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7 नवंबर को तुंगनाथ और 18 को मद्महेश्वर धाम के बंद होंगे कपाट, लाखों श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद

रुद्रप्रयाग में भगवान तुंगनाथ के कपाट 7 नवंबर और केदार मद्महेश्वर के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे. इसके लिए तैयारियां भी तेज हो गई हैं. कपाट बंद होने के बाद यहां छह महीने तक श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन नहीं कर पाएंगे.

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Published : Nov 4, 2022, 2:16 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 4:55 PM IST

रुद्रप्रयाग: पंचकेदारों में प्रसिद्ध तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट (doors of Tungnath) 7 नवंबर सोमवार को पूर्वाहन साढ़े ग्यारह बजे शीतकाल के लिए विधि विधान से बंद किए जाएंगे. जबकि द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट (doors of Kedar Madmaheshwar) 18 नवंबर को सुबह 8 बजे बंद किए जाएंगे. तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद तुंगनाथ भगवान की चल विग्रह डोली इसी दिन प्रथम पड़ाव चोपता पहुंचेगी तथा यहां रात्रि विश्राम करेगी.

दूसरे दिन 8 नवंबर को देव डोली बणतोली होते हुए भनकुंड पहुंचेगी और रात्रि प्रवास भनकुंड में करेगी. 9 नवंबर को प्रातः देवडोली भनकुंड से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी. पूजा अर्चना के पश्चात डोली मंदिर गर्भगृह में विराजमान हो जाएगी.

7 नवंबर को तुंगनाथ और 18 को मद्महेश्वर धाम के बंद होंगे कपाट.
ये भी पढ़ेंः वैकुंठ चतुर्दशी पर्व पर कार्तिक स्वामी मंदिर में देव दीपावली का होगा आयोजन, जानिए मंदिर की महिमा

बता दें कि भगवान तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 6 मई को आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोल दिए गए थे. कपाट खुलने के बाद भारी संख्या में तीर्थयात्री तुंगनाथ धाम पहुंचे. पहली बार ऐसा हुआ है कि तुंगनाथ धाम में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे हैं. इससे स्थानीय लोगों का रोजगार भी बेहतर हो चला है. होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा के साथ ही छोटे से लेकर बड़े व्यापारी फायदे से खासा खुश हैं.

वहीं, शीतकाल के लिए बाबा तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद मंदिर समिति सहित हक-हकूकधारियों ने प्रशासन व सरकार से धाम सहित घाटी में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की है. हक-हकूकधारियों का कहना है कि शीतकाल में बाबा तुंगनाथ का धाम व पूरा क्षेत्र बर्फबारी में कैद हो जाता है. उसके बाद भी पर्यटकों का बाबा के धाम तक अनावश्यक रूप से अराजकता का माहौल बनाकर तोड़-फोड़ की जाती है, जो कि सरासर गलत है.

रुद्रप्रयाग: पंचकेदारों में प्रसिद्ध तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट (doors of Tungnath) 7 नवंबर सोमवार को पूर्वाहन साढ़े ग्यारह बजे शीतकाल के लिए विधि विधान से बंद किए जाएंगे. जबकि द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट (doors of Kedar Madmaheshwar) 18 नवंबर को सुबह 8 बजे बंद किए जाएंगे. तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद तुंगनाथ भगवान की चल विग्रह डोली इसी दिन प्रथम पड़ाव चोपता पहुंचेगी तथा यहां रात्रि विश्राम करेगी.

दूसरे दिन 8 नवंबर को देव डोली बणतोली होते हुए भनकुंड पहुंचेगी और रात्रि प्रवास भनकुंड में करेगी. 9 नवंबर को प्रातः देवडोली भनकुंड से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी. पूजा अर्चना के पश्चात डोली मंदिर गर्भगृह में विराजमान हो जाएगी.

7 नवंबर को तुंगनाथ और 18 को मद्महेश्वर धाम के बंद होंगे कपाट.
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बता दें कि भगवान तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 6 मई को आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोल दिए गए थे. कपाट खुलने के बाद भारी संख्या में तीर्थयात्री तुंगनाथ धाम पहुंचे. पहली बार ऐसा हुआ है कि तुंगनाथ धाम में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे हैं. इससे स्थानीय लोगों का रोजगार भी बेहतर हो चला है. होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा के साथ ही छोटे से लेकर बड़े व्यापारी फायदे से खासा खुश हैं.

वहीं, शीतकाल के लिए बाबा तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद मंदिर समिति सहित हक-हकूकधारियों ने प्रशासन व सरकार से धाम सहित घाटी में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगाने की मांग की है. हक-हकूकधारियों का कहना है कि शीतकाल में बाबा तुंगनाथ का धाम व पूरा क्षेत्र बर्फबारी में कैद हो जाता है. उसके बाद भी पर्यटकों का बाबा के धाम तक अनावश्यक रूप से अराजकता का माहौल बनाकर तोड़-फोड़ की जाती है, जो कि सरासर गलत है.

Last Updated : Nov 4, 2022, 4:55 PM IST
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