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चारधाम यात्रा 2020: केदारधाम के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा, 26 को रवाना होगी डोली

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Published : Feb 21, 2020, 1:06 PM IST

Updated : Feb 21, 2020, 5:05 PM IST

बाबा केदार के कपाट 29 अप्रैल को मेष लग्न में प्रातः 6 बजकर 10 मिनट पर खोले जाएंगे. महाशिवरात्रि के अवसर पर तिथि की घोषणा की गई.

बाबा केदार
बाबा केदार

रुद्रप्रयाग: आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि पौराणिक परम्पराओं और पंचाग पूजा के तहत घोषित की गई. बाबा केदार के कपाट 29 अप्रैल को मेष लग्न में प्रातः 6 बजकर 10 मिनट पर खोले जाएंगे. जबकि बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली 26 अप्रैल को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओम्कारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी. 26 को बाबा की डोली फाटा और 27 को गौरीकुंड में रात्रि प्रवास करेगी जबकि 28 अप्रैल को डोली केदारनाथ पहुंचेगी.

वहीं दूसरी ओर महाशिवरात्रि व्रत पर क्षेत्र के विभिन्न शिव मंदिरों में प्रातः काल से खासी भीड़ रही. इस दौरान भक्तों ने भगवान शंकर के लिंग पर तुलसी दल, भांग पत्र तथा पंचामृत से स्नान कर भोले की आरती उतारी. जिले के कोटेश्वर, विश्वनाथ मंदिर, ओमकारेश्वर, सूर्यप्रयाग, नारायणकोटी के नारायण मंदिर, त्रियुगीनारायण, पंच वक्र ,रुद्र महादेव आदि शिव मंदिरों में भक्तों ने अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए भगवान शंकर की आराधना की.

केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित

पढ़ेंः काशीपुर में निकली शिव बारात, भक्तों का उमड़ा हुजूम

बताते चलें कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि व्रत को धूमधाम से मनाया जाता है. इसी दिन दुनिया के प्रादुर्भाव की कल्पनाएं मानी जाती है. साथ ही भगवान शिव तथा कैलाश की पुत्री पार्वती की परिणय बेला भी इसी दिन को माना जाता है. प्रातः काल मंदिरों में शिवलिंग की भक्तों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की तुलसी दल, भांग पत्र ,बिल्वपत्र, श्रीफल आदि चढ़ाकर पंचामृत से रुद्राभिषेक भी किया गया. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर सुसुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. बिल्व पत्र भगवान शंकर का प्रिय प्रसाद माना जाता है. तुलसी दल, तथा भांग पत्र से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

रुद्रप्रयाग: आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि पौराणिक परम्पराओं और पंचाग पूजा के तहत घोषित की गई. बाबा केदार के कपाट 29 अप्रैल को मेष लग्न में प्रातः 6 बजकर 10 मिनट पर खोले जाएंगे. जबकि बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली 26 अप्रैल को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओम्कारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी. 26 को बाबा की डोली फाटा और 27 को गौरीकुंड में रात्रि प्रवास करेगी जबकि 28 अप्रैल को डोली केदारनाथ पहुंचेगी.

वहीं दूसरी ओर महाशिवरात्रि व्रत पर क्षेत्र के विभिन्न शिव मंदिरों में प्रातः काल से खासी भीड़ रही. इस दौरान भक्तों ने भगवान शंकर के लिंग पर तुलसी दल, भांग पत्र तथा पंचामृत से स्नान कर भोले की आरती उतारी. जिले के कोटेश्वर, विश्वनाथ मंदिर, ओमकारेश्वर, सूर्यप्रयाग, नारायणकोटी के नारायण मंदिर, त्रियुगीनारायण, पंच वक्र ,रुद्र महादेव आदि शिव मंदिरों में भक्तों ने अपनी मनोकामना की सिद्धि के लिए भगवान शंकर की आराधना की.

केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित

पढ़ेंः काशीपुर में निकली शिव बारात, भक्तों का उमड़ा हुजूम

बताते चलें कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि व्रत को धूमधाम से मनाया जाता है. इसी दिन दुनिया के प्रादुर्भाव की कल्पनाएं मानी जाती है. साथ ही भगवान शिव तथा कैलाश की पुत्री पार्वती की परिणय बेला भी इसी दिन को माना जाता है. प्रातः काल मंदिरों में शिवलिंग की भक्तों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की तुलसी दल, भांग पत्र ,बिल्वपत्र, श्रीफल आदि चढ़ाकर पंचामृत से रुद्राभिषेक भी किया गया. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शंकर सुसुप्त अवस्था से जागृत अवस्था में आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. बिल्व पत्र भगवान शंकर का प्रिय प्रसाद माना जाता है. तुलसी दल, तथा भांग पत्र से भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

Last Updated : Feb 21, 2020, 5:05 PM IST
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