रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम में आई आपदा को सात साल बीत चुके हैं, लेकिन इन सात सालों में केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है. ऐसे में केदारनाथ धाम पहुंचने वाले यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर महिला यात्री कुंड में स्नान नहीं कर पा रही हैं.
केदारनाथ यात्रा शुरू करने से पहले भक्त इस गर्म कुंड में स्नान करके शुद्ध होते हैं. 2013 में केदारनाथ धाम और केदारघाटी में आपदा ने जमकर तबाही मचाई थी. हजारों यात्रियों और स्थानीय लोगों के अलावा लोगों के घर, होटल, लॉज आदि आपदा की भेंट चढ़ गये थे. आपदा से पहले केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में गर्म कुंड हुआ करता था, जो आपदा में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया.
पहले महिला और पुरुष यात्रियों के लिये अलग-अलग स्नान करने की व्यवस्था थी, लेकिन आपदा के बाद जमीन में एक गड्ढा करके कुंड का रूप दिया गया है. सात सालों में कुंड का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है, जबकि कुंड के निर्माण पर लाखों रुपये भी खर्च हो गये हैं. कुंड किनारे सुरक्षा के भी कोई उपाय नहीं हैं. ऐसे में महिला यात्रियों को काफी समस्याएं हो रही हैं.
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पुराणों में भी इस कुंड का महत्व बताया गया है
पुराणों में भी गर्म कुंड का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता यह है कि गर्म कुंड में स्नान करके शुद्ध होने के बाद ही केदारनाथ की पैदल यात्रा शुरू होती है. कुंड से कुछ दूरी पर ही मां पार्वती का भव्य मंदिर भी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती भी इस कुंड में स्नान करने के बाद भगवान शंकर की तपस्या करती थीं. आपदा के सात साल गुजर जाने के बाद भी कुंड का निर्माण न होने से भक्तों की आस्था को ठेस पहुंच रही है. देख-रेख के अभाव में कुंड के निकट गंदगी का अंबार भी लगा हुआ है.
भक्त लंबे समय से कुंड निर्माण की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक कुंड का निर्माण नहीं हो पाया है. व्यापार संघ अध्यक्ष गौरीकुंड अरविंद गोस्वमी एवं स्थानीय निवासी रॉबिन सिंह का कहना है कि कुंड न होने से महिला यात्रियों को भारी परेशानियां हो रही हैं. शासन-प्रशासन भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. गर्म कुंड के नाम से ही गौरीकुंड विख्यात है, लेकिन कुंड की सुध नहीं ली जा रही है.