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रुद्रप्रयाग के दर्जनों गांवों में मंडरा रहा पेयजल का संकट - rudraprayag news

रुद्रप्रयाग जिले के तल्लानागपुर क्षेत्र में प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में गिरावट के चलते दर्जनों गावों में पेयजल का संकट बना हुआ है.

Declining water level of natural water sources
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Published : Apr 6, 2021, 6:12 AM IST

रुद्रप्रयाग: जिले के तल्लानागपुर क्षेत्र में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में निरन्तर गिरावट आ रही है. इस कारण दर्जनों गांवों में पेयजल का संकट बना हुआ है. आने वाले दिनों में यदि प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में गिरावट निरंतर जारी रही, तो मई और जून माह में समस्या विकराल बन सकती है. ग्रामीण मोटरमार्ग के किनारों पर लगे हैंडपम्पों पर निर्भर हैं. मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की फसलों को खासा नुकसान होने से उनके सामने दो जून की रोटी का संकट बना हुआ है और तापमान में निरन्तर वृद्धि महसूस की जा रही है.

बता दें कि इस बार दिसंबर, जनवरी, फरवरी व मार्च माह में मौसम के अनुकूल बारिश नहीं होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में निरंतर गिरावट आने लगी है. इससे तल्लानागपुर के विभिन्न गांवों को पेयजल आपूर्ति करने वाली पेयजल योजनाओं पर पानी की सप्लाई लगातार कम होने लगी है. इससे घिमतोली, क्यूड़ी कुंडा, दानकोट, चोपता, जाखणी, लोदला, गोरणा, तड़ाग फलासी सहित तीन दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. वहीं, काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान होने से उनके सामने दो जून रोटी का संकट बना हुआ है. आने वाले दिनों में यदि मौसम के अनुकूल बारिश नहीं हुई तो मई व जून माह में दो बूंद पानी के लिए हाहाकार मच सकता है.

ये भी पढ़ेंः जंगलों में लगी आग पर हमलावर हुई कांगेस, सरकार की तैयारियों पर उठाए सवाल

ग्रामीण प्रताप सिंह मेवाल ने बताया कि प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में भारी गिरावट आने से अभी से विभिन्न गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इसलिए शासन-प्रशासन को तल्लानागपुर क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करना चाहिए. वहीं, पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोकुल लाल टम्टा ने बताया कि तल्लानागपुर के तीन दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. ग्रामीण लक्ष्मण सिंह बर्तवाल ने बताया कि चोपता क्षेत्र में सबसे अधिक पेयजल संकट होने से ग्रामीण मोटरमार्ग के किनारे लगे हैंड पंपों पर निर्भर हैं.

वहीं, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने बताया कि बारिश न होने से पेयजल स्रोत सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में हैंडपंप लगाकर लोगों को पेयजल से राहत दिलाई जा रही है. साथ ही जिन गांवों में हैंडपंप सुविधा नहीं है, वहां पर टैंकरों के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने भी माना कि अगर आने वाले दिनों में बारिश नहीं होती है, तो पानी को लेकर हाहाकार जैसी स्थिति पैदा हो सकती है.

रुद्रप्रयाग: जिले के तल्लानागपुर क्षेत्र में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में निरन्तर गिरावट आ रही है. इस कारण दर्जनों गांवों में पेयजल का संकट बना हुआ है. आने वाले दिनों में यदि प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में गिरावट निरंतर जारी रही, तो मई और जून माह में समस्या विकराल बन सकती है. ग्रामीण मोटरमार्ग के किनारों पर लगे हैंडपम्पों पर निर्भर हैं. मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की फसलों को खासा नुकसान होने से उनके सामने दो जून की रोटी का संकट बना हुआ है और तापमान में निरन्तर वृद्धि महसूस की जा रही है.

बता दें कि इस बार दिसंबर, जनवरी, फरवरी व मार्च माह में मौसम के अनुकूल बारिश नहीं होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में निरंतर गिरावट आने लगी है. इससे तल्लानागपुर के विभिन्न गांवों को पेयजल आपूर्ति करने वाली पेयजल योजनाओं पर पानी की सप्लाई लगातार कम होने लगी है. इससे घिमतोली, क्यूड़ी कुंडा, दानकोट, चोपता, जाखणी, लोदला, गोरणा, तड़ाग फलासी सहित तीन दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. वहीं, काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान होने से उनके सामने दो जून रोटी का संकट बना हुआ है. आने वाले दिनों में यदि मौसम के अनुकूल बारिश नहीं हुई तो मई व जून माह में दो बूंद पानी के लिए हाहाकार मच सकता है.

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ग्रामीण प्रताप सिंह मेवाल ने बताया कि प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर में भारी गिरावट आने से अभी से विभिन्न गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इसलिए शासन-प्रशासन को तल्लानागपुर क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करना चाहिए. वहीं, पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोकुल लाल टम्टा ने बताया कि तल्लानागपुर के तीन दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल संकट गहराने लगा है. ग्रामीण लक्ष्मण सिंह बर्तवाल ने बताया कि चोपता क्षेत्र में सबसे अधिक पेयजल संकट होने से ग्रामीण मोटरमार्ग के किनारे लगे हैंड पंपों पर निर्भर हैं.

वहीं, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने बताया कि बारिश न होने से पेयजल स्रोत सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में हैंडपंप लगाकर लोगों को पेयजल से राहत दिलाई जा रही है. साथ ही जिन गांवों में हैंडपंप सुविधा नहीं है, वहां पर टैंकरों के जरिये पानी पहुंचाया जा रहा है. उन्होंने भी माना कि अगर आने वाले दिनों में बारिश नहीं होती है, तो पानी को लेकर हाहाकार जैसी स्थिति पैदा हो सकती है.

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