रुद्रप्रयाग: विश्व विख्यात केदारनाथ धाम को मोक्ष द्वार भी कहा जाता है. पांडव भी केदारनाथ से गो हत्या के पाप से मुक्त होकर स्वार्गरोहणी गये थे. श्राद्ध पक्ष में केदारनाथ धाम में तर्पण और पिंडदान करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि यहां अपने पित्रों के निमित पिंडदान और तर्पण देने से पित्रों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
श्राद्ध पक्ष शुरू होते ही केदारनाथ में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. इन दिनों बाबा के दर्शनों के लिये हर रोज 12 हजार से अधिक यात्री पहुंच रहे हैं. केदारनाथ धाम इन दिनों जय केदार के जयकारों से गूंज रहा है. केदारनाथ धाम में पिंडदान और तर्पण देने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. श्राद्ध पक्ष में स्थानीय ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से भी भक्त यहां अपने पित्रों के मोक्ष की कामना के लिये पहुंचते हैं. भक्त केदारनाथ में सरस्वती व मंदाकिनी नदी के घाटों पर अपने पित्रों को तर्पण देते हैं. केदारनाथ धाम की यह भी मान्यता है कि यात्रा करने के दौरान धाम में यदि किसी भी व्यक्ति की मौत होती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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केदारनाथ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा केदारनाथ में हजारों भक्त अपने पित्रों के उद्वार के लिये पहुंचते हैं. यहां भक्त बड़ी में पहुंचकर पिंडदान व तर्पण करते हैं. केदारनाथ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा जो अपने पित्रों का केदारनाथ जैसे तीर्थ में पिंडदान व तर्पण करते हैं, उनके पित्र सीधे मोक्ष को प्राप्त होते हैं.