रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर विषम परिस्थितियों में भी पैदल मार्ग से लेकर धाम तक मजदूर पूरी तन्मयता के साथ निर्माण कार्यों में जुटे हुए हैं. एनएच विभाग यात्रा तैयारियों के नाम पर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम कर रहा है. केदारनाथ हाईवे पर जगह-जगह किए जा रहे कार्यों में लापरवाही बरती जा रही है. पहाड़ी कटिंग का कार्य सही तरीके से नहीं हो रहा है. राजमार्ग के ट्रीटमेंट में विभाग की कार्यप्रणाली में लापरवाही सामने आ रही है. इतना ही नहीं डामर के नाम पर राजमार्ग पर बिछाए जा रहे टल्ले भी विभाग की घोर अनियमितता को दर्शा रहा है. एनएच की लापरवाही को लेकर जनता सवाल खड़ी कर रही है. वहीं, स्थानीय विधायक हंसी-मजाक में गंभीर मुद्दे से मुंह फेरती नजर आ रही है.
रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से शुरू हुई केदारनाथ हाईवे से लगभग 35 किमी आगे कुंड-गुप्तकाशी में चल रहे ट्रीटमेंट निर्माण कार्य अभी कुछ दिन पहले ही शुरू हुआ है. 1 अरब की लागत से 8 किमी राजमार्ग पर ट्रीटमेंट का कार्य किया जा रहा है. यहां पर 2013 की आपदा के बाद काम हो रहा है, जबकि निर्माण कार्य में लापरवाही बरती जा रही है. ट्रीटमेंट कार्य के दौरान उड़ रही धूल से जनता परेशान है. कार्य करने में बरती जा रही सुस्ती से भी लोगों को आये दिन परेशान होना पड़ रहा है. इसके साथ ही जाम की समस्या से हर दिन लोग जूझ रहे हैं.
केदारनाथ राजमार्ग के गुप्तकाशी से कुंड के बीच जहां ट्रीटमेंट का कार्य धीमी गति से चल रहा है. वहीं हाईवे के गुप्तकाशी-सीतापुर के बीच चल रहे सड़क चौड़ीकरण की कटिंग का कार्य इस तरह से किया जा रहा है कि यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को जान हथेली पर रखकर सफर तय करना पड़ सकता है. हाईवे कटिंग में पहाड़ी पर लूज बोल्डर छोड़े जा रहे हैं, जो यात्रा के समय बरसात आने पर खतरे का सबब बन सकते हैं. केदारघाटी में मई-जून माह में भी बारिश होती रहती है. इस दौरान तीर्थयात्रियों को मुश्किलों से गुजरना पड़ता है. ये मुश्किल श्रद्धालुओं के लिए एनएच विभाग ही पैदा कर रहा है.
केदारनाथ हाईवे के अंतिम पड़ाव गौरीकुंड में इन दिनों डामर के नाम पर टल्ले बिछाने का कार्य किया जा रहा है. ये टल्ले बारिश में लगाये जा रहे हैं, जो लगाते ही उखड़ने भी शुरू हो गए हैं. सोनप्रयाग-गौरीकुंड 5 किमी राजमार्ग पर यह डामर बिछाते ही उखड़ने से एनएच विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गयी है. यह डामर हाथ लगाते ही निकल रहा है, जो केदारनाथ कपाट खुलने से एक माह पूर्व की तैयारियों को आईना दिखा रहा है.
प्रशासन स्तर पर लगातार यात्रा से संबंधित बैठक ली जा रही हैं. कई विभागीय अधिकारियों ने केदारघाटी में डेरा जमा दिया है, लेकिन धरातल पर कार्यों की हकीकत कुछ अलग ही नजर आ रही है. सोनप्रयाग से गौरीकुंड की दूरी 5 किमी है. केदारनाथ यात्रा के दौरान यात्रियों के वाहन सोनप्रयाग में ही पार्क हो जाते हैं. सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक यात्रियों को शटल सेवा से आना-जाना पड़ता है.
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सीजन में प्रत्येक दिन इस 5 किमी हाईवे पर दो सौ से अधिक शटल सेवाएं आवाजाही करती हैं. अब सवाल उठ रहा है कि क्या धरातल पर इस तरह की यात्रा तैयारियां चल रही हैं. जब डामर बिछाया गया होगा तो उसके ऊपर डोजर चला होगा, लेकिन यहां स्थिति कुछ अलग है. यहां हाथ लगाते ही डामर उखड़ रहा है और सोचनीय विषय यह है कि यह डामर का काम पहले क्यों नहीं किया गया. इस बारिश में डामर बिछाने का औचित्य सिर्फ सरकारी धन को ठिकाने का है.
क्षेत्र की जनता और जनप्रतिनिधि भी एनएच विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है. जिला पंचायत पंचायत सदस्य बबीता सजवाण ने कहा एनएच विभाग को केदारनाथ यात्रा के कपाट खुलने से एक माह पहले ही यात्रा तैयारियों की याद आती है. उससे पहले विभाग सोया रहता है. विभाग इन दिनों हाईवे पर कटिंग का कार्य कर रहा है. जबकि बारिश में डामर बिछ रहा है. ये कार्य पहले ही शुरू किए जाते तो आज स्थिति ऐसी नहीं होती. उन्होंने कहा क्षेत्र की जनता एनएच विभाग की कार्यप्रणाली से बहुत परेशान है.
केदारनाथ यात्रा को लेकर धाम के साथ ही पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का कार्य किया जा रहा है. यहां पर विषम परिस्थितियों में मजदूर कार्य कर रहे हैं. आये दिन धाम सहित पैदल मार्ग पर बर्फबारी हो रही है, जिस कारण निर्माण कार्य करने में दिक्कत हो रही हैं. मजदूर बर्फ सफाई में ही जुटे हैं. डीडीएमए के ये मजदूर हिम वीरों की भूमिका अदा करते हुए तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं जुटाने में लगे हैं. रात के समय केदारनाथ का तापमान माइनस 3 से 4 डिग्री होने के बाद भी मजदूर सुबह उठकर कार्य में जुट जाते हैं, वहीं आठ डिग्री तापमान में कार्य करने वाले एनएच विभाग के मजदूर यात्रा तैयारियों को निपटाने तक सीमित नजर आ रहे हैं.
वहीं केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने मामले को हंसी में टाल दिया. पहले तो उन्होंने कहा कि केदारनाथ हाईवे को यात्रा से पहले दुरुस्त कर दिया जाएगा, जिसको लेकर प्रशासन ने उन्हें आश्वस्त किया है. वहीं डामर उखड़ने के सवाल पर उन्होंने मामले को हंसी-हंसी में टालते हुए बारिश को दोष दे दिया. जबकि पिछले तीन माह तक बारिश कम ही मात्रा में हुई है. उस दौरान एनएच विभाग ने कोई कार्य नहीं किया और अब बारिश के दौरान विभाग ने टल्ले लगाने का काम किया, जो उखड़ भी रहा है.
बहरहाल, केदारनाथ यात्रा को शुरू होने में अभी एक माह का समय बचा है, लेकिन जिस तरह से धीमी गति से केदारनाथ हाईवे में कार्य चल रहा है, उससे लगता नहीं कि समय पर व्यवस्था दुरुस्त हो पाएंगी.