करते हुए वायु सेना के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर समेत तीन हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुुए थे. इन दुर्घटनाओं में कुल 23 लोगों की मौत हुई. वहीं, केदारनाथ में हुई भारी तबाही के बाद 19 जून को केंद्र सरकार ने वायु सेना को वहां रेस्क्यू की जिम्मेदारी सौंपी. इसके बाद नौ दिनों तक वायु सेना ने केदारनाथ धाम की पहाड़ियों पर रेस्क्यू कर हजारों लोगों की जान बचाई. इस दौरान वायु सेना को भारी नुकसान भी झेलना पड़ा था.
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25 जून 2013 को वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर गौचर से गुप्तकाशी होते हुए आपदा में मारे गए लोगों के दाह-संस्कार के लिए लकड़ी लेकर केदारनाथ पहुंचा था. केदारनाथ में लकड़ी छोड़कर जब हेलीकॉप्टर वापस लौट रहा था तो अचानक मौसम खराब होने के कारण दोपहर करीब दो बजे हेलीकॉप्टर पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गया. इस हादसे की सूचना शाम साढ़े चार बजे मिल पाई और दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर को ढूंढने में भी दो दिन लगे. इस हेलीकॉप्टर में सवार सभी 20 लोग काल के गाल में समा गए थे. इनमें वायु सेना के दो पायलट समेत पांच क्रू-मेंबर, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन बल) के नौ सदस्य और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के छह सदस्य शामिल थे.
आपदा के कुछ समय बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया गया. सबसे पहले चुनौती गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग को दुरूस्त करने की थी, जिसे 2014 में पूरा किया गया. इसके साथ ही बड़ी-बड़ी मशीनों को धाम में पहुंचाकर हेलीपैड, काॅटेज का निर्माण किया गया. इसके बाद वर्ष 2015 बाॅयो टायलेट, मंदिर के पीछे वीआईपी हेलीपैड और सुरक्षा दीवार, मंदाकिनी नदी व सरस्वती नदी पर घाट निर्माण किया गया. केदारनाथ में पहले तीन-चार सालों तक नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की टीम ने पुनर्निर्माण कार्य किया और इसके बाद जिंदल ग्रुप के पुनर्निर्माण का कार्य सौंपा गया. जिंदल ग्रुप और वुड स्टोन कंपनी केदारनाथ में वर्तमान समय में भी कार्य कर रहा है. अभी तीन बड़े प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ में कार्य हो रहे हैं. इनमें आदि गुरू शंकराचार्य समाधि स्थल, तीर्थ पुरोहित भवन और आस्था पथ का कार्य चल रहा है.
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बता दें कि केदारनाथ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगाध आस्था जुड़ी हुई है. 1980-90 के दशक में पीएम मोदी ने गरूड़चट्टी में तपस्या की थी. पीएम मोदी ने केदारनाथ आपदा के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए अपने लोगों का हेलीकाॅप्टर के जरिये सकुशल रेक्स्यू कराया था. प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी अब तक तीन बार केदारनाथ दौरा कर चुके हैं और उनके पांच ड्रीम प्रोजेक्ट का काम केदारनाथ में चल रहा है. इनमें से दो प्रोजेक्ट पूरे हो गए है. केदारनाथ धाम में गुफाओं का निर्माण और मंदिर से सरस्वती नदी तक पैदल मार्ग का चौड़ीकरण दोनों ही कार्य पूरे हो गये हैं.
वहीं, वर्ष 2019 में केदारनाथ धाम की यात्रा ने पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए. बीते वर्ष जहां पूरे यात्रा सीजन में कुल 7,32,241 तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन कर नया कीर्तिमान बनाया था. वहीं 2019 में महज डेढ़ महीने की यात्रा में ही 7,35,032 यात्रियों के दर्शन करने से यह रिकार्ड भी टूट गया. पूरे सीजन में दस लाख तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए. वर्ष 1988 से लेकर 1999 तक करीब एक से डेढ़ लाख यात्री ही प्रतिवर्ष केदारनाथ धाम के दर्शनों को पहुंचते थे. जबकि, वर्ष 2000 से लेकर 2005 तक यह संख्या बढ़कर प्रतिवर्ष लगभग ढाई से 3 लाख हुई. वर्ष 2006 से यात्रियों की संख्या में इजाफा होने लगा. वर्ष 2012 में अत्यधिक बर्फबारी के बाद भी पूरे सीजन में करीब 5 लाख 73 हजार यात्री दर्शनों को पहुंचे. जिसके बाद वर्ष 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा आई और त्रासदी से यहां पूरी तरह यात्रा ठप हो गई.
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2014 में पूरे साल बमुश्किल 40,832 यात्री ही केदारनाथ में दर्शन के लिए पहुंचे थे. जबकि वर्ष 2015 में 1,54430, वर्ष 2016 में 3,95,033 और वर्ष 2017 में 4,71,235 लोगों ने केदार बाबा के दर्शन किए. वर्ष 2018 सरकार, प्रशासन और पुलिस के लिए विशेष रहा. इस पूरे साल 7,32,241 यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए और तब सभी ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया. जिसके बाद वर्ष 2019 की यात्रा ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए.