रुद्रप्रयाग: कालीमठ घाटी में आपदा के निशान आज भी ताजा हैं. आपदा को बीते सात साल चुके हैं, लेकिन घाटी के रूच्छ महादेव में अभी तक सरस्वती नदी पर पैदल झूला पुल नहीं बन पाया है. जिस कारण स्थानीय ग्रामीण और श्रद्धालुओं को जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. ग्रामीण कई बार शासन-प्रशासन को समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन पुल निर्माण की दिशा में कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई है. पुल नहीं बनने से ग्रामीण और श्रद्धालुओं को नदी ट्रॉली के सहारे पार करनी पड़ रही है.
दरअसल, 16-17 जून वर्ष 2013 की विनाशकारी आपदा के समय कालीमठ घाटी में सरस्वती नदी पर बना पैदल झूला पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था. स्थानीय को उम्मीद थी कि पुल का निर्माण कार्य शीघ्र हो जाएगा, लेकिन आपदा के सात साल बीत जाने के बाद भी पैदल झूला पुल नहीं बन पाया.
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पिछले सात वर्षों से झूला पुल निर्माण का कार्य अधूरा लटका हुआ है. ग्रामीण कई बार पुल निर्माण की मांग कर चुके हैं, लेकिन पुल नहीं बन पाया है. ट्रॉली में सफर करते समय ग्रामीणों के साथ कई घटनाएं भी घट चुकी हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.