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Snowfall: देखनी है 'जन्नत' तो चले आइए उत्तराखंड, देवरिया ताल की खूबसूरती के हो जाएंगे कायल

देवभूमि उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है. खूबसूरती ऐसी है कि हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाएं को एक बार निहार लीं तो नजरें नहीं हटेंगी. ऐसा ही खूबसूरत नजारा इनदिनों बर्फबारी के बाद देवरिया ताल और 'मिनी स्विट्जरलैंड' से विख्यात चोपता में देखने को मिल रहा है. यहां सैलानी प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य को करीब से निहारने के बाद खूबसूरत यादों को लेकर वापस जा रहे हैं.

Devria tal Snowfall
देवरिया ताल की खूबसूरती
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Published : Jan 23, 2023, 3:36 PM IST

Updated : Jan 23, 2023, 4:31 PM IST

बर्फबारी के बाद निखरी देवरिया ताल की खूबसूरती.

रुद्रप्रयागः केदारघाटी के पर्यटक स्थलों में बर्फबारी के बाद काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. मिनी स्विट्जरलैंड चोपता से लेकर सुरम्य मखमली बुग्यालों के बीच बसे देवरिया ताल में पर्यटकों की भरमार है. इसके अलावा शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनाराण में भी भक्त बड़ी संख्या में बर्फबारी का आनंद उठाने के लिए पहुंच रहे हैं. पर्यटकों की संख्या बढ़ने से यहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं.

इन दिनों केदारघाटी के प्राकृतिक स्थलों को कुदरत ने बर्फबारी से सजाया है. खासकर मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में प्रसिद्ध चोपता दुगलबिट्टा में जमकर बर्फबारी हुई है. यहां तीन फीट से ज्यादा बर्फबारी हुई है. बर्फबारी के बाद काफी संख्या में यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं. चोपता की हसीन वादियां पूरी तरह अभी भी बर्फ से ढकी हैं. यहां पेड़-पौधों से लेकर चोपता-बदरीनाथ हाईवे पर बर्फ की मोटी परत जमी है.

वहीं, दूसरी ओर सुरम्य मखमली बुग्यालों के बीच में स्थित देवरिया ताल पर्यटक स्थल का नजारा इन दिनों देखते ही बन रहा है. सारी गांव से तीन किमी का सफर तय करने के बाद देवरिया ताल पहुंचा जाता है. ताल और उसके चारों ओर गिरी बर्फ का आनंद लेने के लिए पर्यटक पहुंच रहे हैं. पर्यटक स्थल देवरिया ताल मिनी स्विट्जरलैंड से कुछ पहले ही स्थित है. देवरिया ताल अपने आप में बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल है.
ये भी पढ़ेंः अध्यात्म और रोमांच का मिश्रण सहस्त्र ताल ट्रैक, जहां कुदरत की बरसती है नेमत

क्यों पड़ा झील का नाम देवरिया तालः देवरिया ताल की मान्यता है कि इंद्र देव समेत अन्य देवता इसी ताल यानी झील में स्नान किया करते थे. इसी कारण इसका नाम देवों की झील देवरिया ताल पड़ा. इसी के साथ इसका दूसरा नाम इंद्र सरोवर भी है. अर्थात देवराज इंद्र के स्नान करने का सरोवर.

पांडवों से जुड़ा तालः देवरिया ताल झील का महाभारत से संबंध जुड़ा हुआ है. पांडवों को द्यूत खेल के बाद 13 वर्ष का वनवास काल मिला था. तब वनवास काल में यक्ष ने पांचों पांडवों से सवाल पूछे थे. मान्यता है कि यक्ष ने पांचों पांडवों से प्रश्न इसी झील के पास पूछे थे. देवरिया ताल के निर्माण के लिए भी पांडवों का योगदान बताया गया है.

एक अलग मान्यता के अनुसार, जब पांडवों को प्यास लगी थी, तब भीम ने अपनी शक्ति से देवरिया ताल झील का निर्माण किया था. जिससे सभी पांडवों की प्यास बुझी थी. इसी के साथ यक्ष भी इसी झील में निवास करते हैं, ऐसी मान्यता भी प्रचलित है.
ये भी पढ़ेंः प्रकृति की अनमोल धरोहर है उत्तरकाशी का बामसरू ताल, अभी भी जमी है झील

शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण की खूबसूरती निखरीः वहीं, केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 12 किमी की दूरी तय करके वाहन से शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण पहुंचा जाता है. यहां भी इन दिनों जमकर बर्फबारी हुई है. बर्फबारी के बाद त्रियुगीनारायण की खूबसूरती देखते ही बन रही है. ऐसे में भक्त त्रियुगीनारायण के दर्शन करने के साथ ही बर्फबारी का आनंद ले रहे हैं.

