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रुद्रप्रयाग: एक साल से बंद है जिम कॉर्बेट म्यूजियम, पर्यटक हो रहे मायूस - Jim Corbett Museum of Rudraprayag

रुदप्रयाग के गुलाबराय में 2021 में पहाड़ी शैली में तैयार जिम कॉर्बेट म्यूजियम पिछले एक साल से बंद है. 91.13 लाख के लागत से तैयार म्यूजिमय सरकार की लापरवाही के कारण धूल फांक रहा है.

Jim Corbett Museum
जिम कॉर्बेट म्यूजियम
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Published : Mar 6, 2022, 5:45 PM IST

रुदप्रयागः जिला मुख्यालय स्थित गुलाबराय में पहाड़ी शैली में तैयार जिम कॉर्बेट म्यूजियम एक वर्ष बाद भी नहीं खुल पाया है. भवन पर ताला लगा होने से भावी पीढ़ी जिम कॉर्बेट की यादों से रूबरू नहीं हो पा रही है, जबकि भवन का लोकार्पण भी पूर्व में हो चुका है. ऐसे में स्थानीय लोगों में भी पर्यटन विभाग के प्रति आक्रोश बना हुआ है.

बता दें कि जिम कॉर्बेट ने उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में अनेक आदमखोर बाघों को मारा था. चंपावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन से भी जिम कॉर्बेट ने ही लोगों को छुटकारा दिलाया था. जिम कॉर्बेट ने रुद्रप्रयाग के गुलाबराय में गुलदार के दहशत से मुक्ति दिलाई थी. जिस पेड़ पर चढ़कर उन्होंने गुलदार को मार गिराया था, वह पेड़ आज भी मौजूद है. इस पर उन्होंने मचान बनाकर खूनी गुलदार का शिकार किया था. ऑलवेदर रोड कटिंग के दौरान भी पेड़ को संरक्षित रखा गया.

वर्ष 2018 जुलाई महीने में तत्कालीन डीएम मंगेश घिल्डियाल ने स्थानीय लोगों की मांग पर जिम कॉर्बेट म्यूजियम के लिए वन व पर्यटन विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद पर्यटन विभाग ने इसी दौरान डीएम के माध्यम से म्यूजियम निर्माण के लिए एक करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा था.

केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय को भेजे गए 1 करोड़ के प्रस्ताव के सापेक्ष 91.13 लाख के बजट को प्रसाद परियोजना में स्वीकृति मिली थी. उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने टेंडर प्रक्रिया के साथ निर्माण कार्य संबंधी तमाम औचारिकताएं पूर्ण करने के बाद जुलाई 2019 से जिम कॉर्बेट मेमोरियल भवन का निर्माण कार्य शुरू किया था. भवन की नींव को मजबूती के साथ तैयार कर दो मंजिले भवन को पूरी तरह पहाड़ी शैली में तैयार किया गया है. मेमोरियल भवन में एक हॉल में जिम कॉर्बेट की मूर्ति को रखा जाएगा.

ये भी पढ़ेंः पौड़ी में चोरों ने पौराणिक नृसिंह मूर्ति पर किया हाथ साफ

इसके साथ ही जिम कॉर्बेट के म्यूजियम में उनके जीवन से जुड़ी पुस्तकें, फोटो, वस्तुओं को रखा जाएगा. साथ ही यहां पर लाइब्रेरी व कॉफी शॉप का निर्माण भी किया जाएगा. संग्रहालय में उनकी किताबें व तत्समय के जनजीवन से जुड़ी वस्तुएं रखी जानी हैं. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही भावी पीढ़ी को जिम कॉर्बेट के बारे में जानकारी मिलेगी. लेकिन जिम कॉर्बेट मेमोरियल भवन का निर्माण कार्य पूरा हुए लगभग एक साल बीतने के बाद भी संचालन शुरू नहीं हो पाया है, जिससे स्थानीय लोगों में भी मायूसी बनी हुई है.

पेड़ पर रात गुजारकर किया था गुलदार को खत्मः जिम कॉर्बेट 25 जुलाई 1875 को नैनीताल के कालाढुंगी में पैदा हुए. उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया. जिम कॉर्बेट को रुद्रप्रयाग से विशेष लगाव था. वर्ष 1918 से 1926 तक वह यहां रहे. तब उन्होंने 60 किमी दायरे में आतंक का पर्याय रहे आदमखोर गुलदार को मारने के लिए 20 रातें बेलणी पुल पर गुजारीं. जबकि 6 रातें गुलाबराय के आम के पेड़ पर बिताई. आखिरकार 2 मई 1926 को उन्होंने इसी मचान से गुलदार को अपनी बंदूक की गोली से ढेर कर दिया था. आजीवन अविवाहित रहने वाले जिम कॉर्बेट का निधन 19 अप्रैल 1955 को केन्या में हुआ था.

