रुद्रप्रयाग: जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद पहली बोर्ड बैठक हंगामेदार रही. सदस्यों ने आरोप लगाया कि जब वे विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे थे तो अध्यक्ष ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया और सदन से बाहर जाने को कहा.
सदस्यों ने कहा कि जिला पंचायत में खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है. विवेकाधीन कोष को जिला पंचायत अध्यक्ष अपने क्षेत्र में बांट रही हैं, जबकि यह कोष सभी सदस्यों के क्षेत्र में बांटा जाना चाहिए. वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष ने सभी आरोपों को बेबुनियाद ठहराया.
पढ़ें- बाघ को मारने के मामले में वन महकमा कटघरे में, वायरल वीडियो से उठ रहे कई सवाल
बता दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. जिस समय अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास लाया गया था, उस समय उनके खिलाफ 14 सदस्य थे, लेकिन जब दोबारा से भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और जिला पंचायत के उप चुनाव हुए तो जिला पंचायत अध्यक्ष के पक्ष में 11 सदस्यों ने मत का प्रयोग किया. ऐसे में उन्हें फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी मिल गई.
गौरतलब हो कि बीती 28 अक्टूबर को अमरदेई शाह दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं. शुक्रवार को जिला पंचायत की पहली बोर्ड बैठक आहूत की गई. पहले तो बैठक सही तरीके से चल रही थी. अचानक से कुछ सदस्यों ने बैठक में हंगामा शुरू कर दिया और अध्यक्ष पर आरोप लगाने शुरू किए.
जिला पंचायत सदस्य गणेश तिवाड़ी ने कहा कि जिला पंचायत में मनमानी की जा रही है. भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिला पंचायत अध्यक्ष कुछ सदस्यों के साथ मिलकर मनमर्जी करने में लगी हैं. ऐसे में अन्य सदस्यों के क्षेत्र में कोई काम नहीं हो पा रहे हैं. सदस्यों की ओर से अपनी आवाज उठाने पर अध्यक्ष ने सब्र का बांध खो दिया और सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाया.
उन्होंने कहा कि वे क्षेत्र से चुनकर आए हैं और लोकतंत्र के मंदिर में जिला पंचायत जिले का सर्वोच्च सदन है. सदस्यों को धमकी तक दी जा रही हैं. श्रेष्ठ पद पर बैठकर सदन का सम्मान नहीं किया जा रहा है. सदस्यों का अपमान करके उन्हें बाहर भेजा जा रहा है, जो सही नहीं हैं.
पढ़ें- टिहरी डैम की सुरक्षा में सेंध, संदिग्ध लोगों ने किया लाइव वीडियो टेलीकास्ट
जिला पंचायत सदस्य रेखा बुटोला चौहान, ज्योति देवी ने कहा कि विवेकाधीन कोष बांटने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री को है. यहां तक कि इस कोष को काबीना मंत्री भी नहीं बांट सकते हैं, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष ने विवेकाधीन कोष को अनाप-शनाप तरीके से बांटा है, जो सही नहीं है.
जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र बिष्ट और कुलदीप कंडारी ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष उन पर विकास विरोधी होने का आरोप लगा रही हैं, लेकिन जिला पंचायत सदस्य भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. सोची-समझी रणनीति के तहत कुछ सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाया गया, ताकि मनमर्जी से कार्य किया जाए.
उन्होंने कहा कि विवेकाधीन कोष अपने क्षेत्रों में बांटा जा रहा है. दूसरे जिला पंचायत सदस्यों के क्षेत्रों में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है. जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवाड़ी ने कहा कि जिला पंचायत की पहली बोर्ड बैठक में जनपद के विकास कार्यों को लेकर विचार-विमर्श किया गया. विकास कार्यों के प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किए गए.
पढ़ें- ठेकेदारों का ऋषिकेश नगर निगम पर भुगतान नहीं करने का आरोप, 3 करोड़ है बकाया, देंगे धरना
उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य अपनी मनमर्जी से बाहर चले गए. दो-चार लोगों के बाहर जाने से विकास कार्य नहीं रुकने वाला है. ऐसे जिला पंचायत सदस्यों को जनता को पहचानने की जरूरत है. वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह ने कहा कि जिला पंचायत की पहली बोर्ड बैठक अच्छे तरीके से संपन्न हुई है. बैठक में कुछ जिला पंचायत सदस्य पारिवारिक कार्यों के चलते नहीं आ पाए.
उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य बोर्ड बैठक में अपने को विपक्षी खेमे का मानकर हंगामा कर रहे थे. ये लोग चाहते हैं कि विकास निधियों पर रोक लगाई जाए. ये विकास कार्यों में विघ्न डालने का कार्य करते हैं. उन्होंने कहा कि बैठक में सभी प्रस्ताव पारित किए गए हैं. विवेकाधीन कोष को सही तरीके से बांटा गया है, जो आरोप लगाये जा रहे हैं, वे सभी बेबुनियाद हैं. इनका कोई औचित्य ही नहीं है.