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मदमहेश्वर धाम में जल भराव की आशंका, बजट के अभाव में लटका काम

रुद्रप्रयाग के मदमहेश्वर धाम में जल मोड़ नाली नहीं बनने से जल भराव की आशंका बन गई है. इससे भारी नुकसान हो सकता है. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग बजट के अभाव में निर्माण कार्य नहीं कर पा रहा है.

waterlogging
मदमहेश्वर धाम
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Published : May 28, 2021, 11:27 AM IST

Updated : Jun 16, 2021, 7:41 PM IST

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं होने से बरसात के समय मंदिर परिसर में जल भराव की स्थिति बनी रहती है. इससे भारी नुकसान की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए स्थानीय व्यापारी व हक-हकूकधारी, शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आज तक जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं हो पाया है. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा समय-समय पर विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली की मरम्मत की जाती है. लेकिन बजट के अभाव में जल मोड़ नाली की सही तरीके से मरम्मत नहीं हो पा रही है.

ये भी पढ़ें: ग्रामीणों का दावा, ऋषि गंगा के उद्गम क्षेत्र के ग्लेशियरों में दिखीं दरारें

पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम सीमान्त ग्राम पंचायत गौंडार से लगभग 10 किलोमीटर दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य और बूढ़ा मदमहेश्वर की तलहटी में बसा है. मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में पहाड़ी होने के कारण बरसात के समय पहाड़ी से बहने वाले पानी का वेग मदमहेश्वर धाम की ओर होने से मन्दिर परिसर में जल भराव होने का खतरा बना रहता है. कई सालों पहले केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में जल मोड़ नाली का निर्माण किया गया था. लेकिन संरक्षण के अभाव में जल मोड़ नाली धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो गई. इस साल वन विभाग द्वारा पुनः विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली का रख-रखाव किया गया. लेकिन बजट के अभाव में काम सही से नहीं हो पाया. आपको बता दें कि पिछले साल 20 जुलाई को मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर मूसलाधार बारिश के कारण मंदिर परिसर में भारी जल भराव हो गया था. जिससे मदहेश्वर धाम में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था.

मदमहेश्वर धाम में जलभराव

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वहीं स्थानीय व्यापारी और हक-हकूकधारियों ने जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आज तक जल मोड़ नाली के निर्माण की पहल नहीं हुई है. स्थानीय व्यापारी शिवानन्द पंवार का कहना है कि शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते मदमहेश्वर धाम आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इसलिए मदमहेश्वर घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. वहीं पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार का कहना है कि ऊपरी पहाड़ी पर पहले से बनी जल मोड़ नाली जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी है. इसलिए बरसात में मन्दिर परिसर सहित मदमहेश्वर धाम में जल भराव की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं मदमहेश्वर धाम के हक-हकूकधारी मदन सिंह पंवार और पूर्व प्रधान बीरेन्द्र पंवार का कहना है कि मदमहेश्वर धाम की सुरक्षा की दृष्टि से जल मोड़ नाली का निर्माण बहुत जरूरी है.

ये भी पढ़ें: रुद्रप्रयाग में जरूरतमंदों को वितरित की दवाइयां और खाद्य सामग्री, लोगों ने जताया आभार

केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के रेंज अधिकारी ललित मोहन नेगी ने कहा कि जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए 8 लाख का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. स्वीकृति मिलने पर जल मोड़ नाली का निर्माण किया जायेगा.

रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं होने से बरसात के समय मंदिर परिसर में जल भराव की स्थिति बनी रहती है. इससे भारी नुकसान की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए स्थानीय व्यापारी व हक-हकूकधारी, शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आज तक जल मोड़ नाली का निर्माण नहीं हो पाया है. केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा समय-समय पर विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली की मरम्मत की जाती है. लेकिन बजट के अभाव में जल मोड़ नाली की सही तरीके से मरम्मत नहीं हो पा रही है.

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पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर का पावन धाम सीमान्त ग्राम पंचायत गौंडार से लगभग 10 किलोमीटर दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य और बूढ़ा मदमहेश्वर की तलहटी में बसा है. मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में पहाड़ी होने के कारण बरसात के समय पहाड़ी से बहने वाले पानी का वेग मदमहेश्वर धाम की ओर होने से मन्दिर परिसर में जल भराव होने का खतरा बना रहता है. कई सालों पहले केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा मदमहेश्वर धाम के ऊपरी हिस्से में जल मोड़ नाली का निर्माण किया गया था. लेकिन संरक्षण के अभाव में जल मोड़ नाली धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो गई. इस साल वन विभाग द्वारा पुनः विभागीय निजी संसाधनों से जल मोड़ नाली का रख-रखाव किया गया. लेकिन बजट के अभाव में काम सही से नहीं हो पाया. आपको बता दें कि पिछले साल 20 जुलाई को मदमहेश्वर धाम की ऊपरी पहाड़ी पर मूसलाधार बारिश के कारण मंदिर परिसर में भारी जल भराव हो गया था. जिससे मदहेश्वर धाम में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था.

मदमहेश्वर धाम में जलभराव

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वहीं स्थानीय व्यापारी और हक-हकूकधारियों ने जल मोड़ नाली के निर्माण के लिए पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आज तक जल मोड़ नाली के निर्माण की पहल नहीं हुई है. स्थानीय व्यापारी शिवानन्द पंवार का कहना है कि शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते मदमहेश्वर धाम आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. इसलिए मदमहेश्वर घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है. वहीं पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार का कहना है कि ऊपरी पहाड़ी पर पहले से बनी जल मोड़ नाली जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो चुकी है. इसलिए बरसात में मन्दिर परिसर सहित मदमहेश्वर धाम में जल भराव की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. वहीं मदमहेश्वर धाम के हक-हकूकधारी मदन सिंह पंवार और पूर्व प्रधान बीरेन्द्र पंवार का कहना है कि मदमहेश्वर धाम की सुरक्षा की दृष्टि से जल मोड़ नाली का निर्माण बहुत जरूरी है.

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Last Updated : Jun 16, 2021, 7:41 PM IST
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