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हाल-ए-स्वास्थः यहां अस्पताल की बिल्डिंग है आलीशान, लेकिन मरीज होते हैं परेशान

रुद्रप्रयाग अस्पताल में इमरजेंसी सेवाओं से लेकर ओपीडी तक प्रभावित.

रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में स्टाफ के टोटे से परेशान मरीज.
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Published : Jun 9, 2019, 9:09 PM IST

Updated : Jun 9, 2019, 9:48 PM IST

रुद्रप्रयाग: कहते हैं हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और होते हैं. ये कहावत रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल पर सटीक बैठती है. यहां मरीजों के इलाज के लिए आलीशान भवन तो बना दिया गया, लेकिन हॉस्पिटल में इलाज करवाने पहुंच रहे मरीजों को खराब पड़ी मशीन, नर्स और वार्ड ब्वॉय की भारी कमी की वजह से प्राइवेट क्लीनिकों की ओर रुख करना पड़ता है.

रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में स्टाफ का टोटा.

जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां सुविधाओं का टोटा बना हुआ है. यहां जनता के लंबे संघर्ष के बाद अस्पताल में अब कहीं जाकर डॉक्टरों की तैनाती हुई है, लेकिन स्टाफ की कमी अभी भी बनी हुई है. ऐसे में डॉक्टरों के साथ ही मरीज भी परेशान हैं. तीन फ्लोर के चिकित्सालय भवन में डॉक्टर और फार्मासिस्ट को ही दौड़ लगानी पड़ती है.

पढ़ें- तीर्थनगरी में अधर्मः लोगों से 50 की जगह वसूल रहे 150 रुपये, पूछने पर देतें हैं ये तर्क

अस्पताल में पिछले दो हफ्तों से अल्ट्रासाउंड मशीन भी खराब है. अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होने से सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं को हो रही हैं, उन्हें महंगे दामों में प्राइवेट क्लीनिकों में पहुंचना पड़ रहा है. गरीब मरीज जो दूर-दराज से जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

जिला चिकित्सालय में फीजिशियन, गायनो, बाल रोग, जनरल सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट हैं. लेकिन स्टाफ की कमी के चलते सभी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के हिसाब से जिला अस्पताल में 45 स्टाफ नर्स की तैनाती होनी चाहिए, मगर जिला चिकित्सालय में 6 नर्स ही हैं. वहीं, अस्पताल में दो बजे के बाद एक ही नर्स रहती है, जिसे पूरा काम देखना पड़ता है.

पढ़ें- कैशलेस हुए बैंक श्रीनगर के बैंक, चारधाम यात्री और स्थानीय लोग परेशानी

ओपीडी और इंडोर पेशेंट की देखभाल पूरी तरीके से स्टाफ नर्स पर निर्भर करती है. लेकिन, एक नर्स अस्पताल के सभी वार्ड जो मरीजों से भरे हुए हैं उन्हें संभाल रही है. एक स्टाफ नर्स का तीन फ्लोर देखना नामुमकिन है, जिस वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. स्टाफ नर्स की कमी के चलते कुछ काम फार्मासिस्ट संभाल रहे हैं. जिला चिकित्सालय में स्टाफ नर्स के साथ ही आया और वार्ड ब्वॉय की भी कमी बनी हुई है. वार्ड आया और वार्ड ब्वॉय मिलाकर नौ कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि 25 लोगों की अस्पताल में आवश्यकता है.

पूर्व सभासद अजय सेमवाल ने बताया कि जिला चिकित्सालय में रिक्त चल रहे पदों की वजह से इमरजेंसी सेवाओं को संचालित होने में भी परेशानी हो रही है. डॉक्टर के केबिन के बाहर एक वार्ड ब्यॉय होना चाहिए, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते डॉक्टर खुद ही चिल्लाकर मरीजों को बुला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग पर चमोली जिला भी निर्भर है और यात्रा सीजन भी चरम पर है, जिस वजह से सैकड़ों मरीज हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं.
वहीं, जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिग्विजय सिंह रावत ने कहा कि शासन स्तर पर कई बार लिखा गया है. लेकिन, आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिल रहा है.

रुद्रप्रयाग: कहते हैं हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और होते हैं. ये कहावत रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल पर सटीक बैठती है. यहां मरीजों के इलाज के लिए आलीशान भवन तो बना दिया गया, लेकिन हॉस्पिटल में इलाज करवाने पहुंच रहे मरीजों को खराब पड़ी मशीन, नर्स और वार्ड ब्वॉय की भारी कमी की वजह से प्राइवेट क्लीनिकों की ओर रुख करना पड़ता है.

रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में स्टाफ का टोटा.

जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के अस्तित्व में आने के बाद से ही यहां सुविधाओं का टोटा बना हुआ है. यहां जनता के लंबे संघर्ष के बाद अस्पताल में अब कहीं जाकर डॉक्टरों की तैनाती हुई है, लेकिन स्टाफ की कमी अभी भी बनी हुई है. ऐसे में डॉक्टरों के साथ ही मरीज भी परेशान हैं. तीन फ्लोर के चिकित्सालय भवन में डॉक्टर और फार्मासिस्ट को ही दौड़ लगानी पड़ती है.

पढ़ें- तीर्थनगरी में अधर्मः लोगों से 50 की जगह वसूल रहे 150 रुपये, पूछने पर देतें हैं ये तर्क

अस्पताल में पिछले दो हफ्तों से अल्ट्रासाउंड मशीन भी खराब है. अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होने से सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं को हो रही हैं, उन्हें महंगे दामों में प्राइवेट क्लीनिकों में पहुंचना पड़ रहा है. गरीब मरीज जो दूर-दराज से जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है.

जिला चिकित्सालय में फीजिशियन, गायनो, बाल रोग, जनरल सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ के साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट हैं. लेकिन स्टाफ की कमी के चलते सभी व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं. इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के हिसाब से जिला अस्पताल में 45 स्टाफ नर्स की तैनाती होनी चाहिए, मगर जिला चिकित्सालय में 6 नर्स ही हैं. वहीं, अस्पताल में दो बजे के बाद एक ही नर्स रहती है, जिसे पूरा काम देखना पड़ता है.

पढ़ें- कैशलेस हुए बैंक श्रीनगर के बैंक, चारधाम यात्री और स्थानीय लोग परेशानी

ओपीडी और इंडोर पेशेंट की देखभाल पूरी तरीके से स्टाफ नर्स पर निर्भर करती है. लेकिन, एक नर्स अस्पताल के सभी वार्ड जो मरीजों से भरे हुए हैं उन्हें संभाल रही है. एक स्टाफ नर्स का तीन फ्लोर देखना नामुमकिन है, जिस वजह से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. स्टाफ नर्स की कमी के चलते कुछ काम फार्मासिस्ट संभाल रहे हैं. जिला चिकित्सालय में स्टाफ नर्स के साथ ही आया और वार्ड ब्वॉय की भी कमी बनी हुई है. वार्ड आया और वार्ड ब्वॉय मिलाकर नौ कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि 25 लोगों की अस्पताल में आवश्यकता है.

पूर्व सभासद अजय सेमवाल ने बताया कि जिला चिकित्सालय में रिक्त चल रहे पदों की वजह से इमरजेंसी सेवाओं को संचालित होने में भी परेशानी हो रही है. डॉक्टर के केबिन के बाहर एक वार्ड ब्यॉय होना चाहिए, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते डॉक्टर खुद ही चिल्लाकर मरीजों को बुला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग पर चमोली जिला भी निर्भर है और यात्रा सीजन भी चरम पर है, जिस वजह से सैकड़ों मरीज हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं.
वहीं, जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दिग्विजय सिंह रावत ने कहा कि शासन स्तर पर कई बार लिखा गया है. लेकिन, आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिल रहा है.

