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चोपता-बदरीनाथ हाईवे से वन विभाग ने रात में हटाया अतिक्रमण, UKD ने सरकार को कहा तानाशाह - अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई का विरोध

action against encroachment मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध चोपता इलाके में देर रात वन विभाग और प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया. इस दौरान संयुक्त टीम ने चोपता-बदरीनाथ हाईवे के किनारे हो रखे अतिक्रमण को ध्वस्त किया. इस दौरान स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध भी किया, लेकिन प्रशासन के आगे उनकी एक नहीं चली. encroachment on Chopta Badrinath highway

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 20, 2023, 1:57 PM IST

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में इन दिनों वन विभाग और प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. मंगवालर 19 सितंबर की रात को वन विभाग की टीम ने प्रशासन की मदद से रुद्रप्रयाग जिले में चोपता बदरीनाथ हाईवे पर सड़कों के किनारे अतिक्रमण कर बनाए गए ढाबों और होटलों को ध्वस्त किया. हालांकि प्रशासन और वन विभाग की इस कार्रवाई पर उत्तराखंड क्रांति दल ने सवाल खड़े किए हैं और अपना विरोध जताया है.

Rudraprayag
वन विभाग ने रात में चोपता-बदरीनाथ हाईवे से अतिक्रमण किया साफ

जानकारी के मुताबिक 19 सितंबर देर रात को वन विभाग की टीम पर्यटक स्थल चोपता के पास मक्कूबैंड इलाके में पहुंची. यहां चोपता-बदरीनाथ हाईवे किनारे किए गए अतिक्रमण का साफ किया गया. रात के समय वन विभाग और तहसील प्रशासन की टीम ने यहां पहुंचकर होटल-ढाबों को ध्वस्त कर दिया.

Rudraprayag
सड़क पर बिखरा पड़ा अतिक्रमणकारियों का सामान.

अतिक्रमण के खिलाफ हुई इस कार्रवाई का स्थानीय महिलाओं ने विरोध किया था. कुछ महिलाएं जेसीबी पर भी चड़ गई थी, लेकिन प्रशासन और वन विभाग की टीम के आगे उनकी एक नहीं चली और टीम ने होटलों व ढाबों को ध्वस्त किया. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन से तीन दिन का समय मांगा था, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें सड़क पर खड़ा कर दिया.
पढ़ें- Watch: बदरीनाथ में देखते ही देखते अलकनंदा नदी में समा गया मकान, लोगों ने लगाया ये आरोप

दरअसल, मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध चोपता-दुगलबिट्टा वन विभाग के सेंचुरी अधिनियम के अंतर्गत आता है. यहां के बुग्यालों में कई लोगों ने अतिक्रमण किया है. मंगलवार देर रात प्रशासन की टीम ने चोपता से पहले मक्कूबैंड में चोपता-बदरीनाथ हाईवे किनारे किये गये अतिक्रमण को हटा दिया है.

यूकेडी ने सरकार को बताया तानाशाह: वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड क्रांति दल ने रात के समय की गई इस कार्रवाई को सरकार की तानाशाही बताया है. उक्रांद के केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी ने कहा कि प्रदेश सरकार तानाशाही रवैया अपनाये हुए है. रात के समय इस प्रकार की कार्रवाई किया जाना सरासर गलत है.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में इन दिनों वन विभाग और प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है. मंगवालर 19 सितंबर की रात को वन विभाग की टीम ने प्रशासन की मदद से रुद्रप्रयाग जिले में चोपता बदरीनाथ हाईवे पर सड़कों के किनारे अतिक्रमण कर बनाए गए ढाबों और होटलों को ध्वस्त किया. हालांकि प्रशासन और वन विभाग की इस कार्रवाई पर उत्तराखंड क्रांति दल ने सवाल खड़े किए हैं और अपना विरोध जताया है.

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वन विभाग ने रात में चोपता-बदरीनाथ हाईवे से अतिक्रमण किया साफ

जानकारी के मुताबिक 19 सितंबर देर रात को वन विभाग की टीम पर्यटक स्थल चोपता के पास मक्कूबैंड इलाके में पहुंची. यहां चोपता-बदरीनाथ हाईवे किनारे किए गए अतिक्रमण का साफ किया गया. रात के समय वन विभाग और तहसील प्रशासन की टीम ने यहां पहुंचकर होटल-ढाबों को ध्वस्त कर दिया.

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सड़क पर बिखरा पड़ा अतिक्रमणकारियों का सामान.

अतिक्रमण के खिलाफ हुई इस कार्रवाई का स्थानीय महिलाओं ने विरोध किया था. कुछ महिलाएं जेसीबी पर भी चड़ गई थी, लेकिन प्रशासन और वन विभाग की टीम के आगे उनकी एक नहीं चली और टीम ने होटलों व ढाबों को ध्वस्त किया. अतिक्रमणकारियों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन से तीन दिन का समय मांगा था, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें सड़क पर खड़ा कर दिया.
पढ़ें- Watch: बदरीनाथ में देखते ही देखते अलकनंदा नदी में समा गया मकान, लोगों ने लगाया ये आरोप

दरअसल, मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध चोपता-दुगलबिट्टा वन विभाग के सेंचुरी अधिनियम के अंतर्गत आता है. यहां के बुग्यालों में कई लोगों ने अतिक्रमण किया है. मंगलवार देर रात प्रशासन की टीम ने चोपता से पहले मक्कूबैंड में चोपता-बदरीनाथ हाईवे किनारे किये गये अतिक्रमण को हटा दिया है.

यूकेडी ने सरकार को बताया तानाशाह: वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड क्रांति दल ने रात के समय की गई इस कार्रवाई को सरकार की तानाशाही बताया है. उक्रांद के केंद्रीय मीडिया प्रभारी मोहित डिमरी ने कहा कि प्रदेश सरकार तानाशाही रवैया अपनाये हुए है. रात के समय इस प्रकार की कार्रवाई किया जाना सरासर गलत है.

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