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जल विद्युत परियोजना बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत, आए दिन महसूस होते हैं भूकंप जैसे झटके

रुद्रप्रयाग कालीमठ परियोजना बनी रुद्रप्रयाग के 400 परिवारों के लिए खतरा. सुरंग के निर्माण कार्य की वजग से ग्रामीणों के घरों में पड़ी दरारें. बारिश में घर छोड़कर भागने को मजबूर लोग.

रुद्रप्रयाग कालीमठ परियोजना का कार्य.
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Published : May 21, 2019, 11:22 AM IST

रुद्रप्रयाग: संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार कालिदास की जन्मस्थली कविल्ठा गांव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. क्षेत्र में जल विद्युत परियोजना के निर्माण से कविल्ठा के साथ ही तीन अन्य गांव खतरे में हैं. इस कार्य की वजह से ग्रामीणों के भवनों पर मोटी-मोटी दरारें पड़ गई हैं. बारिश होने पर घर ढहने के डर से ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर भाग जाते हैं. क्षेत्र के हालात को देखते हुए ग्रामीण काफी परेशान हैं.

सुरंग बनी आफत
केदारघाटी के कालीमठ घाटी में आठ मेगावाट की जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है. कविल्ठा गांव के नीचे दो किमी लंबी सुरंग बन रही है. इसी वजह से कविल्ठा, कोटमा, खोन्नू गांव पर खतरा मंडरा रहा है. इन गांवों में 400 से अधिक परिवार रहते हैं, जो सुरंग निर्माण कार्य से परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि साल 1992 से भूकंप और आपदाओं के दौर से जूझ रही यहां की जनता को हमेशा बारिश में कोई न कोई अप्रिय घटना का सामना करना पड़ता है. वहीं इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य की वजह से अब उनके घर कभी भी ढह सकते हैं.

विद्युत परियोजना बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत

पढ़ें- बाबा केदार की धरती पर घोड़े-खच्चर वाले कर रहे ठगी, मुकदमे दर्ज करने तक सिमटा पुलिस का काम

मनमाने तरीके से हो रहा काम
ग्रामीणों का आरोप है कि जल विद्युत निगम की ओर से जिस कंपनी को कार्य सौंपा गया है, वो मनमाने तरीके से कार्य कर रही है. सुरंग निर्माण का मलबा ग्रामीणों के खेतों में डाला जा रहा है, जबकि गांव के नीचे ही विस्फोटक पदार्थ रखे हुए हैं, जो कभी भी ग्रामीणों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. ग्रामीण सदानंद का कहना है कि यहां सभी ग्रामीण डर के साये में जी रहे हैं. वो शासन-प्रशासन के सामने गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

शिकायत करने पर धमाकाया जाता है
प्रभावित ग्रामीणों की मानें तो परियोजना के निर्माण कार्य में शुरूआत से सवाल उठते रहे हैं. इस कार्य की वजह से पहले क्षेत्र के लोगों ने भूकंप के झटकों को महसूस किया और अब ग्रामीणों के सामने बेघर होने की नौबत आ गई है. सुरंग निर्माण में विस्फोट का इस्तेमाल होने से आवासीय भवनों में मोटी-मोटी दरारें पड़ी हैं. शिकायत करने पर ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है. सुरक्षा दीवारों पर कंपनी की ओर से रेत की जगह मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है.

पढ़ें- केदारनाथ मंदिर में PM मोदी ने कहा 'यहां मैं कुछ मांगने नहीं आया', लगाये हर-हर महादेव के जयकारे

ग्रामीणों के खेत तबाह
उन्होंने बताया कि सुरंग निर्माण का मलबा ग्रामीणों की इजाजत के बिना उनके खेतों में डाला गया. बारिश होने पर मलबे से पूरे खेत तबाह हो गये हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. रात-दिन विस्फोट किये जा रहा है, जिससे मकान हिलने लगते हैं. गांव के कई अमीर लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया है और गरीबों के लाखों के मकान खंडहर बन गये हैं.

सेफ्टी की नहीं है व्यवस्था
ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना निर्माण में कार्य कर रहे मजदूर एवं कर्मचारियों के लिए सेफ्टी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. निर्माण में 30 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनके पास सेफ्टी बेल्ट, टोपी सहित अन्य उपकरण होने जरूरी हैं, मगर कंपनी की ओर से उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया है. ऐसे में उनकी जान को भी खतरा बना हुआ है. मजदूरों की जिंदगी के साथ कंपनी खिलवाड़ करने में लगी हुई है.

