रुद्रप्रयाग: बाबा केदारनाथ के रक्षक भैरवनाथ मंदिर से 103 घंटियों की चोरी का मामला सामने आया है. सोनप्रयाग चौकी में इस बाबत प्राथमिकी भी दर्ज की गई है. वहीं इस मामले में मांफी के बाद समझौता हो गया है. जबकि साधु के द्वारा बताया गया कि उक्त घंटियों के बदले त्रिशूल और अन्य मूर्तियों को खरीदने का उद्देश्य था.
केदारनाथ से कुछ खच्चरों की मदद से इन घंटियों को गौरीकुंड लाया जा रहा था. घंटियों की आवाज सुनकर स्थानीय लोगों ने शक के आधार पर पुलिस प्रशासन को अवगत कराया. पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी घंटियों को अपने कब्जे में लिया.
पंच पंडा रुद्रप्रयाग श्री केदारनाथ के सचिव पंकज शुक्ला ने बताया कि भैरवनाथ मंदिर के निकट एक कुटिया में शनि महाराज निवास करते हैं. उनके द्वारा ही चुपचाप 103 घंटियों को कहीं भेजा जा रहा था. पंकज शुक्ला ने कहा कि इस बाबत बाबा ने समिति के कर्मचारियों को और ना ही हक हकूक धारियों को अवगत कराया. उन्होंने बताया कि हालांकि धाम की प्रतिष्ठा को देखते हुए शनि बाबा ने मांफी पत्र जारी कर तुरंत गौरीकुंड से उक्त घंटियों को केदारनाथ धाम में वापस पहुंचाने की बात की है.
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दरअसल, यह घंटियां पौराणिक शैली के कांस्य और तांबे से निर्मित हैं. जिन्हें अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर भैरवनाथ मंदिर में भक्तों और तीर्थ यात्रियों द्वारा चढ़ाई गई हैं. आशंका है कि बाबा द्वारा अपनी गुफा में इन घंटियों को धीरे धीरे निकाल कर एकत्रित की गई हैं. जिसे समय रहते चोरी के उद्देश्य से अन्यत्र भेजी जा रही थी. वहीं चौकी इंचार्ज सोनप्रयाग योगेंद्र सिंह ने कहा कि इस बाबत दोनों पक्षों में सुलह हो गई है. शनि बाबा ने मांफी पत्र लिखकर पंच पंडा रुद्रप्रयाग को प्रेषित कर दिया है
उन्होंने कहा कि साधु द्वारा यह बताया गया कि उनका उक्त घंटियों के बदले वह त्रिशूल और अन्य मूर्तियों को खरीदने का उद्देश्य था. पंच पंडा रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष अमित शुक्ला ने कहा कि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार केवल तीर्थ पुरोहित समाज और समिति के कर्मचारियों को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति है. ऐसे में शनि बाबा को कैसे धाम में पहुंचने और रहने की अनुमति प्रदान की गई, यह भी जांच का विषय है