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रुद्रप्रयाग: सुविधाओं से महरूम डोभा गांव, ग्रामीणों ने दी विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी

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Published : Jul 27, 2021, 1:35 PM IST

विकासखंड जखोली का डोभा गांव सड़क से वंचित है. ऐसे में गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका पड़ा हुआ है. तीन किमी सड़क में दो किमी का निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. यह कार्य दो सालों से लटका पड़ा है

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गांव में सुविधाओं का अभाव.

रुद्रप्रयाग: ग्राम पंचायत डोभा के ग्रामीण परेशानियों से आजिज आ चुके हैं, जिससे ग्रामीणों में खासा रोष है. विभागीय उदासीनता का खामियाजा जनता को कैसे भुगतना पड़ता है, इसका जीता जागता उदाहरण ग्राम पंचायत डोभा के ग्रामीण हैं. गांव में सड़क की सुविधा न होने के कारण ग्रामीण जनता को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. ऐसे में एएनएम भी गांव में नहीं आ रही है, जबकि स्कूल भवन का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने समस्या का हल न होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.

गौर हो कि विकासखंड जखोली के ग्राम पंचायत डोभा में सड़क की सुविधा न होने के कारण लोगों को मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है, जबकि सबसे बड़ी परेशानी मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में हो रही है. गांव के लिए वर्ष 2006 में तीन मोटरमार्ग की स्वीकृत मिली थी, लेकिन वन भूमि के कारण निर्माण कार्य वर्ष 2017 में शुरू हो पाया. यह मामला तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने सुलझाया, जो धनराशि पूर्व में स्वीकृत थी, उसके अनुसार दो किमी ही निर्माण कार्य शुरू हो पाया, लेकिन कुछ ग्रामीणों ने दो सौ मीटर हिस्से पर भी विवाद खड़ा कर दिया.

ऐसे में लोनिवि विभाग ने दो किमी मोटरमार्ग में दो सौ मीटर हिस्सा छोड़ दिया. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन चल रहा है. सड़क न होने के कारण गांव में एएनएम नहीं आ रही है, जिस कारण नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए छह किमी दूर पैदल जंगल के रास्ते जाना पड़ता है. इस कारण कई नवजात शिशु एवं गर्भवती महिलाएं टीकाकरण से वंचित रह जाती हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक शुरू, इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

क्षेत्र पंचायत सदस्य स्यूर आनंद सिंह रौथाण ने कहा कि डोभा गांव सड़क से वंचित है. ऐसे में गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका पड़ा हुआ है. तीन किमी सड़क में दो किमी का निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. यह कार्य दो सालों से लटका पड़ा है. विभाग को अवगत भी कराया गया, लेकिन विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.

साथ ही स्वास्थ्य समस्या को लेकर कई बार विभाग एवं मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत की गई, मगर इस पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. गांव की जनसंख्या एक हजार होने के बावजूद आज भी न तो स्वास्थ्य विभाग सजग हो पाया है और ना ही लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माण कार्य पूरा किया गया है, जिससे ग्रामीणों को सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

रौथाण ने कहा कि सड़क की समस्या होने से स्कूल भवन का निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो पाया है, जबकि स्कूल भवन के लिए धनराशि भी स्वीकृत है और कार्रवाई भी कर ली गई है, लेकिन सड़क न होने से ठेकेदार कार्य करने से कतरा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो ग्रामीण जनता विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने को मजबूर हो जाएगी. वहीं, लोनिवि के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस ने कहा कि डोभा गांव के लिए साल 2006 में स्वीकृति मिली थी, लेकिन वन भूमि के कारण मामला लटका रहा.

पढ़ें-रुद्रप्रयाग की मोहनी राणा ने बॉक्सिंग में जीता रजत पदक, बढ़ाया प्रदेश का मान

इसके बाद वर्ष 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की ओर से मामले को सुलझाया गया और कार्य शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि दो किमी मोटरमार्ग निर्माण में दो सौ मीटर का हिस्सा बचा है, जिस पर ग्रामीणों का विवाद चल रहा है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसके साथ ही एक किमी शेष निर्माण के लिए शासन को पत्र भेजा गया है.