पढ़ें- केदारनाथ धाम: हेलीकॉप्टर की गर्जना से गिर सकते हैं ग्लेशियर, SDRF को किया गया अलर्ट

सुनी जाएगी ग्रामीणों की समस्या - डीएम
मामले को लेकर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि कालीमठ घाटी में आठ मेगावाट विद्युत परियोजना का कार्य चल रहा है. इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है तो इसके लिए उपजिलाधिकारी को मौके पर भेजा जायेगा. ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर उसका समाधान निकाला जायेगा.

कालीमठ घाटी में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से ग्रामीण को अपना घर छोड़कर भागना पड़ रहा है. एक ओर राज्य सरकार पलायन को रोकने की बात कर रही है तो दूसरी ओर परियोजनाओं के निर्माण के कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. अगर समय रहते इन परियोजनाओं के कार्य को रोका नहीं गया तो वो दिन दूर नहीं जब यहां भी गांव के गांव खाली हो जाएंगे.

रुद्रप्रयाग: संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार कालिदास की जन्मस्थली कविल्ठा गांव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. क्षेत्र में जल विद्युत परियोजना के निर्माण से कविल्ठा के साथ ही तीन अन्य गांव खतरे में हैं. इस कार्य की वजह से ग्रामीणों के भवनों पर मोटी-मोटी दरारें पड़ गई हैं. बारिश होने पर घर ढहने के डर से ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर भाग जाते हैं. क्षेत्र के हालात को देखते हुए ग्रामीण काफी परेशान हैं.

सुरंग बनी आफत
केदारघाटी के कालीमठ घाटी में आठ मेगावाट की जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है. कविल्ठा गांव के नीचे दो किमी लंबी सुरंग बन रही है. इसी वजह से कविल्ठा, कोटमा, खोन्नू गांव पर खतरा मंडरा रहा है. इन गांवों में 400 से अधिक परिवार रहते हैं, जो सुरंग निर्माण कार्य से परेशान हैं. ग्रामीणों का कहना है कि साल 1992 से भूकंप और आपदाओं के दौर से जूझ रही यहां की जनता को हमेशा बारिश में कोई न कोई अप्रिय घटना का सामना करना पड़ता है. वहीं इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य की वजह से अब उनके घर कभी भी ढह सकते हैं.

विद्युत परियोजना बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत

पढ़ें- बाबा केदार की धरती पर घोड़े-खच्चर वाले कर रहे ठगी, मुकदमे दर्ज करने तक सिमटा पुलिस का काम

मनमाने तरीके से हो रहा काम
ग्रामीणों का आरोप है कि जल विद्युत निगम की ओर से जिस कंपनी को कार्य सौंपा गया है, वो मनमाने तरीके से कार्य कर रही है. सुरंग निर्माण का मलबा ग्रामीणों के खेतों में डाला जा रहा है, जबकि गांव के नीचे ही विस्फोटक पदार्थ रखे हुए हैं, जो कभी भी ग्रामीणों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं. ग्रामीण सदानंद का कहना है कि यहां सभी ग्रामीण डर के साये में जी रहे हैं. वो शासन-प्रशासन के सामने गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

शिकायत करने पर धमाकाया जाता है
प्रभावित ग्रामीणों की मानें तो परियोजना के निर्माण कार्य में शुरूआत से सवाल उठते रहे हैं. इस कार्य की वजह से पहले क्षेत्र के लोगों ने भूकंप के झटकों को महसूस किया और अब ग्रामीणों के सामने बेघर होने की नौबत आ गई है. सुरंग निर्माण में विस्फोट का इस्तेमाल होने से आवासीय भवनों में मोटी-मोटी दरारें पड़ी हैं. शिकायत करने पर ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है. सुरक्षा दीवारों पर कंपनी की ओर से रेत की जगह मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है.

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ग्रामीणों के खेत तबाह
उन्होंने बताया कि सुरंग निर्माण का मलबा ग्रामीणों की इजाजत के बिना उनके खेतों में डाला गया. बारिश होने पर मलबे से पूरे खेत तबाह हो गये हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. रात-दिन विस्फोट किये जा रहा है, जिससे मकान हिलने लगते हैं. गांव के कई अमीर लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया है और गरीबों के लाखों के मकान खंडहर बन गये हैं.

सेफ्टी की नहीं है व्यवस्था
ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना निर्माण में कार्य कर रहे मजदूर एवं कर्मचारियों के लिए सेफ्टी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. निर्माण में 30 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनके पास सेफ्टी बेल्ट, टोपी सहित अन्य उपकरण होने जरूरी हैं, मगर कंपनी की ओर से उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया है. ऐसे में उनकी जान को भी खतरा बना हुआ है. मजदूरों की जिंदगी के साथ कंपनी खिलवाड़ करने में लगी हुई है.

