रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को पहाड़ी किचन का लजीज खाना बेहद पसंद आ रहा है. सोनप्रयाग में संचालित हो रहा पहाड़ी किचन यात्रियों को खूब भा रहा है. यहां बने पहाड़ी व्यंजन का स्वाद चखने के बाद यात्री केदारनाथ की यात्रा से लौटने के बाद भी इसी किचन में खाना खाने आ रहे हैं. सोनप्रयाग में जो भी यात्री पहाड़ी किचन में पहुंच रहा है, वह यहां की जमकर तारीफ कर रहा है.
केदारनाथ आपदा के बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान टीम ने नई केदारपुरी का निर्माण किया, जिसके फलस्वरूप आज केदारपुरी में बेहतर व्यवस्थाओं का संचालन हो पा रहा है. इस टीम में रहकर स्थानीय निवासी मनोज सेमवाल ने जहां केदारपुरी को संवारने में अपना योगदान दिया. उसके बाद उन्होंने सोनप्रयाग में पहाड़ी किचन का संचालन शुरू किया. पहाड़ी किचन का संचालन करते हुए मनोज देश-विदेश से केदानाथ यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखा रहे हैं.
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इस किचन में प्रतिदिन सौ से अधिक यात्री खाना खा रहे हैं. यहां विशेष रूप से लाल चावल, झंगोरे की खीर, गहथ और तोर की दाल, कोदे की रोटी, आरसा, रोटना आदि पहाड़ी व्यंजनों को परोसा जा रहा है. यहीं नहीं यात्रियों की डिमांड के अनुसार भी उन्हें खाना दिया जा रहा है. दिल्ली से आए नरेश, मनोज और दिव्यांश ने पहाड़ी किचन के खाने और यहां के स्टाॅफ की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा उन्हें पहाड़ी किचन में खाना खाकर अलग अहसास की अनुभूति हुई. राजस्थान के राजेंद्र, दीपिका ने पहाड़ी किचन की तारीफ की.
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पहाड़ी किचन के संचालक मनोज सेमवाल ने बताया यात्रियों में पहाड़ी खाने के प्रति काफी उत्साह है. वह बड़े ही चाव से पहाड़ी व्यजनों का स्वाद ले रहे हैं. मनोज ने बताया इस सोच को कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में केदारनाथ धाम से शुरू किया गया. आपदा के बाद जब यात्रा दोबारा शुरू कराई गई तो हेलीपैड के समीप पहाड़ी व्यजनों को तैयार कर यात्रियों एवं यहां पहुंचने वाले लोगों को परोसा गया. अब सोनप्रयाग के साथ ही अगस्त्यमुनि, चमोली, श्रीनगर, देवप्रयाग आदि यात्रा मार्गों पर भी पहाड़ी किचन शुरू करने के प्रयास किए जाएंगे, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ ही यात्री पहाड़ी संस्कृति, परम्परा का प्रचार प्रसार करते हुए अनुभव और संदेश साथ लेकर जाएं.