रुद्रप्रयागः केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव पर गौरीकुंड में स्थित मां गौरा माई के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. अब शीतकाल के 6 महीने तक मां की पूजा-अर्चना गौरी गांव के चंडिका मंदिर में होगी. हर साल गौरा माई के कपाट बैशाखी पर्व पर खुलते हैं, जबकि भैयादूज पर्व पर बंद होते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.
बता दें कि भैयादूज पर्व पर ठीक आठ बजे सुबह पुजारी और ब्राह्मणों की ओर से वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ मां गौरा माई के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. मां की डोली मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना होगी. अब शीतकाल के 6 महीने तक यहीं पर मां गौरा माई की पूजा अर्चना संपन्न की जाएगी.
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बाबा केदार और गौरामाई का नहीं होता मिलनः मान्यता है कि कैलाश से भगवान शिव की उत्सव डोली गौरीकुंड पहुंचने से पहले गौरामाई की डोली गर्भ गृह से बाहर निकालकर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल को रवाना हो जाती है, जिससे कि बाबा केदार व गौरा माई का मिलन नहीं हो पाता है. यहां पर भगवान शिव की ओर से पार्वती के अंग निर्मित पुत्र गणेश से युद्धकर उसके सिर काटने से गौरा माई नाराज हुई थी. जिससे उनका मिलन शिव से नहीं हो पाता है.
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गौरा माई के कपाट बंद होने को लेकर देवस्थानम बोर्ड और व्यापार संघ गौरीकुंड की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई है. जिससे नियत समय पर मंदिर के कपाट बंद हो सकें. व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुण्ड अरविंद गोस्वामी ने बताया कि गौरी माई के कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया है. केदारनाथ की डोली के गौरीकुंड पहुंचने पर भव्य स्वागत किया जाएगा और श्रद्धालुओं को भंडारा प्रसाद के रूप में दिया जाएगा.