पढ़ें- केदारनाथ धाम: हेलीकॉप्टर की गर्जना से गिर सकते हैं ग्लेशियर, SDRF को किया गया अलर्ट

सुनी जाएगी ग्रामीणों की समस्या - डीएम
मामले को लेकर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि कालीमठ घाटी में आठ मेगावाट विद्युत परियोजना का कार्य चल रहा है. इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है तो इसके लिए उपजिलाधिकारी को मौके पर भेजा जायेगा. ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर उसका समाधान निकाला जायेगा.

कालीमठ घाटी में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से ग्रामीण को अपना घर छोड़कर भागना पड़ रहा है. एक ओर राज्य सरकार पलायन को रोकने की बात कर रही है तो दूसरी ओर परियोजनाओं के निर्माण के कारण ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. अगर समय रहते इन परियोजनाओं के कार्य को रोका नहीं गया तो वो दिन दूर नहीं जब यहां भी गांव के गांव खाली हो जाएंगे.


ये खबर काफी महत्वपूर्ण है, जो नहीं लगी है। कृपया करके खबर लगाने का कष्ट करें। 

खबर स्पेशल - 
कालीमठ घाटी के चार सौ परिवारों पर मंडरा रहा मौत का साया 
कविल्ठा में सुरंग निर्माण से भवनों में पड़ी मोटी-मोटी दरारें
कुछ ग्रामीणों ने छोड़े अपने आवासीय भवन, गरीब ग्रामीण बेबस और लाचार 
दहशत में ग्रामीण, बारिश होने पर गांव छोड़कर भागते हैं ग्रामीण 
कभी भी हो सकती है बड़ी घटना, खतरे में ग्रामीणों का जीवन 
विस्फोटों से मवेशियों से दूध देना किया बंद 
मौत के साये में कट रहा ग्रामीणों का जीवन 
बिना सेफ्टी के कार्य कर रहे मजदूर 
उप जिलाधिकारी से करवाई जायेगी जांच: मंगेश 
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - कालीमठ परियोजना 
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/20 मई 2019/रुद्रप्रयाग/एवीबी
एंकर - संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार कालिदास की जन्मस्थली कविल्ठा गांव पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। क्षेत्र में कार्य कर रही जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से कविल्ठा के साथ ही तीन अन्य गांव खतरे में हैं। ग्रामीणों के भवनों पर मोटी-मोटी दरारें पड़ी हैं। बारिश होने पर ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर भाग जाते हैं। ऐसे हालातों में ग्रामीणों का जीवन संघर्षमय बन गया है। निर्माण कार्य में ठेकेदार अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहा है और शिकायत करने पर ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में ग्रामीण अपने जीवन को लेकर काफी परेशान हैं। पेश है एक रिपोर्ट - 
वीओ -1- वर्ष 1992 से केदारघाटी की जनता भूकंप और आपदाओं के दौर से जूझ रही है। यहां बारिश में कोई न कोई घटनाएं होती आ रही है, बावजूद इसके सबक लेने के वजाय केदारघाटी में जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी है। इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य से जनता मुसीबत में है। ग्रामीणों के आवासीय मकानों में मोटी-मोटी दरारें पड़ी हैं और रात के समय बारिश होने पर ग्रामीण किसी तरह अपने जीवन को बचा रहे हैं। ये सबकुछ घटित होने के बाद भी शासन-प्रशासन स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। ना ही इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य पर रोक लगाई जा रही है और ना ही ग्रामीणों के जीवन को सुरक्षित किया जा रहा है। 
केदारघाटी के कालीमठ घाटी में आठ मेगावाट की जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है। शुरूआती दौर से ही परियोजना के निर्माण कार्य में ग्रामीणों द्वारा ऊंगलियां उठाई जा रही हंै, बावजूद इसके ग्रामाीणों की सुनने वाला कोई नहीं है। उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम की ओर से बाठ मेगावाट में चार मेगावाट कालीगंगा टू का कार्य स्टार कोन कंपनी को सौंपा गया है तो चार मेगावाट कालीगंगा फस्ट का कार्य अन्य कंपनी को दिया गया है। दोनों ही कंपनियां ग्रामीणों के लिए मुसीबत बनी हुई है। जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण ने ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर