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18 मई को अपने शीतकालीन स्थल से रवाना होंगे भगवान तुंगनाथ, इस दिन खुलेंगे धाम के कपाट

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया 18 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ से शुरू होगी.

Tungnath
तुंगनाथ धाम
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Published : May 13, 2020, 7:52 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया 18 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ से शुरू होगी. लॉकडाउन के कारण भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम रवाना होने के लिए जिला प्रशासन की गाइडलाइन 17 मई को स्पष्ट होगी. अगर लॉकडाउन के नियमों में परिवर्तन नहीं किया गया तो भगवान तुंगनाथ की डोली भी अन्य देव डोलियों की तर्ज पर मक्कूमठ से चोपता तक वाहन से ले जाई जाएगी. जिसके लिए प्रशासन, तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूधारियों के मध्य सामंजस्य होना अनिवार्य होगा. 20 मई को भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट खोले जायेंगे.

बता दें कि पूर्व में घोषित तिथि के अनुसार 18 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली परंपरा के अनुसार अपने शीतकालीन गद्दीस्थल के सभा मंडल से बाहर निकाली जाएगी. साथ ही धाम के लिए रवाना होकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गांव के मध्य में विराजमान भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी. जहां पर परंपरा के अनुसार, ग्रामीणों द्वारा मुणखी मेले का आयोजन कर भगवान तुंगनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाएगा.

19 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर पावजगपुणा, चिलियाखोड, बनिया कुंड के सुंदर मखमली बुग्यालों में नृत्य कर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. साथ ही 20 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएगे.

पढ़ें: कैबिनेट की बैठक आज, लाये जा सकते हैं अर्थव्यवस्था से जुड़े प्रस्ताव

चंद्रशिला की तलहटी में बसे तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है. यह तीर्थ पंच केदारों में सबसे अधिक ऊंचाई पर विराजमान है. तुंगनाथ धाम के शीर्ष पर चंद्रशिला पहाड़ी में गंगा मैया का तीर्थ विराजमान है.

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया 18 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ से शुरू होगी. लॉकडाउन के कारण भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम रवाना होने के लिए जिला प्रशासन की गाइडलाइन 17 मई को स्पष्ट होगी. अगर लॉकडाउन के नियमों में परिवर्तन नहीं किया गया तो भगवान तुंगनाथ की डोली भी अन्य देव डोलियों की तर्ज पर मक्कूमठ से चोपता तक वाहन से ले जाई जाएगी. जिसके लिए प्रशासन, तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूधारियों के मध्य सामंजस्य होना अनिवार्य होगा. 20 मई को भगवान तुंगनाथ धाम के कपाट खोले जायेंगे.

बता दें कि पूर्व में घोषित तिथि के अनुसार 18 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली परंपरा के अनुसार अपने शीतकालीन गद्दीस्थल के सभा मंडल से बाहर निकाली जाएगी. साथ ही धाम के लिए रवाना होकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गांव के मध्य में विराजमान भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी. जहां पर परंपरा के अनुसार, ग्रामीणों द्वारा मुणखी मेले का आयोजन कर भगवान तुंगनाथ को नए अनाज का भोग लगाया जाएगा.

19 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर पावजगपुणा, चिलियाखोड, बनिया कुंड के सुंदर मखमली बुग्यालों में नृत्य कर अंतिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. साथ ही 20 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएगे.

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चंद्रशिला की तलहटी में बसे तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है. यह तीर्थ पंच केदारों में सबसे अधिक ऊंचाई पर विराजमान है. तुंगनाथ धाम के शीर्ष पर चंद्रशिला पहाड़ी में गंगा मैया का तीर्थ विराजमान है.

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