रुद्रप्रयागः मद्महेश्वर घाटी की सीमांत ग्राम पंचायत और विसुणी ताल की तलहटी में बसा गड़गू गांव से तीन किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों में एक दिवसीय जाखराजा का मेला सादगी से मनाया गया. इस दौरान वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण व विधानसभा चुनाव के कारण लगी आचार संहिता के नियमों के तहत सीमित संख्या में भक्तों ने प्रतिभाग किया. वहीं जाखराजा की डोली के गड़गू गांव पहुंचने पर एक दिवसीय मेले का समापन हो गया है.
बता दें कि गड़गू गांव में विराजमान भगवान मद्महेश्वर मंदिर में पंडित शिव प्रसाद सेमवाल और अखिलेश सेमवाल ने ब्रह्मबेला पर देवी-देवताओं का पूजन किया. साथ ही जाखराजा की डोली का विशेष श्रृंगार कर डोली पर चांदी के विशाल छत्र अर्पित किया. जिसके बाद जाखराजा की डोली ने भगवान मद्महेश्वर मंदिर की तीन परिक्रमा की और खेत-खलिहानों में नृत्य कर गांव के अन्य मंदिर में शीश नवाकर सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना हुई.
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जाखराजा की डोली के सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना होते ही श्रद्धालुओं की जयकारों से गड़गू गांव गुंजायमान हो उठा. श्रद्धालुओं ने जाखराजा की डोली पर पुष्प, लाल-पीले वस्त्र अर्पित कर क्षेत्र के खुशहाली व विश्व कल्याण की कामना की. जाखराजा की डोली के गड़गू गांव से सुरम्य मखमली बुग्यालों तक पहुंचने पर स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों, महिलाओं के मांगल गीतों और श्रद्धालुओं की जयकारों से अगुवाई की गई.
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जाखराजा की डोली के गांव से तीन किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों में पहुंचने पर वहां पूर्व से मौजूद सीमित श्रद्धालुओं ने पुष्प अक्षत्रों से डोली का स्वागत किया. जाखराजा की डोली सामूहिक भोज का निरीक्षण कर अपने पूजा स्थल पर विराजमान हुई. जाखराजा की डोली के अपने पूजा स्थल पर विराजमान होने पर विद्वान आचार्यों ने जाखराजा की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती उतारी और सामूहिक भोज की तीन बार पूजा करने के बाद श्रद्धालुओं ने जाखराजा को सामूहिक भोज अर्पित किया.