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जल संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने स्रोतों को किया रिजार्च, पानी की समस्या से जूझ रहे हैं 27 गांव - dm mangesh ghildiyal

रुद्रप्रयाग के 27 गांवों में जल संकट गहराया हुआ है. जिसके चलते इन गांवों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में जल स्त्रोतों के सुधारीकरण का काम किया जा रहा है.

ग्रामीणों ने स्रोतों को किया रिजार्च.
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Published : Jul 28, 2019, 8:13 PM IST

रुद्रप्रयाग: जनपद के स्वारी ग्वास गांव में जल संरक्षण के लिए स्त्रोतों के सुधारीकरण का कार्य किया जा रहा है. जिलाधिकारी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने गांव से एक किलोमीटर दूर जल स्त्रोत बनाए. इस दौरान जिलाधिकारी ने प्रत्येक ग्रामीण को पांच खन्ती बनाने लक्ष्य दिया. वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि इन खन्तियों में बारिश का पानी जमा होगा और भूमिगत जल में वृद्धि होगी.

ग्रामीणों ने स्रोतों को किया रिजार्च.

बता दें कि जनपद के 27 गांव जल संकट से ग्रस्त हैं. जिससे बचने के लिए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने इन गांवों में खन्ती बनाने के निर्देश दिए. इसी कड़ी में आज स्वारी ग्वास गांव में तैनात नोडल अधिकारी, तकनीकी सहायक, एनएसएस के छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल, युवक मंगल दल और सभी ग्रामीणों ने मिलकर स्त्रोतों के सुधारीकरण का काम किया.

पढ़ें: अतिक्रमणकारियों पर मेहरबान 'सरकार', देगी मुआवजा, जानिए क्या है मामला

इस अभियान के तहत सभी 27 गांवों में लगभग 2700 खन्तियां और चाल-खाल का निर्माण कार्य किया जाना है. वहीं, सोमवार से इन गांवों में यह कार्य मनरेगा के माध्यम से किए जाएंगे. एक खन्ती का मानक एक मीटर गहरा व एक मीटर चौड़ा रखा गया है. इसी क्रम में कुल 54 स्त्रोत में निर्माण पूरा हो गया है.

वहीं, इस मौके पर ग्राम प्रधान स्वारी सुधा देवी, सीडीओ सरदार सिंह चौहान, राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक, एनएसएस के विद्यार्थी और रोजगार सहायक उपस्थित रहे.

रुद्रप्रयाग: जनपद के स्वारी ग्वास गांव में जल संरक्षण के लिए स्त्रोतों के सुधारीकरण का कार्य किया जा रहा है. जिलाधिकारी के नेतृत्व में ग्रामीणों ने गांव से एक किलोमीटर दूर जल स्त्रोत बनाए. इस दौरान जिलाधिकारी ने प्रत्येक ग्रामीण को पांच खन्ती बनाने लक्ष्य दिया. वहीं, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि इन खन्तियों में बारिश का पानी जमा होगा और भूमिगत जल में वृद्धि होगी.

ग्रामीणों ने स्रोतों को किया रिजार्च.

बता दें कि जनपद के 27 गांव जल संकट से ग्रस्त हैं. जिससे बचने के लिए जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने इन गांवों में खन्ती बनाने के निर्देश दिए. इसी कड़ी में आज स्वारी ग्वास गांव में तैनात नोडल अधिकारी, तकनीकी सहायक, एनएसएस के छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल, युवक मंगल दल और सभी ग्रामीणों ने मिलकर स्त्रोतों के सुधारीकरण का काम किया.

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इस अभियान के तहत सभी 27 गांवों में लगभग 2700 खन्तियां और चाल-खाल का निर्माण कार्य किया जाना है. वहीं, सोमवार से इन गांवों में यह कार्य मनरेगा के माध्यम से किए जाएंगे. एक खन्ती का मानक एक मीटर गहरा व एक मीटर चौड़ा रखा गया है. इसी क्रम में कुल 54 स्त्रोत में निर्माण पूरा हो गया है.

वहीं, इस मौके पर ग्राम प्रधान स्वारी सुधा देवी, सीडीओ सरदार सिंह चौहान, राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक, एनएसएस के विद्यार्थी और रोजगार सहायक उपस्थित रहे.

