रुद्रप्रयागः शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण में वामन द्वादशी मेले की धूम रही. इस मौके पर हजारों भक्तों ने भगवान विष्णु के दिव्य दर्शन कर पुण्य अर्जित किया. इसके साथ ही नर रूप में अवतरित भगवान नारायण ने निसंतान दंपत्तियों और भक्तों को अपना आशीष दिया. ऐसा माना जाता है कि वामन द्वादशी पर भगवान विष्णु के दर्शन करने पर निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है.
दरअसल, शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण में वामन द्वादशी मेले में पुजारी एवं वेद पाठियों ने पहले भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर भोग लगाया. जिसके बाद भगवान की भोग मूर्तियों को चांदी की थाल में सजाया गया. शेरसी गांव के नौटियाल वंश के लोगों ने चांदी की थाल में सजाई गई भोग मूर्ति को अपने सिर के ऊपर रखकर ढोल नगाड़ों और भक्तों के जयकारों के साथ मंदिर की करीब 31 परिक्रमाएं पूरी की.
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इस दौरान भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. हजारों भक्तों ने भगवान विष्णु के दिव्य दर्शन कर पुण्य कमाया. परिक्रमा पूरे होने के बाद भैरवनाथ और भगवान नारायण के पश्वा नर रूप अवतरित होकर संतान प्राप्ति के लिए उपवास पर बैठी 24 दंपत्तियों एंव अन्य भक्तों को अपना आशीर्वाद दिया. भगवान नारायण का मंदिर परिक्रमा का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा.
वहीं, अंत में भगवान नारायण की भाोग मूर्तियों को शुद्धिकरण के बाद गर्भगृह में स्थापित किया गया. इस दौरान करीब आठ हजार भक्त वामन द्वादशी मेले के साक्षी बने. माना जाता है कि यहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. यही वजह है कि यह स्थल अपने आप काफी महत्व रखता है. इतना ही नहीं यह हर साल काफी संख्या में लोग विवाह करने आते हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने इसे वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में मशहूर किया.