सफेद हाथी साबित हो रहा जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग
45 पदों के सापेक्ष 5 स्टाॅफ नर्स दे रही सेवाएं
बद्रीनाथ एवं केदारनाथ यात्रा पड़ाव का मुख्य केन्द्र है जिला अस्पताल
अस्पताल में समस्याओं का अम्बार, वार्ड आया व वार्ड ब्वाॅय के पद भी चल रहे रिक्त
दो सप्ताह से बंद पड़ी है अल्ट्रासाउण्ड मशीन, रेडियोलाॅजिस्ट का कोई अता-पता नहीं
गरीब मरीज प्राईवेट क्लीनिकों की शरण लेने को मजबूर
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग- जिला हाॅस्पिटल
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/09 जून 2019/रुद्रप्रयाग
एंकर- कहते हैं हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और होते हैं। ये कहावत रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल पर सटीक बैठ रही है। रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल मरीजों के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। कहने के लिए आलीशान भवन तो बना है, मगर चिकित्सालय में स्टाॅफ नर्स व वार्ड ब्वाय की भारी कमी बनी है। इसके साथ ही दो सप्ताह से अल्ट्रासाउंड मशीन भी खराब पड़ी है, जिस कारण गरीब मरीजों को प्राईवेट क्लीनिकों में महंगे दामों पर ईलाज करवाना पड़ रहा है।
वीओ -1- स्थापनाकाल से ही जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग में सुविधाओं का अभाव रहा है। जनता के लम्बे संघर्ष के बाद चिकित्सालय में अब जाकर चिकित्सकों की तैनाती हुई है, लेकिन स्टाॅफ नर्स, वार्ड आया एवं वार्ड ब्वाॅय की कमी अभी भी बनी है। ऐसे में चिकित्सकों के साथ ही मरीज भी परेशान हैं। तीन फ्लोर के चिकित्सालय भवन में डाॅक्टरों और फार्मासिस्टों को ही दौड़ लगानी पड़ती है। जिला चिकित्सालय में फीजिशियन, गायनी, बाल रोग, जनरल सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ के साथ ही फिजियोथैरेपी के चिकित्सक मौजूद हैं, मगर स्टाॅफ नर्स, वार्ड ब्वाॅय और वार्ड आया की कमी से चिकित्सालय जूझ रहा है। स्टाॅफ नर्स को अस्पताल की रीढ़ माना जाता है, मगर जिला चिकित्सालय में स्टाॅफ नर्स की कमी बनी है। इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टेंडर के हिसाब से जिला अस्पताल में 45 स्टाॅफ नर्स होने चाहिए, मगर जिला चिकित्सालय में छः स्टाॅफ नर्स हैं। अस्पताल में दो बजे के बाद एक ही स्टाॅफ नर्स रहती है, जो पूरा कार्यभार संभालती है। ओपीडी और इंडोर पेशेंट की देखभाल पूरी तरीके से स्टाॅफ नर्स पर निर्भर होती है। इन दिनों जिला चिकित्सालय में सभी वार्ड फुल चल रहे हैं और दो बजे के बाद एक ही स्टाॅफ नर्स को तीन-तीन फ्लोर देखने पड़ते हैं। ऐसे में मरीजों को दिक्कतें होती हैं और जनता में भी गलत मैसेज जाता है कि मरीजों की देखभाल सही तरीके से नहीं हो पा रही है। स्टाॅफ नर्स की कमी के चलते फार्मासिस्ट कार्य संभाल रहे हैं। जिला चिकित्सालय में स्टाॅफ नर्स के साथ ही वार्ड आया और वार्ड ब्वाय की भी कमी बनी हुई है। वार्ड आया और वार्ड ब्वाय मिलाकर नौ लोग कार्य कर रहे हैं, जबकि 25 लोगों की आवश्यकता है। इसके अलावा दो सप्ताह से अल्ट्रासाउण्ड मशीन भी खराब पड़ी है और चिकित्सालय में रेडियालाॅजिस्ट भी हर समय गायब रहता है, जिस कारण मरीजों को दिक्कतें हो रही हैं। अल्ट्रासाउण्ड मशीन खराब होने से सबसे ज्यादा समस्या गर्भवती महिलाओं को हो रही हैं, उन्हें महंगे दामों में प्राईवेट क्लीनिकों की शरण लेनी पड़ रही है। गरीब मरीज दूर-दराज से जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं और उन्हें मायूस होकर लौटना पड़़ रहा है। पूर्व सभासद अजय सेमवाल ने कहा कि जिला चिकित्सालय में स्टाॅफ नर्स, वार्ड आया और वार्ड ब्वाॅय के पद रिक्त चल रहे हैं, जिस कारण इमरजेंसी सेवाओं के अलावा चिकित्सालय में दिक्कतें हो रही हैं। चिकित्सक के बाहर एक-एक वार्ड ब्वाॅय का होना जरूरी है। चिकित्सक स्वयं ही चिल्लाकर मरीजों को बुला रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग पर चमोली जिला भी निर्भर है और इन दिनों यात्रा सीजन भी चरम पर है। आये दिन सैकड़ों की संख्या में मरीज जिला चिकित्सालय पहुंच रहे हैं, मगर उन्हें समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। दो सप्ताह से अल्ट्रासाउण्ड मशीन भी खराब पड़ी है और रेडियोलाॅजिस्ट का भी कोई अता-पता नहीं है। आये दिन मशीन खराब होने की बात कही जाती है। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालय मरीजों के लिए सुविधा से ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहा है।
बाइट - अजय सेमवाल, पूर्व सभासद
वीओ -2- अस्पताल प्रबंधन की ओर से शासन को कई बार पत्र भेजा गया, लेकिन समस्या का आज तक समाधान नहीं हो पाया है। वहीं जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ दिग्विजय सिंह रावत ने कहा कि शासन स्तर पर कई बार लिखा गया है और आश्वासन भी दिया गया कि जल्द ही अस्पताल में स्टाॅफ नर्स, वार्ड ब्याय की तैनाती की दी जायेगी, लेकिन लम्बा समय गुजर गया है और अभी तक तैनाती नहीं हो पाई है।
बाइट - डाॅ दिग्विजय सिंह रावत, वरिष्ठ चिकित्सक


Last Updated : Jun 9, 2019, 9:48 PM IST
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