दिया है। भूकंप के झटकों से किसी तरह बचने के बाद अब ग्रामीण जनता परियोजनाओं के निर्माण कार्य से परेशान है। कविल्ठा गांव के नीचे बन रही दो किमी लम्बी सुरंग के कारण कविल्ठा, कोटमा, खोन्नू के गांवों को खतरा बन गया हैं। इन गांवों में चार से सौ अधिक परिवार रहते हैं, जो सुरंग कार्य के कारण परेशान हैं। जल विद्युत निगम की ओर से जिस कंपनी को कार्य सौंपा गया है, वो मनमाने तरीके से कार्य करने में लगी हैं। सुरंग निर्माण का मलबा ग्रामीणों के खेतों में डाला जा रहा है, जबकि गांव के नीचे ही विस्फोटक पदार्थ रखे हुए हैं, जो कभी भी ग्रामीणों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। डर के साये में जी रहे ग्रामीण शासन-प्रशासन के सामने गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। 
बाइट - 1- सदानंद, ग्रामीण 
बाइट - 2- प्रेम सिंह रावत, ग्रामीण 
वीओ-3- प्रभावित ग्रामीणों की माने तो परियोजना के निर्माण कार्य में शुरूआत से ही ऊंगलियां उठती रही है। पहले क्षेत्र के लोगों ने भूकंप के झटकों को महसूस किया और अब परियोजना के कार्य ने ग्रामीणों को बेघर करने जैसे हालात पैदा कर दिये हैं। सुरंग निर्माण में विस्फोट होने से आवासीय भवनों में मोटी-मोटी दरारें पड़ी हैं। शिकायत करने पर ग्रामीणों को धमकाया जा रहा है। कहा कि सुरंग निर्माण से चार सौ परिवार प्रभावित हो रहे हैं। बारिश होने पर ग्रामीणों को घर छोड़कर भागना पड़ता है। सुरक्षा दीवारों पर कंपनी की ओर से रेत की जगह मिट्टी का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुरंग निर्माण का मलबा ग्रामीणों की इजाजत के बिना उनके खेतों में डाला गया है। बारिश होने पर मलबे से पूरे खेत तबाह हो गये हैं। रोजगार को लेकर भी कंपनी की ओर से कोई कार्य नहीं किया गया है। मनमर्जी से कार्य किया जा रहा है। मकानों में दरारें पड़ी हैं और कोई सुनने वाला नहीं है। रात और दिन के समय कंपनी के कर्मचारी विस्फोट करने में लगे रहते हैं और विस्फोट के समय मकान हिलने लगते हैं। विस्फोटों से दुधारू पशुओं ने दूध देना बंद कर दिया है। गांव में ठीक-ठाक लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया है और गरीब ग्रामीणों के लाखों के मकान आज खण्डहर बन गये हैं। 
बाइट - 3- प्रेम सिंह रावत, ग्रामीण 
बाइट -  4- सुंदरी देवी, ग्रामीण 
वीओ -5 संध्या देवी, ग्रामीण 
वीओ -3- परियोजना निर्माण में कार्य कर रहे मजदूर एवं कर्मचारियों के लिए सेफ्टी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। निर्माण में 30 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनके पास सेफ्टी बेल्ट, टोपी सहित अन्य उपकरण होने जरूरी हैं, मगर कंपनी की ओर से उन्हें कुछ भी नहीं दिया गया है। ऐसे में उनकी जान को भी खतरा बना हुआ है। मजदूरों की जिंदगी के साथ कंपनी खिलवाड़ करने में लगी हुई है। 
बाइट - एचके शर्मा, मैनेजर निर्माणदायी संस्था 
वीओ -4- वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि कालीमठ घाटी में आठ मेगावाट विद्युत परियोजना का कार्य चल रहा है। इन परियोजनाओं के निर्माण कार्य से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है तो इसके लिए उप जिलाधिकारी को मौके पर भेजा जायेगा और ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर समाधान निकाला जायेगा। 
बाइट - मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी 
वीओ फाइनल - कालीमठ घाटी में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से ग्रामीण आज अपने घरों से बेघर हो चुके हैं। परियोजनाओं पर कार्य कर रही कंपनी अपना हित साधने में लगी है, जबकि ग्रामीणों को अपने मकानों को छोड़कर भागना पड़ रहा है। एक ओर राज्य सरकार पलायन को रोकने की बात कर रही है, वहीं परियोजनाओं के निर्माण की स्वीकृति देकर ग्रामीण लोगों को पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। अगर समय रहते इन परियोजनाओं के कार्य को रोका नहीं गया तो वो दिन दूर नहीं जब गांव के गांव खाली हो जायेंगे और आपदा के दंश इन गांवों में देखने को मिलंेगे। 

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