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सावन के पहले सोमवार के लिए उत्साहित BKTC, 13 हजार फिट की ऊंचाई से तोड़कर लाए ब्रह्मकमल - preparations for the first Monday of Sawan in Kedarnath

सावन के महीने भगवान शिव को ब्रह्मकमल चढ़ाने से पुण्य का प्राप्ति होती है. सावन के पहले सोमवार के लिए जलाभिषेक और ब्रह्मकमल को लेकर बीकेटीसी उत्साहित है. बीकेटीसी के कर्मचारी 13 हजार फीट की ऊंचाई पर जाकर इस विशेष दिन के लिए ब्रह्मकमल के फूल लेकर आये हैं.

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सावन के पहले सोमवार के लिए उत्साहित BKTC
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Published : Jul 17, 2022, 7:28 PM IST

Updated : Jul 17, 2022, 7:48 PM IST

रुद्रप्रयाग: सावन के पहले सोमवार को बाबा केदार के चरणों में ब्रह्मकमल चढ़ाने और जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है. सावन के धार्मिक महत्व के लिए हर साल की तरह इस बार भी बीकेटीसी के कर्मचारी 13 हजार फीट की ऊंचाई से ब्रह्मकमल तोड़कर लाए हैं. जिन्हें बाबा केदार को अर्पित किया जाएगा.

माना जाता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव को जलाभिषेक, बेलपत्र और ब्रह्मकमल अति प्रिय लगते हैं. साथ ही सावन में ही बाबा केदार को उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल चढ़ाने की भी वर्षों पुरानी अदभुत परम्परा है. इसलिए दूर-दूर से बाबा के भक्त सावन में केदारधाम पहुंचते हैं. इधर, हर साल की तरह इस बार भी बदरी-केदार मंदिर समिति ने सावन में केदारनाथ मंदिर में भगवान केदारनाथ के लिए ब्रह्मकमल चढ़ाना शुरू कर दिया है.

पढ़ें- राष्ट्रपति चुनाव से पहले BJP विधायकों का प्रशिक्षण, CM ने विधायकों से कही ये बात

सोमवार को मंदिर के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग पूजा अर्चना के साथ बाबा केदार को ब्रह्मकमल के पुष्प अर्पित करेंगे. इसके बाद अन्य बीकेटीसी कर्मी, तीर्थपुरोहित, भक्त आदि बाबा का जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित करेंगे. रविवार को बीकेटीसी की टीम केदारनाथ मंदिर से करीब 6 किमी दूर जाकर ब्रह्मकमल के पवित्र फूलों को टोकरी लाई. बीकेटीसी के प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर सिंह पुष्पवाण ने बताया सावन में बाबा केदार को ब्रह्मकमल चढ़ाने का विशेष महत्व है. इसलिए हर साल की तरह बीकेटीसी की टीम ऊंचाई वाले स्थानों से टोकरी में दिव्य पुष्प लाती है.

Brahmakamal
BKTC की टीम

पढ़ें- हरिद्वार में कांवड़ मेले के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम, जमीं से आसमान तक सिक्योरिटी सख्त

केदारनाथ के राॅवल भीमाशंकर लिंग ने बताया ब्रह्मकमल भगवान शिव को अति प्रिय है. हिमालयी क्षेत्र के इस सुंदर और दिव्य पुष्प को सावन में बाबा को अर्पित किया जाता है. जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा अनादिकाल से चली आ रही परम्परा का आज भी निर्वहन किया जाता है.

Brahmakamal
सावन के पहले सोमवार के लिए उत्साहित BKT

ब्रहमकमल का अनैतिक दोहन ना हों: पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का कहना है कि राज्य पुष्प ब्रह्मकमल का अनैतिक दोहन नहीं किया जाना चाहिए. सावन मास से केदारनाथ के ऊंचाई वाले स्थानों में बड़ी मात्रा में ब्रह्मकमल उगने का सिलसिला जारी है. ऐसे में इसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए. ब्रहमकमल के अत्याधिक दोहन से प्रकृति को नुकसान पहुंचता है. प्रकृति की इस सुंदरता का दोहन करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. प्रकृति से छेड़छाड़ भविष्य के लिए शुभ संकते नहीं हैं.

रुद्रप्रयाग: सावन के पहले सोमवार को बाबा केदार के चरणों में ब्रह्मकमल चढ़ाने और जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है. सावन के धार्मिक महत्व के लिए हर साल की तरह इस बार भी बीकेटीसी के कर्मचारी 13 हजार फीट की ऊंचाई से ब्रह्मकमल तोड़कर लाए हैं. जिन्हें बाबा केदार को अर्पित किया जाएगा.

माना जाता है कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव को जलाभिषेक, बेलपत्र और ब्रह्मकमल अति प्रिय लगते हैं. साथ ही सावन में ही बाबा केदार को उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल चढ़ाने की भी वर्षों पुरानी अदभुत परम्परा है. इसलिए दूर-दूर से बाबा के भक्त सावन में केदारधाम पहुंचते हैं. इधर, हर साल की तरह इस बार भी बदरी-केदार मंदिर समिति ने सावन में केदारनाथ मंदिर में भगवान केदारनाथ के लिए ब्रह्मकमल चढ़ाना शुरू कर दिया है.

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सोमवार को मंदिर के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग पूजा अर्चना के साथ बाबा केदार को ब्रह्मकमल के पुष्प अर्पित करेंगे. इसके बाद अन्य बीकेटीसी कर्मी, तीर्थपुरोहित, भक्त आदि बाबा का जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित करेंगे. रविवार को बीकेटीसी की टीम केदारनाथ मंदिर से करीब 6 किमी दूर जाकर ब्रह्मकमल के पवित्र फूलों को टोकरी लाई. बीकेटीसी के प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर सिंह पुष्पवाण ने बताया सावन में बाबा केदार को ब्रह्मकमल चढ़ाने का विशेष महत्व है. इसलिए हर साल की तरह बीकेटीसी की टीम ऊंचाई वाले स्थानों से टोकरी में दिव्य पुष्प लाती है.

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BKTC की टीम

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केदारनाथ के राॅवल भीमाशंकर लिंग ने बताया ब्रह्मकमल भगवान शिव को अति प्रिय है. हिमालयी क्षेत्र के इस सुंदर और दिव्य पुष्प को सावन में बाबा को अर्पित किया जाता है. जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा अनादिकाल से चली आ रही परम्परा का आज भी निर्वहन किया जाता है.

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सावन के पहले सोमवार के लिए उत्साहित BKT

ब्रहमकमल का अनैतिक दोहन ना हों: पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली का कहना है कि राज्य पुष्प ब्रह्मकमल का अनैतिक दोहन नहीं किया जाना चाहिए. सावन मास से केदारनाथ के ऊंचाई वाले स्थानों में बड़ी मात्रा में ब्रह्मकमल उगने का सिलसिला जारी है. ऐसे में इसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए. ब्रहमकमल के अत्याधिक दोहन से प्रकृति को नुकसान पहुंचता है. प्रकृति की इस सुंदरता का दोहन करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. प्रकृति से छेड़छाड़ भविष्य के लिए शुभ संकते नहीं हैं.

Last Updated : Jul 17, 2022, 7:48 PM IST
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