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पश्वा रूप में अवतरित हुए पांडव, सुख-समृद्धि का दिया आशीर्वाद - पांडव लीला रुद्रप्रयाग समाचार

तिमली भरदार में चल रही पांडव लीला सम्पन्न हो गई है. इस दौरान पांडवों ने गोत्र हत्या से लेकर भगवान शिव के दर्शन के लिए हिमालय गमन घटनाक्रम का भी मंचन किया.

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पांडव लीला का समापन.
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Published : Jan 4, 2020, 8:16 PM IST

रुद्रप्रयाग : जखोली ब्लॉक के तिमली भरदार में चल रही पांडव लीला पौराणिक विधि-विधान के साथ सम्पन्न हो गई. इस अवसर पर पांडवों ने पश्वा रूप में अवतरित होकर उपस्थित श्रद्धालुओं को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया. पांडव लीला में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में धियाणियां गांव में पहुंची थीं.

बता दें कि बीते माह के 13 दिसम्बर को तिमली भरदार में पांडव लीला का शुभारंभ हुआ था. करीब नौ वर्ष बाद हुए इस धार्मिक लीला के आयोजन में हजारों की संख्या में प्रवासी अपने गांव पहुंचे. इससे पूर्व रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला, जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा. गेंडा मारने के बाद पांडवों ने जौ की फसल बोने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया गया.

पांडव लीला का समापन.

यह भी पढ़ें-बदरी-केदार के लिए कर्नाटक में बनेगी चंदन वाटिका, मंदिर समिति को मुकेश अंबानी करेंगे दान

इस दौरान पांडवों ने गोत्र हत्या से लेकर भगवान शिव के दर्शन के लिए हिमालय गमन घटनाक्रम का भी मंचन किया. इस बीच भक्तों के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था. समापन के अवसर पर माता कुंती व भगवान नारायण ने प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को फल वितरित किए. इस दौरान पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की. ढोल-दमाऊं की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी जमकर नृत्य किया.

रुद्रप्रयाग : जखोली ब्लॉक के तिमली भरदार में चल रही पांडव लीला पौराणिक विधि-विधान के साथ सम्पन्न हो गई. इस अवसर पर पांडवों ने पश्वा रूप में अवतरित होकर उपस्थित श्रद्धालुओं को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया. पांडव लीला में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में धियाणियां गांव में पहुंची थीं.

बता दें कि बीते माह के 13 दिसम्बर को तिमली भरदार में पांडव लीला का शुभारंभ हुआ था. करीब नौ वर्ष बाद हुए इस धार्मिक लीला के आयोजन में हजारों की संख्या में प्रवासी अपने गांव पहुंचे. इससे पूर्व रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला, जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा. गेंडा मारने के बाद पांडवों ने जौ की फसल बोने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया गया.

पांडव लीला का समापन.

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इस दौरान पांडवों ने गोत्र हत्या से लेकर भगवान शिव के दर्शन के लिए हिमालय गमन घटनाक्रम का भी मंचन किया. इस बीच भक्तों के जयकारों के साथ पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था. समापन के अवसर पर माता कुंती व भगवान नारायण ने प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को फल वितरित किए. इस दौरान पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की. ढोल-दमाऊं की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी जमकर नृत्य किया.

Intro:प्रसाद वितरण के साथ तिमली में पांडवलीला का समापन
मंचन देखने बड़ी संख्या में धियाणियां पहंुची थी गांव
रुद्रप्रयाग। जखोली ब्लाॅक के तिमली भरदार में चल रही पांडव लीला पौराणिक विधि-विधान के साथ सम्पन्न हो गई है। समापन अवसर पर पांडवों ने पश्वा रुप में अवतरित होकर उपस्थित श्रद्धालुओं को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया। पांडव लीला में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में धियाणियां गांव में पहुंची थी।
Body:पिछले माह 13 दिसम्बर से तिमली भरदार में पांडव लीला का शुभारंभ हुआ था। करीब नौ वर्ष बाद हुए इस धार्मिक आयोजन में हजारों की संख्या में प्रवासी अपने गांव पहुंचे हुए थे। इससे पूर्व रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला, जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा। गेंडा मरने के बाद पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया गया। इस दौरान पांडवों के गोत्र हत्या से लेकर भगवान शिव के दर्शनों के लिए हिमालय गमन घटनाक्रम का मंचन किया। इस बीच भक्तों के जयकारों के साथ यहां का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। समापन अवसर पर माता कुंती व भगवान नारायण ने प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को फल वितरित किए। इस दौरान पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की। ढोल-दमाऊं की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने जमकर नृत्य किया।Conclusion:
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