रुदप्रयागः जिला मुख्यालय स्थित गुलाबराय में पहाड़ी शैली में तैयार जिम कॉर्बेट म्यूजियम एक वर्ष बाद भी नहीं खुल पाया है. भवन पर ताला लगा होने से भावी पीढ़ी जिम कॉर्बेट की यादों से रूबरू नहीं हो पा रही है, जबकि भवन का लोकार्पण भी पूर्व में हो चुका है. ऐसे में स्थानीय लोगों में भी पर्यटन विभाग के प्रति आक्रोश बना हुआ है.

बता दें कि जिम कॉर्बेट ने उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में अनेक आदमखोर बाघों को मारा था. चंपावत में 436 लोगों का शिकार करने वाली आदमखोर बाघिन से भी जिम कॉर्बेट ने ही लोगों को छुटकारा दिलाया था. जिम कॉर्बेट ने रुद्रप्रयाग के गुलाबराय में गुलदार के दहशत से मुक्ति दिलाई थी. जिस पेड़ पर चढ़कर उन्होंने गुलदार को मार गिराया था, वह पेड़ आज भी मौजूद है. इस पर उन्होंने मचान बनाकर खूनी गुलदार का शिकार किया था. ऑलवेदर रोड कटिंग के दौरान भी पेड़ को संरक्षित रखा गया.

वर्ष 2018 जुलाई महीने में तत्कालीन डीएम मंगेश घिल्डियाल ने स्थानीय लोगों की मांग पर जिम कॉर्बेट म्यूजियम के लिए वन व पर्यटन विभाग को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद पर्यटन विभाग ने इसी दौरान डीएम के माध्यम से म्यूजियम निर्माण के लिए एक करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा था.

केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय को भेजे गए 1 करोड़ के प्रस्ताव के सापेक्ष 91.13 लाख के बजट को प्रसाद परियोजना में स्वीकृति मिली थी. उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने टेंडर प्रक्रिया के साथ निर्माण कार्य संबंधी तमाम औचारिकताएं पूर्ण करने के बाद जुलाई 2019 से जिम कॉर्बेट मेमोरियल भवन का निर्माण कार्य शुरू किया था. भवन की नींव को मजबूती के साथ तैयार कर दो मंजिले भवन को पूरी तरह पहाड़ी शैली में तैयार किया गया है. मेमोरियल भवन में एक हॉल में जिम कॉर्बेट की मूर्ति को रखा जाएगा.

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इसके साथ ही जिम कॉर्बेट के म्यूजियम में उनके जीवन से जुड़ी पुस्तकें, फोटो, वस्तुओं को रखा जाएगा. साथ ही यहां पर लाइब्रेरी व कॉफी शॉप का निर्माण भी किया जाएगा. संग्रहालय में उनकी किताबें व तत्समय के जनजीवन से जुड़ी वस्तुएं रखी जानी हैं. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही भावी पीढ़ी को जिम कॉर्बेट के बारे में जानकारी मिलेगी. लेकिन जिम कॉर्बेट मेमोरियल भवन का निर्माण कार्य पूरा हुए लगभग एक साल बीतने के बाद भी संचालन शुरू नहीं हो पाया है, जिससे स्थानीय लोगों में भी मायूसी बनी हुई है.

पेड़ पर रात गुजारकर किया था गुलदार को खत्मः जिम कॉर्बेट 25 जुलाई 1875 को नैनीताल के कालाढुंगी में पैदा हुए. उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन किया. जिम कॉर्बेट को रुद्रप्रयाग से विशेष लगाव था. वर्ष 1918 से 1926 तक वह यहां रहे. तब उन्होंने 60 किमी दायरे में आतंक का पर्याय रहे आदमखोर गुलदार को मारने के लिए 20 रातें बेलणी पुल पर गुजारीं. जबकि 6 रातें गुलाबराय के आम के पेड़ पर बिताई. आखिरकार 2 मई 1926 को उन्होंने इसी मचान से गुलदार को अपनी बंदूक की गोली से ढेर कर दिया था. आजीवन अविवाहित रहने वाले जिम कॉर्बेट का निधन 19 अप्रैल 1955 को केन्या में हुआ था.

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