देवरिया ताल और चोपता में बर्फबारी से नजारा बेहद खूबसूरत हो गया है. ऐसा लग रहा है कि किसी ने सफेद चादर बिछा दी हो. उन्हें हिमाच्छादित चोटियां को करीब से निहारने का मौका मिला. केदारघाटी में अनेक पर्यटक स्थल हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं. वो यहां बर्फबारी का आनंद लेने के लिए आए हैं. -पर्यटक

बर्फबारी के बाद निखरी देवरिया ताल की खूबसूरती.

रुद्रप्रयागः केदारघाटी के पर्यटक स्थलों में बर्फबारी के बाद काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. मिनी स्विट्जरलैंड चोपता से लेकर सुरम्य मखमली बुग्यालों के बीच बसे देवरिया ताल में पर्यटकों की भरमार है. इसके अलावा शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनाराण में भी भक्त बड़ी संख्या में बर्फबारी का आनंद उठाने के लिए पहुंच रहे हैं. पर्यटकों की संख्या बढ़ने से यहां के लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं.

इन दिनों केदारघाटी के प्राकृतिक स्थलों को कुदरत ने बर्फबारी से सजाया है. खासकर मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में प्रसिद्ध चोपता दुगलबिट्टा में जमकर बर्फबारी हुई है. यहां तीन फीट से ज्यादा बर्फबारी हुई है. बर्फबारी के बाद काफी संख्या में यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं. चोपता की हसीन वादियां पूरी तरह अभी भी बर्फ से ढकी हैं. यहां पेड़-पौधों से लेकर चोपता-बदरीनाथ हाईवे पर बर्फ की मोटी परत जमी है.

वहीं, दूसरी ओर सुरम्य मखमली बुग्यालों के बीच में स्थित देवरिया ताल पर्यटक स्थल का नजारा इन दिनों देखते ही बन रहा है. सारी गांव से तीन किमी का सफर तय करने के बाद देवरिया ताल पहुंचा जाता है. ताल और उसके चारों ओर गिरी बर्फ का आनंद लेने के लिए पर्यटक पहुंच रहे हैं. पर्यटक स्थल देवरिया ताल मिनी स्विट्जरलैंड से कुछ पहले ही स्थित है. देवरिया ताल अपने आप में बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल है.
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क्यों पड़ा झील का नाम देवरिया तालः देवरिया ताल की मान्यता है कि इंद्र देव समेत अन्य देवता इसी ताल यानी झील में स्नान किया करते थे. इसी कारण इसका नाम देवों की झील देवरिया ताल पड़ा. इसी के साथ इसका दूसरा नाम इंद्र सरोवर भी है. अर्थात देवराज इंद्र के स्नान करने का सरोवर.

पांडवों से जुड़ा तालः देवरिया ताल झील का महाभारत से संबंध जुड़ा हुआ है. पांडवों को द्यूत खेल के बाद 13 वर्ष का वनवास काल मिला था. तब वनवास काल में यक्ष ने पांचों पांडवों से सवाल पूछे थे. मान्यता है कि यक्ष ने पांचों पांडवों से प्रश्न इसी झील के पास पूछे थे. देवरिया ताल के निर्माण के लिए भी पांडवों का योगदान बताया गया है.

एक अलग मान्यता के अनुसार, जब पांडवों को प्यास लगी थी, तब भीम ने अपनी शक्ति से देवरिया ताल झील का निर्माण किया था. जिससे सभी पांडवों की प्यास बुझी थी. इसी के साथ यक्ष भी इसी झील में निवास करते हैं, ऐसी मान्यता भी प्रचलित है.
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शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण की खूबसूरती निखरीः वहीं, केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 12 किमी की दूरी तय करके वाहन से शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण पहुंचा जाता है. यहां भी इन दिनों जमकर बर्फबारी हुई है. बर्फबारी के बाद त्रियुगीनारायण की खूबसूरती देखते ही बन रही है. ऐसे में भक्त त्रियुगीनारायण के दर्शन करने के साथ ही बर्फबारी का आनंद ले रहे हैं.

देवरिया ताल और चोपता में बर्फबारी से नजारा बेहद खूबसूरत हो गया है. ऐसा लग रहा है कि किसी ने सफेद चादर बिछा दी हो. उन्हें हिमाच्छादित चोटियां को करीब से निहारने का मौका मिला. केदारघाटी में अनेक पर्यटक स्थल हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं. वो यहां बर्फबारी का आनंद लेने के लिए आए हैं. -पर्यटक

Last Updated : Jan 23, 2023, 4:31 PM IST
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