रुद्रप्रयाग: जो मंजिलों को पाने की चाहत रखते हैं, वो समन्दर पर भी पत्थरों के पुल बना देते हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पहाड़ की बेटी अंकिता ध्यानी ने. अंकिता ने हाल ही में तमिलनाडु में आयोजित नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है. अपने तीन वर्ष के करियर में अंकिता ने अबतक कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में 12 स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं. वर्तमान में वह भारतीय खेल प्राधिकरण भोपाल में प्रशिक्षण ले रही हैं.
मूल रूप से पौड़ी जनपद के जहरीखाल ब्लाक के मेरूड़ा गांव निवासी महिमानंद ध्यानी व लक्ष्मी देवी की बेटी अंकिता ने बचपन से ही एक अच्छा खिलाड़ी बनने का सपना देखा था. अंकिता ने कक्षा आठ में पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. वर्ष 2013-14 में रांची में संपन्न हुए स्कूल गेम्स में अंकिता ने आठ सौ और 1500 मीटर की दौड़ में प्रतिभाग किया. हालांकि, इसमें वह चौथे स्थान पर रहीं. 2014-15 और 2015-16 में अंकिता दोबारा नेशनल स्कूल गेम्स तक पहुंची, लेकिन प्रथम तीन में भी स्थान नहीं बना पाई.
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वहीं 2016-17 में अंकिता ने एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से तेलंगाना में आयोजित तीन हजार मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान पाया. इसी वर्ष यूथ फेडरेशन की ओर से बड़ोदरा में आयोजित प्रतियोगिता में दोबारा तीन हजार मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान पाया. 2017-18 में अंकिता ने रोहतक में आयोजित राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में तीन हजार मीटर की दौड़ में द्वितीय स्थान पाया. 2018-19 में ही अंकिता ने यूथ फेडरेशन की रांची में आयोजित प्रतियोगिता में 1500 मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान पाया व इसी वर्ष उत्तराखंड के रुद्रपुर में आयोजित राज्य ओलंपिक में पांच हजार मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान पाया.
इसके साथ ही पुणे में आयोजित खेलो इंडिया प्रतियोगिता में अंकिता ने 1500 व 3000 मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक हासिल किया. पुणे में आयोजित इसी प्रतियोगिता में किए गए उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उसका चयन भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआइ) हॉस्टल भोपाल के लिए हुआ.
रुद्रप्रयाग की प्रभारी जिला क्रीड़ाधिकारी एवं अंकिता की कोच महेशी आर्य का कहना है कि अंकिता ने दो साल तक बालिका छात्रावास में उनके अधीन प्रशिक्षण प्राप्त किया है. उसका लक्ष्य ओलम्पिक में पदक पाना है और वह अपने लक्ष्य के प्रति बेहद समर्पित हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए अंकिता कठोर प्रशिक्षण भी ले रही हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि भोपाल में उन्हें बेहतर माहौल एवं प्रशिक्षण मिलेगा, जो उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगा.