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केदारघाटी में नियमों को ताक पर रख हो रहा हेलीकॉप्टर का संचालन, NGT ने मांगा जवाब

रुद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां एनजीटी और भारतीय वन्यजीव संस्थान के मानकों की अनदेखी कर रही है. इस संबंध में एनजीटी एवं भारतीय वन्य जीव संस्था को रिपोर्ट भेजी जा रही है. साथ ही सभी हेली कंपनियों को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है.

हेलीकॉप्टर नियमों को ताक पर रखकर भर रही उड़ान
हेलीकॉप्टर नियमों को ताक पर रखकर भर रही उड़ान
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Published : Oct 24, 2021, 4:01 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवाएं काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हेली कंपनियां नियमों को ताक पर रख हेलीकॉप्टर उड़ा रही हैं. जिसकी वजह से पर्यावरण को तो भारी नुकसान हो रहा है. वहीं, वन्य जीवों के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है. प्रतिदिन का शटल, साउंड व ऊंचाई का रिकार्ड केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को नहीं भेजा जा रहा है. ऐसे में प्रभाग ने इन हेली सेवा कंपनियों का जवाब तलब किया है.

बता दें कि आपदा के बाद से केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाओं की ज्यादा डिमांड बढ़ी है. ऐसे में पहले जहां कुछ ही हेलीकाॅप्टर केदारनाथ धाम के लिए उड़ान भरते थे. वहीं अब 11 से 12 हेली कंपनियां केदारनाथ के लिए उड़ान भर रही हैं. जिनकी वजह से केदारघाटी के पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है. साथ ही वन्य जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.

पढ़ें: CM धामी ने गौला पुल का दूसरी बार किया निरीक्षण, जल्द निर्माण के दिए निर्देश

इस बार कोरोना महामारी के चलते 6 हेली कंपनियां ही सेवाएं दी रही हैं. केदारनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन करने वाली हेली कंपनियां, भारतीय वन्य जीव संस्थान के मानकों व एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं. समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ के लिए संचालित हेलीकॉप्टर सेवा, मंदाकिनी नदी के ऊपर संकरी घाटी से संचालित होती हैं.

जून 2013 की आपदा में नदी के दोनों किनारों पर व्यापक भूस्खलन हुआ है, जिसका दायरा प्रतिवर्ष बढ़ रहा है. वर्ष 2016 में भारतीय वन्य जीव संस्थान ने इस पूरे विषय पर अध्ययन किया था. इसके बाद यात्रा में हेलीकॉप्टर के लिए नदी तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान व 50 डेसीबल ध्वनी का मानक रखा गया, लेकिन मानक का हेली कंपनियां पालन नहीं कर रही हैं.

पढ़ें: नंदाकिनी नदी में समाया नंदप्रयाग-घाट मोटरमार्ग का बड़ा हिस्सा, 60 से अधिक गांव प्रभावित

इस वर्ष 6 कंपनियों के हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी, शेरसी व बडासू हेलीपैड से केदारनाथ के उड़ान भर रहे हैं. लेकिन ये हेलीकॉप्टर नदी तल से 150 से 250 मीटर की ऊंचाई पर ही उड़ रहे हैं. हेलीकॉप्टरों की उड़ान की यह ऊंचाई केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के भीमबली में स्थापित मॉनिटरिंग में रिकार्ड हो रही है.

वहीं, रुद्रप्रयाग वर्ष 2013-2014 में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने यात्राकाल में केदारघाटी के गुप्तकाशी, फाटा, बडासू, शेरसी, सोनप्रयाग, गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ हेलीपैड तक हेलीकॉप्टर की ध्वनी व ऊंचाई का अध्ययन किया था.

इस दौरान हेलीकॉप्टर के हेलीपैड से उड़ान भरने व हेलीपैड पर लैंड करने के दौरान ध्वनी का अधिकतम व न्यूनतम मापन किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकाप्टर की न्यूनतम ध्वनी 92 डेसीबल व अधिकतम 108 डेसीबल मापी गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि हेलीकॉप्टर सेंचुरी एरिया में उड़ान भरते हुए नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. लेकिन सात वर्ष बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

पढ़ें: सुंदरढूंगा ग्लेशियर में बंगाल के 5 पर्यटकों की मौत, SDRF ने शवों को किया रेस्क्यू

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी डीएफओ अमित कंवर ने कहा कि केदारनाथ यात्रा में हेली कंपनियां भारतीय वन्य जीव संस्थान व एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही है. हेलीकॉप्टर निर्धारित ऊंचाई से कम पर उड़ रहे हैं, जो स्थानीय पर्यावरण व वन्य जीवों के लिए सही नहीं है. इस संबंध में एनजीटी व भारतीय वन्य जीव संस्था को रिपोर्ट भेजी जा रही है. साथ ही सभी हेली कंपनियों को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है.