Intro:जिलाधिकारी के नेतृत्व में ग्रामीणों और स्कूली छात्रों ने किया श्रमदान
54 जल स्रोतों को रीचार्ज करने का किया जा रहा है कार्य
जिले के 27 गांवों में स्त्रोत सुधारीकरण का कार्य

रूद्रप्रयाग । जनपद के संकटग्रस्त 27 गांव में जल संरक्षण, संर्वद्धन व संचय के लिए गांव में तैनात नोडल अधिकारियों की अध्यक्षता व तकनीकी सहायक, एनएसएस के छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल, युवक मंगल दल व समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से स्त्रोत सुधारीकरण का कार्य किया गया। अभियान के द्वितीय चरण के पहले दिन श्रमदान के रूप में समस्त 27 गांवों के स्त्रोत के ढालों पर लगभग कुल 2700 खन्तियां, चाल,-खाल का निर्माण कार्य किया गया। कल से इन गांवों में यह कार्य मनरेगा के माध्यम से किए जाएंगे, एक खन्ती का मानक एक मीटर गहरी व एक मीटर चैडे के अनुसार खन्तियों का निर्माण किया गया। जनपद के जल संकटग्रस्त स्त्रोतों पर जल संरक्षण का कार्य महा अभियान के रूप में किया जा रहा है इसी क्रम में कुल 54 स्त्रोत में कार्य हो रहा है।इससेआगामी ग्रीष्म काल में इन ग्रामवासियों को पानी की समस्या से सामना नहीं करना पडेगा।Body:
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के नेतृत्व में ग्राम स्वारी- ग्वास के स्त्रोत पर जल स्त्रोत पर सुधारीकरण का कार्य किया गया जो कि गांव से लगभग एक किमी की दूरी पर स्थित है। प्रत्येक व्यक्ति को पांच-पंाच खन्ती बनाने का लक्ष्य जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया जिसे स्त्रोत पर उपस्थित समस्त ग्रामीण, छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल द्वारा पूरा किया गया। इन खन्तियों के निर्माण से वर्षा का जल खन्तियों में जमा होगा व भूमिगत जल में वृद्वि होगी।
इसके पश्चात स्त्रोत के नजदीक लघु संग्रहण केंद्र ग्वास में सभी लोग एकत्रित हुए। जिलाधिकारी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्कूली बच्चों को जल संरक्षण कार्यक्रम में शामिल करने का उद्देश्य जल की महत्ता को बताना है जिससे ज्ञात हो सके कि जल संकट के क्या कारण है व किस प्रकार समस्या से निजात पाया जा सकता है।कहा कि जल संकट का प्रमुख कारण यह है कि पहाड़ के ढलानों पर पानी रिसने कर लिये खंती, चाल, खाल आदि का न होना है। पहाड़ो में बरसात का पानी सीधा नदी व नदियों से समुद्र में मिल जाता है। आज जल की महत्ता को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है। ग्रीष्म ऋतु आते ही ग्रामीणों की पानी की समस्या शुरू हो जाती है जिस कारण बहुधा विभागों के चक्कर काटने पडते है। गंाव मे पुराने , परम्परागत जल स्त्रोता के सूख जाने पर ग्रामीणों की विभागों से मांग होती है कि किसी अन्य स्त्रोत से उन्हें पानी दिया जाए। यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहेगी कि आज इस स्त्रोत से पानी मिले, कल किसी अन्य स्त्रोत से पानी की तलाश की जाएगी। इससे बेहतर है हम अपने परम्परागत जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करे। इसके लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। आज अभियान शुरू हो गया है अब ग्रामीणों की सहभागिता से यह कार्य पूरा होना है तभी जाकर आने वाले वर्षो में पानी की समस्या नही होगी। अन्यथा वह समय दूर नहीं जब पानी के लिए लोगों को तरसना पडेगा। हाल ही में पर्यटक स्थल शिमला, चैन्नई में पानी की समस्या के कारण वहां कि सरकारों द्वारा पर्यटकों पर रोक लगाई गई। Conclusion:इस अवसर पर पौडी की संस्था गढ लोक कला मंच द्वारा जल संरक्षण के महत्व को नुक्कड नाटक के माध्यम से समझाया गया। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के साथ-साथ वनों के संरक्षण व जल के दुरूपयोग पर भी ध्यान दिया जाए। कई बार लोग अपने घरेलू व अन्य कार्यो में व्यस्त हो जाते है तथा भूल जाते है कि नल खुला छोड दिया है। इस अवसर पर ग्राम प्रधान स्वारी सुधा देवी, सीडीओ सरदार सिंह चौहान, पी ई एम एस नेगी, राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक, एनएसएस के विद्यार्थी, रोजगार सहायक उपस्थित थे।
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