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धारी मां की डोली यात्रा यात्रा पहुंची कालीमठ, श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद

मां धारी देवी की डोली यात्रा सिद्धपीठ कालीमठ पहुंची. केदारघाटी क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर श्रद्धालुओं ने डोली के दर्शन किए. 27 फरवरी को डोली यात्रा धारी मंदिर पहुंचेगी.

dhari devi doli yatra
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Published : Feb 9, 2021, 10:37 AM IST

रुद्रप्रयागः मां धारी देवी की डोली यात्रा विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए रात्रि प्रवास के लिए प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालीमठ पहुंची. इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं ने डोली के दर्शन करके पुण्य अर्जित किया. आगामी 27 फरवरी को धारी मां की डोली यात्रा अपने पीठ धारी मां मंदिर पहुंचेगी. इससे पूर्व डोली कुंभ स्नान भी करेगी.

इससे पहले सात फरवरी को दक्षिण काली के रूप में प्रसिद्ध धारी देवी के मंदिर प्रांगण से हंस फाउंडेशन की संस्थापक माताश्री मंगला माता ने डोली यात्रा की शुरूआत की. डोली यात्रा की अगुवाई दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा द्वारा की जा रही है. धारी मां की डोली प्रथम प्रवास के लिए शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण पहुंची. मंदिर की तीन परिक्रमा पूर्ण करके मां धारी की स्थानीय भक्तों द्वारा आरती उतारी गई.

ब्रह्ममुहूर्त में स्थानीय ब्राह्मण समाज ने डोली की परंपरागत पूजा अर्चना की. इसके साथ ही वाहन में डोली को सुरक्षित रखकर अग्रिम पड़ाव की ओर प्रस्थान किया. इस दौरान विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं द्वारा फूल मालाओं तथा अक्षत के साथ ही डोली का अभिवादन किया. गुप्तकाशी पहुंचने के बाद सैकड़ों भक्तों द्वारा डोली का मां के जयकारे के साथ ही अभिवादन किया गया. इस दौरान धारी देवी की डोली को कंधे पर उठाकर विश्वनाथ मंदिर लाया गया, जहां पर मंदिर की परिक्रमा पूर्ण करके डोली ने अपने अग्रिम पड़ाव कालीमठ की ओर प्रस्थान किया.

पढ़ेंः चमोली हादसे पर बोले पर्यावरण वैज्ञानिक बीडी जोशी, खतरा अभी टला नहीं

क्या है मान्यता

धारी गांव में मां धारी का भव्य मंदिर है. शास्त्रों के अनुसार और स्थानीय स्तर पर प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार वर्ष 1807 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी. कथाओं के अनुसार भयंकर त्रासदी के दौरान दक्षिण काली की मूर्ति बहकर इस स्थान पर आयी थी. मूर्ति की करूण आवाज सुनकर धारी गांव के लोगों ने मूर्ति की परंपरागत पूजा अर्चना करके इसी स्थान पर मूर्ति की स्थापना करके भव्य मंदिर का निर्माण किया. धारी मां को उत्तराखंड की रक्षा की देवी भी माना जाता है.

डोली की अगुवाई कर रहे अधिवक्ता व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बताया कि माताश्री मंगला देवी की अगुवाई में धारी मां की डोली की देवरा यात्रा की शुरूआत की गई. बताया कि प्रत्येक तीन वर्ष बाद धारी मां अपनी देवरा यात्रा पर निकलती है. इस बार उन्होंने समिति के पदाधिकारियों से विमर्श करके केदारघाटी के लिये देवरा यात्रा की स्वीकृति मांगी है. शर्मा ने कहा कि हरिद्वार में कुंभ स्नान करके 27 फरवरी को डोली धारी मां मंदिर पहुंचेगी.

रुद्रप्रयागः मां धारी देवी की डोली यात्रा विभिन्न पड़ावों को पार करते हुए रात्रि प्रवास के लिए प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालीमठ पहुंची. इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं ने डोली के दर्शन करके पुण्य अर्जित किया. आगामी 27 फरवरी को धारी मां की डोली यात्रा अपने पीठ धारी मां मंदिर पहुंचेगी. इससे पूर्व डोली कुंभ स्नान भी करेगी.

इससे पहले सात फरवरी को दक्षिण काली के रूप में प्रसिद्ध धारी देवी के मंदिर प्रांगण से हंस फाउंडेशन की संस्थापक माताश्री मंगला माता ने डोली यात्रा की शुरूआत की. डोली यात्रा की अगुवाई दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोड़ा द्वारा की जा रही है. धारी मां की डोली प्रथम प्रवास के लिए शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण पहुंची. मंदिर की तीन परिक्रमा पूर्ण करके मां धारी की स्थानीय भक्तों द्वारा आरती उतारी गई.

ब्रह्ममुहूर्त में स्थानीय ब्राह्मण समाज ने डोली की परंपरागत पूजा अर्चना की. इसके साथ ही वाहन में डोली को सुरक्षित रखकर अग्रिम पड़ाव की ओर प्रस्थान किया. इस दौरान विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं द्वारा फूल मालाओं तथा अक्षत के साथ ही डोली का अभिवादन किया. गुप्तकाशी पहुंचने के बाद सैकड़ों भक्तों द्वारा डोली का मां के जयकारे के साथ ही अभिवादन किया गया. इस दौरान धारी देवी की डोली को कंधे पर उठाकर विश्वनाथ मंदिर लाया गया, जहां पर मंदिर की परिक्रमा पूर्ण करके डोली ने अपने अग्रिम पड़ाव कालीमठ की ओर प्रस्थान किया.

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क्या है मान्यता

धारी गांव में मां धारी का भव्य मंदिर है. शास्त्रों के अनुसार और स्थानीय स्तर पर प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार वर्ष 1807 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी. कथाओं के अनुसार भयंकर त्रासदी के दौरान दक्षिण काली की मूर्ति बहकर इस स्थान पर आयी थी. मूर्ति की करूण आवाज सुनकर धारी गांव के लोगों ने मूर्ति की परंपरागत पूजा अर्चना करके इसी स्थान पर मूर्ति की स्थापना करके भव्य मंदिर का निर्माण किया. धारी मां को उत्तराखंड की रक्षा की देवी भी माना जाता है.

डोली की अगुवाई कर रहे अधिवक्ता व वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बताया कि माताश्री मंगला देवी की अगुवाई में धारी मां की डोली की देवरा यात्रा की शुरूआत की गई. बताया कि प्रत्येक तीन वर्ष बाद धारी मां अपनी देवरा यात्रा पर निकलती है. इस बार उन्होंने समिति के पदाधिकारियों से विमर्श करके केदारघाटी के लिये देवरा यात्रा की स्वीकृति मांगी है. शर्मा ने कहा कि हरिद्वार में कुंभ स्नान करके 27 फरवरी को डोली धारी मां मंदिर पहुंचेगी.

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