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा के लिए हेली सेवाएं काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हेली कंपनियां नियमों को ताक पर रख हेलीकॉप्टर उड़ा रही हैं. जिसकी वजह से पर्यावरण को तो भारी नुकसान हो रहा है. वहीं, वन्य जीवों के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है. प्रतिदिन का शटल, साउंड व ऊंचाई का रिकार्ड केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग को नहीं भेजा जा रहा है. ऐसे में प्रभाग ने इन हेली सेवा कंपनियों का जवाब तलब किया है.

बता दें कि आपदा के बाद से केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवाओं की ज्यादा डिमांड बढ़ी है. ऐसे में पहले जहां कुछ ही हेलीकाॅप्टर केदारनाथ धाम के लिए उड़ान भरते थे. वहीं अब 11 से 12 हेली कंपनियां केदारनाथ के लिए उड़ान भर रही हैं. जिनकी वजह से केदारघाटी के पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है. साथ ही वन्य जीवों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है.

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इस बार कोरोना महामारी के चलते 6 हेली कंपनियां ही सेवाएं दी रही हैं. केदारनाथ यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा का संचालन करने वाली हेली कंपनियां, भारतीय वन्य जीव संस्थान के मानकों व एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही हैं. समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ के लिए संचालित हेलीकॉप्टर सेवा, मंदाकिनी नदी के ऊपर संकरी घाटी से संचालित होती हैं.

जून 2013 की आपदा में नदी के दोनों किनारों पर व्यापक भूस्खलन हुआ है, जिसका दायरा प्रतिवर्ष बढ़ रहा है. वर्ष 2016 में भारतीय वन्य जीव संस्थान ने इस पूरे विषय पर अध्ययन किया था. इसके बाद यात्रा में हेलीकॉप्टर के लिए नदी तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान व 50 डेसीबल ध्वनी का मानक रखा गया, लेकिन मानक का हेली कंपनियां पालन नहीं कर रही हैं.

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इस वर्ष 6 कंपनियों के हेलीकॉप्टर गुप्तकाशी, शेरसी व बडासू हेलीपैड से केदारनाथ के उड़ान भर रहे हैं. लेकिन ये हेलीकॉप्टर नदी तल से 150 से 250 मीटर की ऊंचाई पर ही उड़ रहे हैं. हेलीकॉप्टरों की उड़ान की यह ऊंचाई केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के भीमबली में स्थापित मॉनिटरिंग में रिकार्ड हो रही है.

वहीं, रुद्रप्रयाग वर्ष 2013-2014 में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने यात्राकाल में केदारघाटी के गुप्तकाशी, फाटा, बडासू, शेरसी, सोनप्रयाग, गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ हेलीपैड तक हेलीकॉप्टर की ध्वनी व ऊंचाई का अध्ययन किया था.

इस दौरान हेलीकॉप्टर के हेलीपैड से उड़ान भरने व हेलीपैड पर लैंड करने के दौरान ध्वनी का अधिकतम व न्यूनतम मापन किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, केदारनाथ हेलीपैड पर हेलीकाप्टर की न्यूनतम ध्वनी 92 डेसीबल व अधिकतम 108 डेसीबल मापी गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि हेलीकॉप्टर सेंचुरी एरिया में उड़ान भरते हुए नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. लेकिन सात वर्ष बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

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केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी डीएफओ अमित कंवर ने कहा कि केदारनाथ यात्रा में हेली कंपनियां भारतीय वन्य जीव संस्थान व एनजीटी के नियमों का पालन नहीं कर रही है. हेलीकॉप्टर निर्धारित ऊंचाई से कम पर उड़ रहे हैं, जो स्थानीय पर्यावरण व वन्य जीवों के लिए सही नहीं है. इस संबंध में एनजीटी व भारतीय वन्य जीव संस्था को रिपोर्ट भेजी जा रही है. साथ ही सभी हेली कंपनियों को पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है.

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