रुद्रप्रयाग: विश्व-विख्यात केदारनाथ धाम में पहुंचने वाले भक्तों को अब केदारनाथ धाम में आध्यात्म से जुड़ी गुफाओं के दर्शन के लिये कीमत चुकानी होगी. प्रदेश सरकार गुफाओं का आधुनिकीकरण करके गुफाओं में सुविधाएं जुटा रही है. जिसकी कीमत टैक्स के तौर पर यहां पहुंचने वाले भक्तों से वसूली जाएगी. वहीं, केदारनाथ धाम का संत समाज और तीर्थ पुरोहित इस पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं.
बता दें 16-17 जून 2013 की आपदा के बाद से केदारधाम में पुनर्निर्माण कार्य जारी है. केदारनाथ धाम के आधुनिकीकरण के साथ-साथ इसे सभी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है, ताकि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो. केदारधाम के पुनर्निर्माण पर खुद प्रधानमंत्री मोदी नजर बनाये हुये हैं. कई कार्य प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल हैं.
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केदारनाथ में गरुड़चट्टी सहित कई अन्य गुफाएं हैं, जहां यात्राकाल के छह महीने तक अनेक साधु संत तपस्या करते हैं. मगर देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद अब ये गुफाएं सरकार के अधीन में आ जाएंगी. जिसके बाद साधु-संत न तो यहां तपस्या कर सकेंगे और न ही यहां रह सकेंगे. इसके अलावा यहां पहुंचने और देखने वाले भक्तों को भी इसके लिए अलग से पैसा चुकाना पड़ेगा.
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राज्य सरकार इन गुफाओं का नवीनीकरण कर रही है. यहां मौजूद गुफाओं को हाईटेक किया जा रहा है. इनमें शौचालय सहित तमाम सुविधाओं को तैयार किया जा रहा है. अब जो भी भक्त यहां साधना करेगा उसे किराया देना पड़ेगा. कुल मिलाकर कहा जाये तो भोलेनाथ की भक्तिमय नगरी में अब आध्यत्म और आस्था के लिए जो सिस्टम तैयार किया जा रहा है वह पूरी तरह बाजारवाद की ओर जा रहा है. जिसका केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित और संत समाज पुरजोर विरोध कर रहे हैं.