रुद्रप्रयाग: ग्राम पंचायत डोभा के ग्रामीण परेशानियों से आजिज आ चुके हैं, जिससे ग्रामीणों में खासा रोष है. विभागीय उदासीनता का खामियाजा जनता को कैसे भुगतना पड़ता है, इसका जीता जागता उदाहरण ग्राम पंचायत डोभा के ग्रामीण हैं. गांव में सड़क की सुविधा न होने के कारण ग्रामीण जनता को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. ऐसे में एएनएम भी गांव में नहीं आ रही है, जबकि स्कूल भवन का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने समस्या का हल न होने पर विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.

गौर हो कि विकासखंड जखोली के ग्राम पंचायत डोभा में सड़क की सुविधा न होने के कारण लोगों को मीलों का सफर पैदल तय करना पड़ता है, जबकि सबसे बड़ी परेशानी मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में हो रही है. गांव के लिए वर्ष 2006 में तीन मोटरमार्ग की स्वीकृत मिली थी, लेकिन वन भूमि के कारण निर्माण कार्य वर्ष 2017 में शुरू हो पाया. यह मामला तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने सुलझाया, जो धनराशि पूर्व में स्वीकृत थी, उसके अनुसार दो किमी ही निर्माण कार्य शुरू हो पाया, लेकिन कुछ ग्रामीणों ने दो सौ मीटर हिस्से पर भी विवाद खड़ा कर दिया.

ऐसे में लोनिवि विभाग ने दो किमी मोटरमार्ग में दो सौ मीटर हिस्सा छोड़ दिया. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन चल रहा है. सड़क न होने के कारण गांव में एएनएम नहीं आ रही है, जिस कारण नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं को टीकाकरण के लिए छह किमी दूर पैदल जंगल के रास्ते जाना पड़ता है. इस कारण कई नवजात शिशु एवं गर्भवती महिलाएं टीकाकरण से वंचित रह जाती हैं.

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क्षेत्र पंचायत सदस्य स्यूर आनंद सिंह रौथाण ने कहा कि डोभा गांव सड़क से वंचित है. ऐसे में गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. सड़क का निर्माण कार्य अधर में लटका पड़ा हुआ है. तीन किमी सड़क में दो किमी का निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. यह कार्य दो सालों से लटका पड़ा है. विभाग को अवगत भी कराया गया, लेकिन विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.

साथ ही स्वास्थ्य समस्या को लेकर कई बार विभाग एवं मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत की गई, मगर इस पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. गांव की जनसंख्या एक हजार होने के बावजूद आज भी न तो स्वास्थ्य विभाग सजग हो पाया है और ना ही लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माण कार्य पूरा किया गया है, जिससे ग्रामीणों को सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

रौथाण ने कहा कि सड़क की समस्या होने से स्कूल भवन का निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो पाया है, जबकि स्कूल भवन के लिए धनराशि भी स्वीकृत है और कार्रवाई भी कर ली गई है, लेकिन सड़क न होने से ठेकेदार कार्य करने से कतरा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो ग्रामीण जनता विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने को मजबूर हो जाएगी. वहीं, लोनिवि के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस ने कहा कि डोभा गांव के लिए साल 2006 में स्वीकृति मिली थी, लेकिन वन भूमि के कारण मामला लटका रहा.

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इसके बाद वर्ष 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की ओर से मामले को सुलझाया गया और कार्य शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि दो किमी मोटरमार्ग निर्माण में दो सौ मीटर का हिस्सा बचा है, जिस पर ग्रामीणों का विवाद चल रहा है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसके साथ ही एक किमी शेष निर्माण के लिए शासन को पत्र भेजा गया है.

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