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गौरी माई के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद, अब यहां होंगे दर्शन

केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में स्थित गौरी माई के कपाट बंद शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. अब श्रद्धालु मां के दर्शन गौरी गांव के चंडिका मंदिर में कर सकेंगे.

maa gauri
गौरी माई
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Published : Nov 6, 2021, 5:32 PM IST

Updated : Nov 6, 2021, 8:15 PM IST

रुद्रप्रयागः केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुंड स्थित गौरी माई (gauri mai) के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. अब 6 महीने तक मां की पूजा-अर्चना गौरी गांव के चंडिका मंदिर में होगी. इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों ने मां गौरा के दर्शन किए.

बता दें कि शनिवार सुबह पांच बजे गौरी माई के पुजारी ने गौरीकुंड मंदिर (Gaurikund Temple) में विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया. जिसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गौरी की भोगमूर्ति को डोली में स्थापित कर श्रृंगार किया गया. ठीक 8 बजे पुजारी विमल जमलोकी और ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भक्तों के दर्शनार्थ मां गौरा माई के कपाट बंद किए.

गौरी माई के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद.

ये भी पढ़ेंः शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदार के कपाट, इस बार 2.40 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

मां की डोली मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई. इस दौरान भक्तों और क्षेत्रीय ग्रामीणों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. मां गौरामाई के गौरी गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने फूल मालाओं और अक्षतों से जोरदार स्वागत किया. मां की भोग मूर्ति को चंडिका मंदिर में विराजमान किया गया.

ये भी पढ़ेंः विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद हुए यमुनोत्री धाम के कपाट, 6 माह तक खरसाली में होंगे दर्शन

वहीं, अब शीतकाल के यहीं पर मां गौरी (गौरा माई) (gauri mai) की पूजा अर्चना संपन्न की जाएगी. इस दौरान व्यापार संघ गौरीकुंड की ओर से कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया. जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य अर्जित किया.

बाबा केदार और गौरामाई का नहीं होता मिलनः मान्यता है कि कैलाश से भगवान शिव की उत्सव डोली गौरीकुंड पहुंचने से पहले गौरामाई की डोली गर्भ गृह से बाहर निकालकर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल को रवाना हो जाती है, जिससे कि बाबा केदार व गौरा माई का मिलन नहीं हो पाता है. यहां पर भगवान शिव की ओर से पार्वती के अंग निर्मित पुत्र गणेश से युद्धकर उसके सिर काटने से गौरा माई नाराज हुई थी. जिससे उनका मिलन शिव से नहीं हो पाता है.

ये भी पढ़ेंः गंगोत्री धाम के कपाट बंद, अब 6 माह मुखबा में होंगे मां गंगा के दर्शन

रुद्रप्रयागः केदारनाथ यात्रा के अहम पड़ाव गौरीकुंड स्थित गौरी माई (gauri mai) के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और पौराणिक रीति रिवाजों के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. अब 6 महीने तक मां की पूजा-अर्चना गौरी गांव के चंडिका मंदिर में होगी. इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तों ने मां गौरा के दर्शन किए.

बता दें कि शनिवार सुबह पांच बजे गौरी माई के पुजारी ने गौरीकुंड मंदिर (Gaurikund Temple) में विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया. जिसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गौरी की भोगमूर्ति को डोली में स्थापित कर श्रृंगार किया गया. ठीक 8 बजे पुजारी विमल जमलोकी और ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं पौराणिक रीति रिवाज के साथ भक्तों के दर्शनार्थ मां गौरा माई के कपाट बंद किए.

गौरी माई के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद.

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मां की डोली मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना हुई. इस दौरान भक्तों और क्षेत्रीय ग्रामीणों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. मां गौरामाई के गौरी गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने फूल मालाओं और अक्षतों से जोरदार स्वागत किया. मां की भोग मूर्ति को चंडिका मंदिर में विराजमान किया गया.

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वहीं, अब शीतकाल के यहीं पर मां गौरी (गौरा माई) (gauri mai) की पूजा अर्चना संपन्न की जाएगी. इस दौरान व्यापार संघ गौरीकुंड की ओर से कपाट बंद होने के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया. जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य अर्जित किया.

बाबा केदार और गौरामाई का नहीं होता मिलनः मान्यता है कि कैलाश से भगवान शिव की उत्सव डोली गौरीकुंड पहुंचने से पहले गौरामाई की डोली गर्भ गृह से बाहर निकालकर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल को रवाना हो जाती है, जिससे कि बाबा केदार व गौरा माई का मिलन नहीं हो पाता है. यहां पर भगवान शिव की ओर से पार्वती के अंग निर्मित पुत्र गणेश से युद्धकर उसके सिर काटने से गौरा माई नाराज हुई थी. जिससे उनका मिलन शिव से नहीं हो पाता है.

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Last Updated : Nov 6, 2021, 8:15 PM IST
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